बूंदी. राजस्थान में आगामी 25 नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में दलगत नेताओं के दौरे तेज हो गए हैं. आलम यह है कि सियासी दलों के स्टार प्रचारक एक दिन में कई चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं. साथ ही मतदाताओं लुभाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, प्रचार के दौरान एक-दूसरे पर जुबानी हमले भी हो रहे हैं. ऐसे में अगर बात बूंदी सीट की करें तो यहां भारतीय जनता पार्टी ने अशोक डोगरा पर दांव खेला है तो कांग्रेस ने हरिमोहन शर्मा को मैदान में उतारा है, लेकिन इन दोनों ही प्रत्याशियों के लिए भाजपा के दो बागी रूपेश शर्मा और गिर्राज शर्मा बड़ी चुनौती बन गए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो रूपेश शर्मा के पास अच्छी टीम है. इसलिए वे दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए चुनौती बने हुए हैं. ऐसे में इस बात की भी संभावना अधिक है कि कांग्रेस के साथ रहने वाले ब्राह्मण मतदाता भी रूपेश शर्मा की ओर रूख कर सकते हैं. यही वजह है कि बूंदी सीट अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
दोनों पार्टियों ने रिपीट किए उम्मीदवार: पूरी तरह से ब्राह्मण मतदाताओं के रुझान वाली इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने भी ब्राह्मण उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है. भाजपा के उम्मीदवार अशोक डोगरा चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. डोगरा लगातार तीन बार इस सीट से विधायक हैं. कांग्रेस ने पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा को मैदान में उतारा है. इन दोनों के बीच पिछला मुकाबला काफी दिलचस्प रहा था, जिसमें महज 750 वोट से ही भाजपा प्रत्याशी अशोक डोगरा को जीत मिली थी.
बागी बिगड़ रहे हैं समीकरण: बूंदी विधानसभा सीट से भाजपा से 2 नेता रुपेश शर्मा और गिर्राज शर्मा बगावत कर निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर मैदान में ताल ठोक रहे हैं. दोनों ही ब्राह्मण समाज से आते हैं. रुपेश शर्मा बीते लंबे समय से आंदोलन भी करते आए हैं. वहीं गिर्राज शर्मा भी केशोरायपाटन मिल को चालू करवाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. भाजपा युवा मोर्चा कोटा के अध्यक्ष भी रहे थे. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अशोक डोगरा को इस बार खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी हरिमोहन शर्मा राज्य सरकार की योजनाओं और बूंदी के पर्यटन की बात करते हुए वोट मांग रहे हैं. रुपेश शर्मा ब्राह्मण के वोटो में सेंध लगा रहे है. इससे हरिमोहन शर्मा और अशोक डोगरा दोनों को ही नुकसान हो रहा है.दूसरी तरफ गिर्राज शर्मा के पिता किसान संगठन से जुड़े हैं, ऐसे के वे किसानों के वोटों पर भी उनकी नजर है.
ब्राह्मण, मीणा और गुर्जर मतदाताओं की भरमार: जातीय समीकरण की बात की जाए तो बूंदी सीट पर करीब 65,000 के आसपास ब्राह्मण मतदाता हैं. दूसरा नंबर मीणा मतदाताओं का आता है जिनकी संख्या करीब 40 हजार के आसपास है.गुर्जर मतदाताओं की संख्या भी यहां करीब 35 हजार है. इलाके में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 28 हजार के आसपास है. वहीं डाबी खनन क्षेत्र से लेकर बूंदी की पेरीफेरी के कई गांव में भील समुदाय के मतदाता भी बड़ी संख्या में है.
बीते 10 चुनाव में 9 बार ब्राह्मण जीता: बूंदी विधानसभा सीट का इतिहास उठाकर देखें, तो यह सीट सामान्य सीट है, जिस पर शुरू से ही ब्राह्मण समाज का वर्चस्व रहा है. साल 1977 से लेकर अब तक हुए 9 चुनाव में आठ बार ब्राह्मण व महाजन समाज से जुड़े प्रत्याशी को जीत मिली है. ब्राह्मण प्रत्याशियों में अशोक डोगरा तीन बार, ममता शर्मा और ओमप्रकाश शर्मा दो बार, बृज सुंदर शर्मा व हरिमोहन शर्मा एक बार विधायक रहे हैं. जबकि महाजन समाज से कृष्ण कुमार गोयल यहां से विधायक बने हैं.
विकास और पर्यटन सबसे बड़ा मुद्दा: बूंदी विधानसभा एरिया का ग्रामीण क्षेत्र पिछड़ा हुआ है. यहां औद्योगिक इकाइयों की कमी, टूटी सड़कें, रोजगार के अवसरों की कमी, जगह-जगह हो रहे अतिक्रमण और अनियोजित विकास की समस्या है. विधानसभा क्षेत्र का काफी बड़ा हिस्सा ग्रामीण है. गांवों में आज भी बिजली, पानी, सड़कों, स्कूल,कॉलेज जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. पर्यटन नगरी होने के बाद भी यहां पर्यटकों के लिए कोई खास सुविधा नहीं है. अच्छे होटलों की कमी, पैलेस ऑफ व्हील का ठहराव नहीं होना, उच्च स्तरीय सुविधा युक्त पर्यटन सूचना केंद्र का नहीं होना, आरटीडीसी होटल का बंद होना, यहां तक की पर्यटक स्थलों में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव दिखाई देता है.
हाड़ौती में सबसे ज्यादा मतदाता वाली सीट, 12 प्रत्याशी मैदान में: बूंदी विधानसभा सीट पर 3 लाख 9 हजार 220 मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाता 1,57,799 और महिला वोटर 1,51418 हैं, जबकि 3 थर्ड जेंडर वोटर हैं. बूंद सीट पर 12 प्रत्याशी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. भाजपा प्रत्याशी अशोक डोगरा, कांग्रेस प्रत्याशी हरिमोहन शर्मा के अलावा भारतीय जनता पार्टी के बागी रुपेश शर्मा भी मैदान में डटे हैं. इसके अलावा आम आदमी पार्टी से किशनलाल, बहुजन समाजवादी पार्टी से सीता मीणा अभिनव लोकतांत्रिक पार्टी से राकेश गोस्वामी, आजाद समाजवादी पार्टी कांशीराम से लक्ष्मण लाल, निर्दलीय गिर्राज शर्मा, प्रकाश चंद बंजारा, रहीमुद्दीन, राधेश्याम और सोनम मोरलिया शामिल है.