ETV Bharat / state

स्पेशल स्टोरी: बूंदी के घास भैरू महोत्सव में दिखा हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन, किसी का सिर कटा तो कहीं पानी में तैरती नजर आई बाइक

author img

By

Published : Oct 30, 2019, 1:40 PM IST

बूंदी में भाई दूज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. हर साल की तरह इस साल भी यहां हैरत और अनूठे आयोजन हुए. भाई दूज के मौके पर लोक देवता घास भैरू का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें बैलों को दौड़ाया जाता है और उनके पीछे पूरा गांव दौड़ता है. जिले के कई गांवों में ऐसे हैरतअंगेज कार्यक्रम होते हैं.

Amazing feat seen in mahotsav , बूंदी न्यूज, bundi news, special story bundi, स्पेशल खबर, स्पेशल स्टोरी, ईटीवी भारत की स्पेशल खबर, Special news, special story, special news of ETV Bharat

बूंदी. भाई दूज के अवसर पर जिले के बड़ोदिया, टिकरदा, सथूर, सहित करीब 6 से अधिक गांवों में मंगलवार सुबह से ही घास भैरू महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें स्थानीय कलाकार विचित्र वेशभूषा में लोगों का मनोरंजन करते नजर आए. दिन चढ़ने के साथ ही यह कार्यक्रम शुरु हुआ, जिसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़े.

बूंदी के घास भैरू महोत्सव में दिखा हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन

दरअसल, इस दिन गांव की गलियां सुबह से ही ग्रामीणों के हुजूम से भर जाती हैं और फिर दोपहर से उत्सव शुरू होता है. बता दें कि गांव की मुख्य गलियों में स्थानीय निवासी अलग-अलग रूप धारण कर नाच गाकर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं. गांव की सड़कों पर किसी व्यक्ति का सिर कटा मिला, तो किसी का पैर जमीन पर कटा हुआ मिला. इतना ही नहीं किसी व्यक्ति का पूरा शरीर ही जमीन में समाधि लेते हुए दिखाई दिया.

यह भी पढ़ें: कोटा ACB की भीलवाड़ा में बड़ी कार्रवाई, माइनिंग इंजीनियर और दलाल 4 लाख की रिश्वत लेते ट्रैप

यही नहीं कोई नुकीले कांटे की होली खेलता मिला तो कोई जंगली जानवरों से खेलता नजर आया. इसे देखकर लोग हैरान थे. वहीं कई कलाकार पति-पत्नी का रूप बनाए थे और आपस में मिलकर लोक गीत गाते नजर आए. कुछ बच्चे शराबी का रूप धारण किए हुए मिले. कोई कैमरामैन का रुप धारण किए हुए मिला तो कोई शरारती तत्व बनकर सरेआम महिलाओं को छेड़ता हुआ दिखाई दिया.

ये सभी बातें आपको महज एक किस्सा कहानी लग रही होगी. लेकिन यह सच है, यह सब घास भैरू महोत्सव के तहत होता है. जिले भर के हजारों ग्रामीण इकट्ठा होते हैं और मिल जुल कर इस महोत्सव का आनंद लेते हैं.

यहां पांच से अधिक गांवों में होते हैं अनूठे आयोजन, जैसे कि...

व्यक्ति का सिर काटना, पैर काटना, सिर का पानी में तैरना, मोटर साइकिल को कुंड में पत्थर की पट्टी तैरना, कांच के गिलास पर कार खड़ी करना, ट्रैक्टर-ट्रक सहित आदि खड़े करना , अपने जादू से पानी के चरे को घुमाना, एक धागे पर 10 से अधिक पत्थर की ईंट, फूलों की माला पर साइकिल और बाइक लटकाना, अन्य वजनी सामानों को लटकाना, विभिन्न प्रतिमाओं से पानी के फव्वारे निकालना, नोटों पर वाहनों को खड़ा करना, कांच की छोटी बोतल में विभिन्न बड़ी चीजों को भरना, जमीन से पानी निकालना और जादुई कला से शरीर पर तलवार व अन्य धातुओं से जख्म देना आदि. ऐसे अनूठे करतब इन गांव में आज भी होते हैं.

