बूंदी. जामुनिया घड़ियाल द्वीप में आधा दर्जन टापू जैव-विविधता का अनुपम खजाना है. साल भर बहती नदी का पानी जामुनिया द्वीप पर आकर यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को देखकर मानो ठहर सा जाता है. यहां पर पानी की गहराई अधिक होने से एक बड़े दह का रूप ले लिया है. यहां थमे हुए पानी और चारों ओर पहाड़ी, जामुनी पेड़ों के बीच धुप मगरमच्छ को लुभा रही है. जिसके चलते हजारों मगरमच्छों ने इस इलाके को अपना डेरा बना लिया है.
लेकिन इस वक्त यह क्षेत्र विकास को तरस रहा है यदि इस स्थान को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाए तो यह हाड़ौती का ही नहीं,बल्कि राजस्थान का प्रमुख प्राकृतिक पर्यटन स्थल बन सकता है. चंबल नदी के बीच में नोताड़ा(बीरज) गांव के पास स्थित यह प्राकृतिक स्थल इको टुरिज्म का अनूठा संगम है. इसकी जीवन रेखा चंबल नदी की हरियाली वादियों के बीच नाव पर सवार होकर पानी के बीच टापुओं पर बैठे मगरमच्छों और पक्षियों का स्वच्छंद विचरण यहां पर्यटकों के लिए रोमांचकारी है.
जामुनिया द्वीपों के कुंज में 1000 से अधिक मगरमच्छ मौजूद हैं, जो क्षेत्र को आकर्षण का केंद्र बनाए हुए है. इस स्थान के अनुकूल वातावरण के चलते यहां सर्दियों में विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है.यहां जांगील और ओपन बिल स्टोर्क जैसे स्थानीय पक्षियों का स्थाई बसेरा भी है, जो जामुन और देशी बबूल के पेड़ों पर नेस्टिंग करते हैं. स्थान टूरिज्म के साथ-साथ वन्यजीव प्रेमियों और विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए भी जैव-विविधता का अनूठा संगम है. देखरेख हो तो पर्यावरण संरक्षण के साथ आगामी पीढ़ियों के लिए भी उन्नत प्राकृतिक विरासत को सहेजकर रख सकेंगे. इस इलाके को प्रकृति प्रेमी भी सवारने की मांग कर रहे है और नौकायन शुरू कर पर्यटन को बढ़ावा देंगे की मांग कर रहे है.