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राजस्थान का ये द्वीप बन सकता है बड़ा टूरिस्ट प्लेस...यहां लगता है सैकड़ों घड़ियालों का जमावड़ा...Video

बूंदी जिले में स्थित जामुनिया द्वीप पर इन दिनों मगरमच्छ और घड़ियालों का जमावड़ा लगा है. यहां हजारों घड़ियाल अब पग पग पर नजर आने से इलाके में पर्यटन क्षेत्र में विकास की उम्मीद लोगों में जगी है.

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Published : Apr 3, 2019, 12:06 PM IST

जामुनिया द्वीप

बूंदी. जामुनिया घड़ियाल द्वीप में आधा दर्जन टापू जैव-विविधता का अनुपम खजाना है. साल भर बहती नदी का पानी जामुनिया द्वीप पर आकर यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को देखकर मानो ठहर सा जाता है. यहां पर पानी की गहराई अधिक होने से एक बड़े दह का रूप ले लिया है. यहां थमे हुए पानी और चारों ओर पहाड़ी, जामुनी पेड़ों के बीच धुप मगरमच्छ को लुभा रही है. जिसके चलते हजारों मगरमच्छों ने इस इलाके को अपना डेरा बना लिया है.

जामुनिया द्वीप पर लगा है मगरमच्छों का जमावड़ा

लेकिन इस वक्त यह क्षेत्र विकास को तरस रहा है यदि इस स्थान को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाए तो यह हाड़ौती का ही नहीं,बल्कि राजस्थान का प्रमुख प्राकृतिक पर्यटन स्थल बन सकता है. चंबल नदी के बीच में नोताड़ा(बीरज) गांव के पास स्थित यह प्राकृतिक स्थल इको टुरिज्म का अनूठा संगम है. इसकी जीवन रेखा चंबल नदी की हरियाली वादियों के बीच नाव पर सवार होकर पानी के बीच टापुओं पर बैठे मगरमच्छों और पक्षियों का स्वच्छंद विचरण यहां पर्यटकों के लिए रोमांचकारी है.

जामुनिया द्वीपों के कुंज में 1000 से अधिक मगरमच्छ मौजूद हैं, जो क्षेत्र को आकर्षण का केंद्र बनाए हुए है. इस स्थान के अनुकूल वातावरण के चलते यहां सर्दियों में विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है.यहां जांगील और ओपन बिल स्टोर्क जैसे स्थानीय पक्षियों का स्थाई बसेरा भी है, जो जामुन और देशी बबूल के पेड़ों पर नेस्टिंग करते हैं. स्थान टूरिज्म के साथ-साथ वन्यजीव प्रेमियों और विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए भी जैव-विविधता का अनूठा संगम है. देखरेख हो तो पर्यावरण संरक्षण के साथ आगामी पीढ़ियों के लिए भी उन्नत प्राकृतिक विरासत को सहेजकर रख सकेंगे. इस इलाके को प्रकृति प्रेमी भी सवारने की मांग कर रहे है और नौकायन शुरू कर पर्यटन को बढ़ावा देंगे की मांग कर रहे है.

बूंदी. जामुनिया घड़ियाल द्वीप में आधा दर्जन टापू जैव-विविधता का अनुपम खजाना है. साल भर बहती नदी का पानी जामुनिया द्वीप पर आकर यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को देखकर मानो ठहर सा जाता है. यहां पर पानी की गहराई अधिक होने से एक बड़े दह का रूप ले लिया है. यहां थमे हुए पानी और चारों ओर पहाड़ी, जामुनी पेड़ों के बीच धुप मगरमच्छ को लुभा रही है. जिसके चलते हजारों मगरमच्छों ने इस इलाके को अपना डेरा बना लिया है.

जामुनिया द्वीप पर लगा है मगरमच्छों का जमावड़ा

लेकिन इस वक्त यह क्षेत्र विकास को तरस रहा है यदि इस स्थान को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाए तो यह हाड़ौती का ही नहीं,बल्कि राजस्थान का प्रमुख प्राकृतिक पर्यटन स्थल बन सकता है. चंबल नदी के बीच में नोताड़ा(बीरज) गांव के पास स्थित यह प्राकृतिक स्थल इको टुरिज्म का अनूठा संगम है. इसकी जीवन रेखा चंबल नदी की हरियाली वादियों के बीच नाव पर सवार होकर पानी के बीच टापुओं पर बैठे मगरमच्छों और पक्षियों का स्वच्छंद विचरण यहां पर्यटकों के लिए रोमांचकारी है.

