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अलविदा 2019 : जब पाकिस्तान की जेल में 6 साल तक बंद रहे जुगराज भील की हुई घर वापसी, आजादी पर्व जैसा रहा साल

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Published : Dec 30, 2019, 10:45 PM IST

2019 अलविदा होने वाला है, बूंदी के जुगराज भील के लिए यह साल खुशियां लेके आया है. जहां जुगराज भील 6 वर्ष तक पाकिस्तान की कराची जेल में बंद था, तब सरकार और बूंदी के कुछ जागरूक युवाओं द्वारा उनकी रिहाई कराई गई. 5 फरवरी 2019 को जुगराज भील अपने गांव और परिवार जनों से मिल पाया.

बूंदी न्यूज, bundi news
के जुगराज भील के लिए आजादी का साल रहा

बूंदी. 2019 की विदाई के साथ लोग 2020 के स्वागत के लिए तैयार है. जिले में यह साल एक परिवार के लिए खुशियां लेकर आया, जहां 6 साल से पाकिस्तान की जेल में बंद जुगराज भील अपने गांव पहुंचा और परिवार जनों से मिला.

पाकिस्तान की कराची जेल में बंद जुगराज भील को छुड़ाने के लिए सरकार और बूंदी के कुछ जागरूक युवाओं ने मिलकर मुहिम चलाई थी, जिसके बाद उसे 20189 में कराची जेल द्वारा रिहा कर दिया गया था.

जुगराज भील के लिए आजादी का साल रहा

कैसे पहुंचा पाकिस्तान
बात 6 साल पुरानी है, जब जुगराज एक ट्रक के पीछे लटक-कर बूंदी से बॉर्डर इलाके में चला गया, जहां ट्रक रुकने पर वो भटकता हुआ बॉर्डर पार कर गया. वहीं अप्रैल 2014 में जुगराज कराची पुलिस के हत्थे चढ़ गया, जहां उसे अवैध घुसपैठ के आरोप में कराची कोर्ट में पेश किया गया.

पढ़ें- अलविदा 2019ः कांग्रेस सत्ता-संगठन के बीच साल भर रही खींचतान

कोर्ट ने उसे 15 दिन के लिए जेल भेज दिया और 15 दिनों की जेल के नाम पर जुगराज को 5 साल तक बंदी बनाए रखा.

कराची जेल में मानसिक असुंतलन
कराची जेल में जुगराज मानसिक रूप से असंतुलित हो गया, तब कराची पुलिस ने भारतीय दूतावास को उसकी जानकारी दी, जिसपर 16 जनवरी 2015 को पहली बार उसे काउंसलर मुहैया करवाया गया.

युवाओं ने चलाई मुहिम

जुगराज के पाकिस्तान में होने की सूचना पर जिले के युवा और सरकार उसे छुड़ाने के लिए जुट गए. जहां सभी ने 2 साल तक जुगराज भील की वतन वापसी के लिए काफी प्रयास किए. तब जाकर 5 फरवरी 2019 को पाकिस्तान ने जुगराज को रिहा किया.

पढ़ें- हाल-ए-2019: सियासी रस्साकशी, शह-मात का खूब चला खेल

जुगराज की वापसी में सहयोगी रहे समाजसेवी चर्मेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने राजस्थान सरकार और अधिकारियों से गुहार लगाई. यहां तक की 5 हजार पोस्ट कार्ड विदेश मंत्रालय भिजवाए गए. तब सरकार की चरणबद्ध कार्रवाई के बाद जुगराज को रिहा कर दिया गया. जुगराज के गांव पहुंचने के बाद उसके परिवारजन और ग्रामीणों ने उसका माला पहनाकर स्वागत किया. सरकार और युवाओं की इस पहल से सभी चेहरे खिल उठे.

बूंदी. 2019 की विदाई के साथ लोग 2020 के स्वागत के लिए तैयार है. जिले में यह साल एक परिवार के लिए खुशियां लेकर आया, जहां 6 साल से पाकिस्तान की जेल में बंद जुगराज भील अपने गांव पहुंचा और परिवार जनों से मिला.

