बूंदी. विधानसभा चुनाव 2023 में बूंदी जिले ने प्रदेश में चली भाजपा की लहर के विपरीत परिणाम दिए. जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया. इस तरह बूंदी जिले ने 46 साल पहले के इतिहास को दोहराया और एक ही पार्टी की सारी सीटें दी. दरअसल, परिसीमन से पहले 1977 से 2008 तक जिले में चार विधानसभा सीटें बूंदी, हिंडौली, केशवरायपाटन व नैनवां हुआ करती थी. 1977 के विधानसभा चुनाव के अलावा कभी भी एक ही पार्टी को जिले की सारी सीटें नहीं मिली. 1977 में ही सभी सीटें जनता पार्टी के खाते में गई थी. अब 2023 के चुनाव में जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया.
1977 के बाद कुछ इस तरह रहे परिणाम : 1980 के चुनाव में कांग्रेस तीन सीटों बूंदी, नैनवां व हिंडोली में जीती तो एक सीट केशवरायपाटन जनता पार्टी के खाते में गई. 1985 के चुनाव में इससे ठीक उलटा हुआ. चार में से तीन सीटें हिंडोली, नैनवां और केशवरायपाटन से भाजपा जीती तो कांग्रेस बूंदी सीट से जीती. 1990 के चुनाव में चार में से दो सीटों नैनवां व हिंडोली पर कांग्रेस तो बूंदी और केशवरायपाटन पर भाजपा जीती. 1993 के विधानसभा चुनाव में भी चार में से दो बूंदी व केशवरायपाटन पर भाजपा तो नैनवां व हिंडोली पर कांग्रेस जीती.
1998 के चुनाव में बूंदी, हिंडोली व केशवरायपाटन पर कांग्रेस तो नैनवां से भाजपा जीती. 2003 के चुनाव में बूंदी, हिंडोली व नैनवां से कांग्रेस तो केशवरायपाटन से भाजपा जीती. परिसीमन के बाद 2008 में जिले में तीन सीटें ही रह गई. इस चुनाव में बूंदी व हिंडोली से भाजपा तो केशवरायपाटन से कांग्रेस जीती. 2013 के चुनाव में बूंदी व केशवरायपाटन से भाजपा तो हिंडोली से कांग्रेस जीती. 2018 के चुनाव में बूंदी व केशवरायपाटन से भाजपा तो हिंडोली से कांग्रेस जीती. अब 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिले की सभी सीटों पर जीत दर्ज की है.
प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिला है. प्रदेश में सरकार भाजपा की बनेगी. ऐसे में राजनीतिक पंडित मानते हैं कि इन 5 सालों में बूंदी को विकास की दृष्टि से उपेक्षा झेलनी पड़ेगी. ऐसे में बूंदी जिले के विकास की जिम्मेदारी अब 5 साल के लिए भाजपा के हारे हुए उम्मीदवारों पर होगी.