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बूंदी : बामन गांव के चिकित्सालय का भवन जर्जर...डर के साये में डॉक्टर मरीजों का कर रहे हैं इलाज - hospital

बूंदी के बामन गांव के चिकित्सालय की हालत बहुत खराब है. जिसके चलते मरीजों को रोज अपनी जान पर खेलकर जहां आना पड़ता है. वहीं ग्रमिणों का कहना है कि कई बार प्रशासन को इसके बारे में बताया गया है. लेकिन कोई इस पर कुछ नहीं करता.

बूंदी के बामन गांव के चिकित्सालय की हालत खराब
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Published : Jul 15, 2019, 10:18 AM IST

बूंदी. जिले के बामन गांव चिकित्सालय पर करीब 21 गांवों के मरीज इलाज के लिऐ आते है. इस क्षेत्र की लगभग 22 हजार करीब आबादी है, लेकिन प्रशासन के द्वारा 20 वर्ष पुराने चिकित्सालय में अब तक मरम्मत तक नहीं हो पाई है. जो अधिकारियों की लापरवाही उजागर कर रही है.

बूंदी के बामन गांव के चिकित्सालय की हालत खराब

बता दें कि 2015 में सरकार की ओर से चिकित्सालय को पीपीमोड पर दे दिया गया था, लेकिन फिर भी प्रशासन हाथ पर हाथ धरा बैठा है. बूंदी में कहने को तो सरकार लाख दावे कर रही है कि हम मरीजों को बेहतर चिकित्सा दे रहे हैं, लेकिन बूंदी के बामन गांव में यह सारे दावे फैल साबित होते नजर आ रहे हैं. इस भवन में दिवार से लेकर छत बल्कि जहां तक अपनी निगाहें जाएं वहां तक आप दरारे देख सकते हैं.

आपको बता दें कि नैनवां उपखंड के बामनगांव में स्थित चिकित्सालय कभी भी धराशायी हो सकता है. चिकित्सालय का कोई कमरा ऐसा नहीं जो जर्जर ना हो लेकिन फिर भी अधिकारी आखे बंद कर बैठे हैं.

करीब 20 वर्ष पहले हुआ था निर्माण

जानकारी के अनुसार चिकित्सालय भवन का निर्माण करीब 20 साल पहले हुआ था जो अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है. कई बार प्रशासनिक अधिकारी चिकित्सालय का निरक्षण करने आये और हर बार मात्र कागजों में ही भवन की मरम्मत होती रही.

गांव वालों ने बताया कि चिकित्सालय में नया भवन बनवाने के लिऐ कई बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अब तक भवन की मरम्मत नहीं हुई है. साथ ही उन्होंने बताया कि बारिश में तो चिकित्सालय में इलाज करवाने में भी डर लगता है कि कब चिकित्सालय धराशायी हो जाए.

वहीं चिकित्सालय में एक महिला चिकित्सक सहित करीब एक दर्जन कर्मचारी भी दहशत में नौकरी कर रहे हैं. चिकित्सालय में रोजना 50 से 60 मरीजों की ओ.पी.डी. रहती है और महीने में करीब 10 डिलीवरी भी होती हैं. वहीं नियमों के अनुसार प्रसूताओं को 48 घंटे भर्ती किया जाता है. वहीं कमरों की हालत जर्जर होने से हमेशा बड़ी घटना होने का खतरा रहता है. ऐसे में देखना होगा कि प्रशासन कब इस ओर ध्यान दे पाता है.

बूंदी. जिले के बामन गांव चिकित्सालय पर करीब 21 गांवों के मरीज इलाज के लिऐ आते है. इस क्षेत्र की लगभग 22 हजार करीब आबादी है, लेकिन प्रशासन के द्वारा 20 वर्ष पुराने चिकित्सालय में अब तक मरम्मत तक नहीं हो पाई है. जो अधिकारियों की लापरवाही उजागर कर रही है.

बूंदी के बामन गांव के चिकित्सालय की हालत खराब

बता दें कि 2015 में सरकार की ओर से चिकित्सालय को पीपीमोड पर दे दिया गया था, लेकिन फिर भी प्रशासन हाथ पर हाथ धरा बैठा है. बूंदी में कहने को तो सरकार लाख दावे कर रही है कि हम मरीजों को बेहतर चिकित्सा दे रहे हैं, लेकिन बूंदी के बामन गांव में यह सारे दावे फैल साबित होते नजर आ रहे हैं. इस भवन में दिवार से लेकर छत बल्कि जहां तक अपनी निगाहें जाएं वहां तक आप दरारे देख सकते हैं.

आपको बता दें कि नैनवां उपखंड के बामनगांव में स्थित चिकित्सालय कभी भी धराशायी हो सकता है. चिकित्सालय का कोई कमरा ऐसा नहीं जो जर्जर ना हो लेकिन फिर भी अधिकारी आखे बंद कर बैठे हैं.

करीब 20 वर्ष पहले हुआ था निर्माण

जानकारी के अनुसार चिकित्सालय भवन का निर्माण करीब 20 साल पहले हुआ था जो अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है. कई बार प्रशासनिक अधिकारी चिकित्सालय का निरक्षण करने आये और हर बार मात्र कागजों में ही भवन की मरम्मत होती रही.