जामुनिया द्वीपों के कुंज में 1000 से अधिक मगरमच्छ मौजूद हैं, जो क्षेत्र को आकर्षण का केंद्र बनाए हुए है. इस स्थान के अनुकूल वातावरण के चलते यहां सर्दियों में विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है.यहां जांगील और ओपन बिल स्टोर्क जैसे स्थानीय पक्षियों का स्थाई बसेरा भी है, जो जामुन और देशी बबूल के पेड़ों पर नेस्टिंग करते हैं. स्थान टूरिज्म के साथ-साथ वन्यजीव प्रेमियों और विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए भी जैव-विविधता का अनूठा संगम है. देखरेख हो तो पर्यावरण संरक्षण के साथ आगामी पीढ़ियों के लिए भी उन्नत प्राकृतिक विरासत को सहेजकर रख सकेंगे. इस इलाके को प्रकृति प्रेमी भी सवारने की मांग कर रहे है और नौकायन शुरू कर पर्यटन को बढ़ावा देंगे की मांग कर रहे है.

Intro:बूंदी जिले के चंबल गाडियाल के बीच स्थित जामुनिया दीप इन दिनों गाडियालो से गुलजार हो रहा है यहां हजारो गाडियाल अब पग पग पर नजर आने से इलाके में पर्यटन क्षेत्र में विकास की उम्मीद लोगो में जगी है। इस जामुनिया गाडियाल दीप में आधा दर्जन टापू जैव-विविधता का अनुपम खजाना है। वर्ष भर कल-कल बहती चर्मण्यवती नदी का पानी जामुनिया द्वीप पर आकर यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को देखकर मानो ठहर सा जाता है। यहां पर पानी की गहराई अधिक होने से एक बड़े दह का रूप ले लिया है।  इस गाडियाल में थमे हुए पानी और चारो पहाड़ी तथा जामुनी पेड़ो के बीच धुप मगरमच्छ को लुभा रहे है जिसके चले हजारो मगरमच्छो ने इस इलाके को अपना डेरा बना लिया है। यहां के टापुओं पर आपको मगरमच्छ धूप सेंकने दिखाई दे जायेंगे। इस दृश्य को देख पर्यटक लालायित रहते हैं। 


Body:वर्तमान में यह क्षेत्र विकास को तरस रहा है यदि इस स्थान को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाए तो यह हाड़ौती का ही नहीं,बल्कि राजस्थान का प्रमुख प्राकृतिक पर्यटन स्थल बन सकता है। चंबल नदी के बीच में नोताड़ा(बीरज) गांव के पास स्थित यह प्राकृतिक स्थल इको टुरिज्म का अनूठा संगम है। इसकी जीवन रेखा चंबल नदी की हरियाली वादियों के बीच नाव पर सवार होकर पानी के बीच टापुओं पर बैठे मगरमच्छों व पक्षियों का स्वच्छंद विचरण यहां पर्यटकों के लिए रोमांचकारी है।  जामुनिया द्वीपों के कुंज में 1000 से अधिक मगरमच्छ मौजूद हैं, जो क्षेत्र को आकर्षण का केंद्र बनाए हुए है। इस स्थान के अनुकूल वातावरण के चलते यहां सर्दियों में विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां जांगील व ओपन बिल स्टोर्क जैसे स्थानीय पक्षियों का स्थाई बसेरा भी है, जो जामुन व देशी बबूल के पेड़ों पर नेस्टिंग करते हैं। स्थान टूरिज्म के साथ-साथ वन्यजीव प्रमियों व विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए भी जैव-विविधता का अनूठा संगम है। देखरेख हो तो पर्यावरण संरक्षण के साथ आगामी पीढ़ियों के लिए भी उन्नत प्राकृतिक विरासत को सहेजकर रख सकेंगे।


Conclusion: इस इलाके को प्रकति प्रेमी भी सवारने की मांग कर रहे है और नौकायन शुरू कर पर्यटन को बढ़ावा देंगे की मांग कर रहे है है। वन्यजीव प्रेमी एवं संसथान से जुड़े प्रभारी विट्टल सनाढ्य का कहना है इस इलाके में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यहां नोकायण शुरू कर गाडियाल सेंचुरी को विकसित किया जा सकता है साथ में यहां बालू रेत को हटा कर सड़क का निर्माण हो जाये तो क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे।  बाईट :- विट्टल सनाढ्य ,वन्यजीव प्रेमी एवं संसथान से जुड़े प्रभारी इसी कापरेन रियासत के जुड़े महाराज बलभद्र सिंह का कहना है की में भी इस इलाके में आये दिन पर्यटकों को भेजता रहता हु तो उन्हें यह जगह काफी पसंद आती है जरुरत है की इसको निखारा जाये।  बाईट :- बलभद्र सिंह ,महाराज ,कापरेन रियासत  वही केशोरायपाटन उपखण्ड अधिकारी चेरूराम मीणा का कहना है की मेने भी यहां का दौरा किया है वाकई में इलाका काफी अच्छा है जल्द प्रस्ताव बनाकर इलाके को निखारने का प्रयास करेंगे।  बाईट :- चेरूराम मीणा,उपखण्ड अधिकारी
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