यह भी पढ़ें: अजमेर दरगाह में पाकिस्तानी जायरीनों से नहीं लिया जाता पैसा, करतारपुर साहिब के लिए चार्ज वसूलना गलत: अमीन पठान

सदियों से चल रही परंपरा

भाई दूज के दिन इन गांव में उल्लास और उमंग का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. पूरे गांववासी मिलकर यह उत्सव मनाते हैं. इस उत्सव की परंपरा सदियों से चली आ रही है. विभिन्न जादू करतब और सुंदर झांकियां इस उत्सव में दिखाई देते हैं. इन करतबों में कई बड़े हैरतअंगेज कारनामे होते हैं. हालांकि यह सभी करतब हाथ की सफाई का कमाल होते हैं. बड़ोदिया, सथूर, टिकरदा गांव में घास भैरू की सवारी देखने के लिए राज्य भर से लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है. स्थानीय निवासी विमल शर्मा और महावीर ने बताया कि घास भैरू की सवारी में पानी के पत्थर का जादू, मधुमक्खियों का छत्ता लटकाना सहित कई प्रदर्शन किए जाते हैं. शाम को बैलों की जोड़ी से घास भैरू को खींचते हैं और लोग ढोल मंजीरे बजाते हुए चलते हैं. फिर घास भैरू को ससुराल से पीहर ले जाया जाता है.

यह भी पढ़ें: कोटा में मौत का कहर बनी चलती कार, चालक जिंदा जला

विशेष तौर पर होती है बैलों की पूजा

इस दिन विशेष तौर पर बैलों की पूजा की जाती है और बैलों के साथ बांधकर लोक देवता घास भैरू की सवारी पूरे गांव में निकाली जाती है. बैलों के पीछे लोक देवता घास भेरू का प्रतीक एक पत्थर रस्सी से खींचा जाता है. केसरिया रंग के घास भैरू को बैल खींचते हैं और पूरे गांव की परिक्रमा लगाते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से देवता खुश हो जाते हैं. यह सब आयोजन ग्रामीण अपने स्तर पर ही करते हैं. कलाकारों और ग्रामीणों की मांग है कि राज्य सरकार के सहयोग में आर्थिक सहायता दें. ताकि इस परंपरा को लंबे अरसे तक जिंदा रखा जा सके.

बूंदी. भाई दूज के अवसर पर जिले के बड़ोदिया, टिकरदा, सथूर, सहित करीब 6 से अधिक गांवों में मंगलवार सुबह से ही घास भैरू महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें स्थानीय कलाकार विचित्र वेशभूषा में लोगों का मनोरंजन करते नजर आए. दिन चढ़ने के साथ ही यह कार्यक्रम शुरु हुआ, जिसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़े.

बूंदी के घास भैरू महोत्सव में दिखा हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन

दरअसल, इस दिन गांव की गलियां सुबह से ही ग्रामीणों के हुजूम से भर जाती हैं और फिर दोपहर से उत्सव शुरू होता है. बता दें कि गांव की मुख्य गलियों में स्थानीय निवासी अलग-अलग रूप धारण कर नाच गाकर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं. गांव की सड़कों पर किसी व्यक्ति का सिर कटा मिला, तो किसी का पैर जमीन पर कटा हुआ मिला. इतना ही नहीं किसी व्यक्ति का पूरा शरीर ही जमीन में समाधि लेते हुए दिखाई दिया.

यह भी पढ़ें: कोटा ACB की भीलवाड़ा में बड़ी कार्रवाई, माइनिंग इंजीनियर और दलाल 4 लाख की रिश्वत लेते ट्रैप

यही नहीं कोई नुकीले कांटे की होली खेलता मिला तो कोई जंगली जानवरों से खेलता नजर आया. इसे देखकर लोग हैरान थे. वहीं कई कलाकार पति-पत्नी का रूप बनाए थे और आपस में मिलकर लोक गीत गाते नजर आए. कुछ बच्चे शराबी का रूप धारण किए हुए मिले. कोई कैमरामैन का रुप धारण किए हुए मिला तो कोई शरारती तत्व बनकर सरेआम महिलाओं को छेड़ता हुआ दिखाई दिया.

ये सभी बातें आपको महज एक किस्सा कहानी लग रही होगी. लेकिन यह सच है, यह सब घास भैरू महोत्सव के तहत होता है. जिले भर के हजारों ग्रामीण इकट्ठा होते हैं और मिल जुल कर इस महोत्सव का आनंद लेते हैं.

यहां पांच से अधिक गांवों में होते हैं अनूठे आयोजन, जैसे कि...

व्यक्ति का सिर काटना, पैर काटना, सिर का पानी में तैरना, मोटर साइकिल को कुंड में पत्थर की पट्टी तैरना, कांच के गिलास पर कार खड़ी करना, ट्रैक्टर-ट्रक सहित आदि खड़े करना , अपने जादू से पानी के चरे को घुमाना, एक धागे पर 10 से अधिक पत्थर की ईंट, फूलों की माला पर साइकिल और बाइक लटकाना, अन्य वजनी सामानों को लटकाना, विभिन्न प्रतिमाओं से पानी के फव्वारे निकालना, नोटों पर वाहनों को खड़ा करना, कांच की छोटी बोतल में विभिन्न बड़ी चीजों को भरना, जमीन से पानी निकालना और जादुई कला से शरीर पर तलवार व अन्य धातुओं से जख्म देना आदि. ऐसे अनूठे करतब इन गांव में आज भी होते हैं.