पाकिस्तान की कराची जेल में बंद जुगराज भील को छुड़ाने के लिए सरकार और बूंदी के कुछ जागरूक युवाओं ने मिलकर मुहिम चलाई थी, जिसके बाद उसे 20189 में कराची जेल द्वारा रिहा कर दिया गया था.

जुगराज भील के लिए आजादी का साल रहा

कैसे पहुंचा पाकिस्तान
बात 6 साल पुरानी है, जब जुगराज एक ट्रक के पीछे लटक-कर बूंदी से बॉर्डर इलाके में चला गया, जहां ट्रक रुकने पर वो भटकता हुआ बॉर्डर पार कर गया. वहीं अप्रैल 2014 में जुगराज कराची पुलिस के हत्थे चढ़ गया, जहां उसे अवैध घुसपैठ के आरोप में कराची कोर्ट में पेश किया गया.

पढ़ें- अलविदा 2019ः कांग्रेस सत्ता-संगठन के बीच साल भर रही खींचतान

कोर्ट ने उसे 15 दिन के लिए जेल भेज दिया और 15 दिनों की जेल के नाम पर जुगराज को 5 साल तक बंदी बनाए रखा.

कराची जेल में मानसिक असुंतलन
कराची जेल में जुगराज मानसिक रूप से असंतुलित हो गया, तब कराची पुलिस ने भारतीय दूतावास को उसकी जानकारी दी, जिसपर 16 जनवरी 2015 को पहली बार उसे काउंसलर मुहैया करवाया गया.

युवाओं ने चलाई मुहिम

जुगराज के पाकिस्तान में होने की सूचना पर जिले के युवा और सरकार उसे छुड़ाने के लिए जुट गए. जहां सभी ने 2 साल तक जुगराज भील की वतन वापसी के लिए काफी प्रयास किए. तब जाकर 5 फरवरी 2019 को पाकिस्तान ने जुगराज को रिहा किया.

पढ़ें- हाल-ए-2019: सियासी रस्साकशी, शह-मात का खूब चला खेल

जुगराज की वापसी में सहयोगी रहे समाजसेवी चर्मेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने राजस्थान सरकार और अधिकारियों से गुहार लगाई. यहां तक की 5 हजार पोस्ट कार्ड विदेश मंत्रालय भिजवाए गए. तब सरकार की चरणबद्ध कार्रवाई के बाद जुगराज को रिहा कर दिया गया. जुगराज के गांव पहुंचने के बाद उसके परिवारजन और ग्रामीणों ने उसका माला पहनाकर स्वागत किया. सरकार और युवाओं की इस पहल से सभी चेहरे खिल उठे.

Intro:2019 विदा होने वाला है और 2019 की आजादी की तस्वीर की बात कर रहे हैं हम बूंदी के जुगराज भील की जो पाकिस्तान की जेल में बंद था और 6 साल बाद पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर बूंदी के घर में पहुंचा रिहाई तक बूंदी वासी जुगराज भील के साथ रहे और जुगराज भील अपनों के बीच पहुंचा इस दिन मानो घर में दिवाली सा माहौल हो गया था ।


Body:बूंदी :- 2019 अलविदा होने वाला है और 2019 की सबसे अच्छी तस्वीर बूंदी के जुगराज भील के लिए सामने आई यहां पर जुगराज भील 6 वर्ष तक पाकिस्तान की कराची जेल में बंद रहा और सरकार व बूंदी के कुछ जागरूक युवाओं द्वारा उसकी रिहाई के लिए कई तरह के जतन किए गए और आखिरकार 5 फरवरी 2019 को बूंदी का जुगराज भील पाकिस्तान की कराची जेल से रिहा होकर बूंदी पहुंचा और गांव वालों के बीच पर अपने परिवार के पीछे से पहुंचा तो मानो उस दिन उनकी दिवाली बन गई हो ।

