बूंदी. जिले के बामन गांव चिकित्सालय पर करीब 21 गांवों के मरीज इलाज के लिऐ आते है. इस क्षेत्र की लगभग 22 हजार करीब आबादी है, लेकिन प्रशासन के द्वारा 20 वर्ष पुराने चिकित्सालय में अब तक मरम्मत तक नहीं हो पाई है. जो अधिकारियों की लापरवाही उजागर कर रही है.
बता दें कि 2015 में सरकार की ओर से चिकित्सालय को पीपीमोड पर दे दिया गया था, लेकिन फिर भी प्रशासन हाथ पर हाथ धरा बैठा है. बूंदी में कहने को तो सरकार लाख दावे कर रही है कि हम मरीजों को बेहतर चिकित्सा दे रहे हैं, लेकिन बूंदी के बामन गांव में यह सारे दावे फैल साबित होते नजर आ रहे हैं. इस भवन में दिवार से लेकर छत बल्कि जहां तक अपनी निगाहें जाएं वहां तक आप दरारे देख सकते हैं.
आपको बता दें कि नैनवां उपखंड के बामनगांव में स्थित चिकित्सालय कभी भी धराशायी हो सकता है. चिकित्सालय का कोई कमरा ऐसा नहीं जो जर्जर ना हो लेकिन फिर भी अधिकारी आखे बंद कर बैठे हैं.
करीब 20 वर्ष पहले हुआ था निर्माण
जानकारी के अनुसार चिकित्सालय भवन का निर्माण करीब 20 साल पहले हुआ था जो अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है. कई बार प्रशासनिक अधिकारी चिकित्सालय का निरक्षण करने आये और हर बार मात्र कागजों में ही भवन की मरम्मत होती रही.
गांव वालों ने बताया कि चिकित्सालय में नया भवन बनवाने के लिऐ कई बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अब तक भवन की मरम्मत नहीं हुई है. साथ ही उन्होंने बताया कि बारिश में तो चिकित्सालय में इलाज करवाने में भी डर लगता है कि कब चिकित्सालय धराशायी हो जाए.
वहीं चिकित्सालय में एक महिला चिकित्सक सहित करीब एक दर्जन कर्मचारी भी दहशत में नौकरी कर रहे हैं. चिकित्सालय में रोजना 50 से 60 मरीजों की ओ.पी.डी. रहती है और महीने में करीब 10 डिलीवरी भी होती हैं. वहीं नियमों के अनुसार प्रसूताओं को 48 घंटे भर्ती किया जाता है. वहीं कमरों की हालत जर्जर होने से हमेशा बड़ी घटना होने का खतरा रहता है. ऐसे में देखना होगा कि प्रशासन कब इस ओर ध्यान दे पाता है.