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बूंदी में धूमधाम से मनाई गई जन्माष्टमी... 50 से ज्यादा जगहों पर फूटी मटकियां

बूंदी में शनिवार को कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई. मंदिरों और घरों में झांकियां सजाई गई. कृष्ण भक्तों ने उपवास रखा. वहीं, ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार जन्माष्टमी के मौके पर शुभ और अद्भुत योग बना.

janmashtmi news, बूंदी में जन्माष्टमी
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Published : Aug 25, 2019, 4:44 AM IST

बूंदी. जिले में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. शहर के विभिन्न मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष झांकी का आयोजन किया गया. वहीं ज्योतिष के अनुसार इस बार जन्माष्टमी के मौके पर ऐसा शुभ और अद्भुत योग बना, जो कि करीब 50 हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर बना था. बताया जाता है कि भगवान कृष्ण के जन्म के समय अष्टमी की तिथि और रोहिणी नक्षत्र था.

बूंदी में 50 से ज्यादा जगहों पर कान्हा ने फोड़ी मटकियां

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बूंदी के मंदिरों देर रात तक भक्तों चहल-पहल रही. शहर के प्रमुख मंदिरों में से रंगनाथ जी का मंदिर, गोपाल मंदिर, चारभुजा जी, गीता भवन, मालन मासी, तिवारी पाड़ा, सब्जी मंडी के पीछे मंदिर, विकास नगर और रजत ग्रह के साथ राधा कृष्ण मंदिर इंदिरा कॉलोनी, मोची बाजार, ठठेरा बाजार स्थित राधाकृष्ण मंदिर, रावभाव सिंह के मंदिर, दूधेश्वर महादेव सहित अन्य मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई. वहीं शहर के मोहल्लों में मंदिरों सहित 50 से ज्यादा जगहों पर कान्हा ने मटकी फोड़ी.

बूंदी. जिले में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. शहर के विभिन्न मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष झांकी का आयोजन किया गया. वहीं ज्योतिष के अनुसार इस बार जन्माष्टमी के मौके पर ऐसा शुभ और अद्भुत योग बना, जो कि करीब 50 हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर बना था. बताया जाता है कि भगवान कृष्ण के जन्म के समय अष्टमी की तिथि और रोहिणी नक्षत्र था.

बूंदी में 50 से ज्यादा जगहों पर कान्हा ने फोड़ी मटकियां

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बूंदी के मंदिरों देर रात तक भक्तों चहल-पहल रही. शहर के प्रमुख मंदिरों में से रंगनाथ जी का मंदिर, गोपाल मंदिर, चारभुजा जी, गीता भवन, मालन मासी, तिवारी पाड़ा, सब्जी मंडी के पीछे मंदिर, विकास नगर और रजत ग्रह के साथ राधा कृष्ण मंदिर इंदिरा कॉलोनी, मोची बाजार, ठठेरा बाजार स्थित राधाकृष्ण मंदिर, रावभाव सिंह के मंदिर, दूधेश्वर महादेव सहित अन्य मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई. वहीं शहर के मोहल्लों में मंदिरों सहित 50 से ज्यादा जगहों पर कान्हा ने मटकी फोड़ी.

Intro:बूंदी जिले में शनिवार को कृष्ण जन्माष्टमी श्रद्धा के साथ मनाई गई । मंदिरों और घरों में झांकियां सजाई गई । साथ ही कृष्ण भक्त पास रखते हुए नजर आए तो मंदिरों और घरों में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम रही ।


Body:छोटीकाशी बूंदी में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया । शहर के विभिन्न मंदिरों और जिलों के विभिन्न मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष झांकी का आयोजन किया गया और धूमधाम से लोग वहां उत्साह के साथ नजर आए । शहर के प्रमुख मंदिरों में से रंगनाथ जी का मंदिर, गोपाल मंदिर ,चारभुजा जी , गीता भवन , मालन मासी, तिवारी पाड़ा, सब्जी मंडी के पीछे मंदिर ,विकास नगर व रजत ग्रह के साथ राधा कृष्ण मंदिर इंदिरा कॉलोनी , मोची बाजार, ठठेरा बाजार स्थित राधाकृष्ण मंदिर , रावभाव सिंह के मंदिर, दूधेश्वर महादेव सहित अन्य मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। वहीं शहर में मोहल्लों में मंदिरों सहित 50 से ज्यादा जगहों पर कान्हा माखन की मटकी फोड़ेंगे । रात 12:00 बजे कृष्ण का अवतरण होगा। पूजा ,दर्शन आरती के बाद श्रद्धालुओं को पिंजिरी बांटी जाएगी । रात 1:00 बजे तक भी शहर में श्रद्धालुओं की चहल-पहल रहेगी ।

अष्टमी या भगवान कृष्ण की जयंती भद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है । भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है । अष्टमी की रात 12:00 बजे भगवान कृष्ण का सांकेतिक रूप से जन्म होने पर व्रत का परायण किया जाता है । बहुत से लोग मथुरा जाकर भगवान कृष्ण की जन्म भूमि का दर्शन करते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस बार जन्माष्टमी के मौके पर शुभ एवं अदबुत योग बन रहा है जो कि करीब 50000 वर्ष पूर्व युग के भगवान श्री कृष्ण का जन्म पर बना था । पंडित के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्म के समय अष्टमी की तिथि और रोहिणी नक्षत्र था ।


Conclusion:पुरातत्व इतिहास के जानकार पुरुषोत्तम पारीक ने कहा कि बूंदी कृष्ण नगरी है। बूंदी के महाराव उम्मेद सिंह के शासनकाल में कृष्ण भक्ति का प्रसार शुरू हुआ । इसी परंपरा को विष्णु सिंह राम सिंह और उनके उत्तरदायित्व में आगे बढ़ाया । विष्णु सिंह के पूर्व शासकों के शिलालेख श्री राम जी लिखा मिलता था । मगर मैं उम्मेद सिंह के शासनकाल से शिलालेखों पर रंगनाथ जी जयते लिखा जाने लगा । कृष्ण के मंदिरों ,कृष्ण भक्ति भित्तिचित्र का विस्तार होने लगा। विश्व विख्यात चित्रशाला में कृष्ण लीलाओं के चित्र बड़ी संख्या में बनाए गए इनमे से कृष्ण सुभद्रा , महारास , गोवर्धनधारी ,वस्त्रसत्र आदि । कृष्ण-राम की दुर्लभ पेंटिंग भी है। जिसमें कृष्ण बांसुरी बजा रहा है साथ ही दोनों ही धनुष धारण कर रखा है ।

गढ़ में स्थित आनंद जी का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर ,गोपाल जी का मंदिर ,बलदाऊ जी का मंदिर ,लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर, चारभुजा मंदिर, कल्याण राय जी का मंदिर, के पाटन में केशवराव राय जी का मंदिर, राम सिंह जी के शासनकाल में कुआ बावड़ी में विष्णु के साथ ही कृष्ण की बांसुरी वादन की मूर्तियां बनाई गई । तारागढ़ के टांके में बांसुरी बजाते हुए कृष्ण , छत्रमहल तो कृष्ण से रंग से रंगा हुआ है। बादल महल की छत पर कृष्ण लीलाओं से भरी है । बूंदी के ज्यादातर मंदिरों में किससे कृष्ण एवं विष्णु से संबंधित है ।

बाईट - पुषोत्तम पारीक , इतिहासकार
बाईट - अशोक जैन , सामाजिक कार्यकर्ता
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