बात 6 साल पुरानी है जहां रामपुरिया से चला जुगराज सीमा लादकर कैसे कराची जेल तक पहुंचा यह किसी को नही पता कहा जाता है कि जुगराज ट्रक के पीछे लटककर बूंदी से बॉर्डर इलाके में चला गया जहां ट्रक से नीचे उतर कर भड़कता हुआ बॉर्डर पार कर गया उसे पता नहीं था कि उसके कदम पाकिस्तान में कब पड़ गए । पाकिस्तानी में जुगराज अप्रैल 2014 में कराची पुलिस के हत्थे चढ़ा 17 अप्रैल 2014 को कार्नर एक्ट 14 के अंडर सेक्शन 3 के तहत अवैध घुसपैठ के आरोप में साबित हुए तो कराची कोर्ट ने उसे 15 दिन के लिए जेल भेज दिया और 15 दिनों की जेल के नाम पर जुगराज को 5 साल तक बंदी बनाए रखा । यही नहीं कराची जेल से पाकिस्तानी सैनिको की बर्बरता इसी तरह की वह अपने नाम पता सब कुछ भूल बैठा । बर्बरता करने के बाद जब जुगराज पूरी तरह से मानसिक हो गया जब जाकर कराची पुलिस ने भारतीय दूतावास को उसकी जानकारी 16 जनवरी 2015 को पहली बार उसे काउंसलर मुहैया करवाया गया । काउंसलर की कोशिशों के बाद 30 जून 2015 को भारतीय विदेश मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में पाकिस्तानी जेल में सूची में उसका नाम का जिक्र हुआ लेकिन यहां पर जुगराज नहीं बल्कि बबली नाम से उसे बताया गया पिता का नाम भेरू लाल भील की बजाय योगराज और गांव का नाम रामपुरियाँ की जगह रामपुर रखा गया लेकिन बूंदी और दिल्ली की पुलिस ने छानबीन की और आखिरकार बूंदी जुगराज को उसकी पहचान बता दी फिर क्या था बूंदी के युवा व सरकार जुट गई और सरकार और बूंदी के युवाओं ने मिलकर 2 साल तक जुगराज भील की वतन वापसी के लिए काफी प्रयास किए और वह दिन 5 फरवरी मुकर्रर हुआ और 5 फरवरी को पाकिस्तान की कराची जेल से बूंदी का लाल बूंदी के रामपुरा गांव पहुंचा तो उसकी स्वागत सत्कार के लिए पूरा गांव उमड़ गया और उस दिन मानो दिवाली का माहौल गांव में पैदा हो गया ।


Conclusion:जुगराज बिल को लाने वाले बूंदी के समाजसेवी चर्मेश शर्मा थे उनके अथक प्रयास से बूंदी के जुगराज बिल की वतन वापसी हुई और वह आज अपने घर में सुरक्षित है एक छोटी सी झोपड़ी में जुगराज का परिवार रहता है माता-पिता मेहनत मजदूरी करते हैं बड़ा भाई घर की जिम्मेदारी संभालता है । परिवार जन ने समाजसेवी चर्मेस शर्मा का साथ लिया और चर्मेश शर्मा ने एक सामाजिक मुहिम शुरू की और कारवां बढ़ता चला गया कई बार राजस्थान के सीएम व डिप्टी सीएम से परिजन मिले और अधिकारियों तक गुहार लगाई गई पोस्टर कार्ड तक जुगराज को वापस वतन वापसी के लिए विदेश मंत्रालय भिजवाए गए और आखिर 5 फरवरी को बूंदी का जुगराज भील रांची जेल से रिहाई हो गया ।

2019 की यह अच्छी तस्वीर थी जो 6 साल से पाकिस्तान की कराची जेल में बंद जुगराज भील रिहा होकर आज अपने घर में अपने परिवार के साथ में है । मां की आंखें अपने बेटे को देखने के लिए पथरा गई थी जैसे ही उनका पुत्र उनके पास पहुंचा तो मां ने उसे गले लगाया और अपनी गोद में मां का दुलार दिया और जुगराज भी सकून के साथ अपनी मां के गोद में सोता हुआ दिखा इस पल को देख हर कोई नम था खुशी भी थी क्योंकि खुशी ओर आंसू थे । 2019 बूंदी के जुगराज बिल के लिए आजादी के वर्ष साबित हुआ और पाकिस्तान की यातनाओं से लड़कर बूंदी का जुगराज भील उनके घर पहुंचा ।

बाईट - चर्मेश शर्मा , पहल करने युवा
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