गांव वालों ने बताया कि चिकित्सालय में नया भवन बनवाने के लिऐ कई बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अब तक भवन की मरम्मत नहीं हुई है. साथ ही उन्होंने बताया कि बारिश में तो चिकित्सालय में इलाज करवाने में भी डर लगता है कि कब चिकित्सालय धराशायी हो जाए.

वहीं चिकित्सालय में एक महिला चिकित्सक सहित करीब एक दर्जन कर्मचारी भी दहशत में नौकरी कर रहे हैं. चिकित्सालय में रोजना 50 से 60 मरीजों की ओ.पी.डी. रहती है और महीने में करीब 10 डिलीवरी भी होती हैं. वहीं नियमों के अनुसार प्रसूताओं को 48 घंटे भर्ती किया जाता है. वहीं कमरों की हालत जर्जर होने से हमेशा बड़ी घटना होने का खतरा रहता है. ऐसे में देखना होगा कि प्रशासन कब इस ओर ध्यान दे पाता है.

Intro:बामंंन गांव चिकित्सालय पर करीब 21गांवों के मरीज इलाज के लिऐ आते है। वही क्षेत्र की लगभग 22 हजार करीब आबादी हे लेकिन प्रशासन के द्वारा 20 वर्ष पुराने चिकित्सालय मे अब तक मरम्मत तक नही होना अधिकारियों की लापरवाही उजागर कर रही है। वही 2015 मे सरकार द्धारा चिकित्सालय को पीपीमोड पर दे दिया गया जो चार वर्षों से पीपीमोड पर ही संचालित है। लेकिन फिर भी प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बेठकर किसी बड़े हादसे का इन्तजार कर रहा है।

Body:बूंदी में कहने को तो सरकार लाख दावे करें की हम मरीजों को बेहतर सुविधा उक्त चिकित्सा सुविधा और भवन आम जन को दे रहे है लेकिन बूंदी जिले के बामन गावं में यह सारे दावे फ़ैल साबित होते नजर आ रहे हैं यहां भवन पूरी तरह से खत्म हो चूका है दिवार से लेकर छत यहां तक की जहां तक अपनी निगाहे ले जा सके वहां तक आप दरारे देख सकते है। हर दम मरीजों से लेकर चिकित्सको तक मौत हाथ में लेकर जोखिम भरा काम किया जा रहा है।

नैनवा उपखण्ड के बामंन गाँव मे स्थित चिकित्सालय कभी भी धराशायी हो सकता है। चिकित्सालय का कोई कक्ष ऐसा नही जो जर्जर ना हो लेकिन फिर भी अधिकारी आखे बंद कर बेठे है। जानकारी के अनुसार चिकित्सालय भवन का निर्माण करीब 20 वर्ष पहले हुआ था जो अब जर्जर हालत में पहुच चुका है। कई बार प्रशासनिक अधिकारी चिकित्सालय का निरक्षण करने आये ओर हर बार मात्र कागजों में ही भवन कि मरम्मत होती रही । गाँव वालो ने बताया कि चिकित्सालय मे नया भवन बनवाने के लिऐ कई बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दे चुके हे लेकिन अब तक भवन की मरम्मत भी नही हुई है। गांव वालो ने बताया कि बारिश मे तो चिकित्सालय मे इलाज करवाने मे भी डर लगता हे कि कब चिकित्सालय धराशायी हो जाये। वही चिकित्सालय मे एक महिला चिकित्सक सहित करीब एक दर्जन कर्मचारी भी दहशत मे नोकरी कर रहे है। वही चिकित्सालय मे रोजना 50से 60 मरीजों कि ओ.पी.डी. रहती हे व महीने मे करीब10 डिलीवरी भी होती हे। वही नियमों के अनुसार प्रसुताओं को 48 घण्टे भर्ती किया जाता हे वही कक्षो कि हालत जर्जर होने से हमेशा बड़ी घटना होने खतरा रहता है। वही बारिश मे तो भवन मे बेठने कि जगह तक नही मिलती वही चिकित्सक भी मोत के साये मे मरीजों का ईलाज रहे है।






Conclusion:जानकारी के अनुसार बामंंन गांव चिकित्सालय पर करीब 21गांवों के मरीज इलाज के लिऐ आते है। वही क्षेत्र की लगभग 22 हजार करीब आबादी हे लेकिन प्रशासन के द्वारा 20 वर्ष पुराने चिकित्सालय मे अब तक मरम्मत तक नही होना अधिकारियों की लापरवाही उजागर कर रही है। या अधिकारी किसी बड़े हादसा होने का इन्तजार कर रहे हे। चिकित्सालय भवन मे कही जगहो पर से तो प्लास्टर तक कई भार स्टाफ व मरीजों पर गिर जाता हे। वही 2015 मे सरकार द्धारा चिकित्सालय को पीपीमोड पर दे दिया गया जो चार वर्षों से पीपीमोड पर ही संचालित है। लेकिन फिर भी प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बेठकर किसी बड़े हादसे का इन्तजार कर रहा है।

बाईट - सुनीता , अस्पताल इंचार्ज
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