यह भी पढ़ें: अजमेर दरगाह में पाकिस्तानी जायरीनों से नहीं लिया जाता पैसा, करतारपुर साहिब के लिए चार्ज वसूलना गलत: अमीन पठान

सदियों से चल रही परंपरा

भाई दूज के दिन इन गांव में उल्लास और उमंग का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. पूरे गांववासी मिलकर यह उत्सव मनाते हैं. इस उत्सव की परंपरा सदियों से चली आ रही है. विभिन्न जादू करतब और सुंदर झांकियां इस उत्सव में दिखाई देते हैं. इन करतबों में कई बड़े हैरतअंगेज कारनामे होते हैं. हालांकि यह सभी करतब हाथ की सफाई का कमाल होते हैं. बड़ोदिया, सथूर, टिकरदा गांव में घास भैरू की सवारी देखने के लिए राज्य भर से लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है. स्थानीय निवासी विमल शर्मा और महावीर ने बताया कि घास भैरू की सवारी में पानी के पत्थर का जादू, मधुमक्खियों का छत्ता लटकाना सहित कई प्रदर्शन किए जाते हैं. शाम को बैलों की जोड़ी से घास भैरू को खींचते हैं और लोग ढोल मंजीरे बजाते हुए चलते हैं. फिर घास भैरू को ससुराल से पीहर ले जाया जाता है.

यह भी पढ़ें: कोटा में मौत का कहर बनी चलती कार, चालक जिंदा जला

विशेष तौर पर होती है बैलों की पूजा

इस दिन विशेष तौर पर बैलों की पूजा की जाती है और बैलों के साथ बांधकर लोक देवता घास भैरू की सवारी पूरे गांव में निकाली जाती है. बैलों के पीछे लोक देवता घास भेरू का प्रतीक एक पत्थर रस्सी से खींचा जाता है. केसरिया रंग के घास भैरू को बैल खींचते हैं और पूरे गांव की परिक्रमा लगाते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से देवता खुश हो जाते हैं. यह सब आयोजन ग्रामीण अपने स्तर पर ही करते हैं. कलाकारों और ग्रामीणों की मांग है कि राज्य सरकार के सहयोग में आर्थिक सहायता दें. ताकि इस परंपरा को लंबे अरसे तक जिंदा रखा जा सके.

Intro:देश मे दीवाली महोत्सव की धूम है वही बूंदी में आज भाईदूज के पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है । हर वर्ष आज के दिन हैरत ओर अनूठे आयोजन होते है । इस कला को देख हर कोई दांतो तले उंगलिया दबा लेता है । दीपावली के ठीक दो दिन भाई बाद भाईदूज के अवसर पर लोक देवता घास भेरू का उत्सव मनाया जाता है । जहां बेलो के दौड़ाया जाता है और बेलो के पीछे पूरे गावँ वाले चलते है और दौड़ते है । जिले के आधा दर्जन गांवों में इस तरह के लोकदेवता के साथ साथ हैरत अंगेज कार्यक्रम होते है । जिसमे पूरे जिले के लोग उमड़ते है ।


Body:बूंदी जिले के बड़ोदिया, टिकरदा, सथूर, सहित आधा दर्जन भर गांव में सुबह से ही घास भेरू महोत्सव का आयोजन किया गया ।यहां पर स्थानीय कलाकार विचित्र वेशभूषा में लोगों का मनोरंजन करते हुए नजर आए । गांव की गली एवं नुकड़ो पर जुलूस के रूप में हास्य का वातावरण पैदा वेशभूषा में कलाकारों ने किया। दिन चढ़ने के साथ ही यहां पर मौसम परवान चढ़ता नजर आया दोपहर बाद यहां पर कलाकारों द्वारा विशेष हैरत अंगेज करतब करना शुरू कर दिया गया। इसे देखने के लिए देश-विदेश के एवं विभिन्न गांवों के लोग यहां आए । पर्यटक भी इस दौरान इस अनूठे आयोजन को देखने मे पीछे नही रहे ।

पूरे बूंदी जिले में हजारों की संख्या में ग्रामीण व शहरी लोग इस उत्सव में भाग लेने के लिए टिकरदा गांव, बड़ोदिया गांव, सथूर गावँ सहित आधा दर्जन भर गांव में एकर्त्रित होते हैं और गांव की गलियां सुबह से ही ग्रामीणों के हुजुम से भर जाती है और फिर दोपहर से उत्सव शुरू होता है और गांव की मुख्य गलियों में स्थानीय निवासी अलग-अलग रूप में बनाकर नाच गाना गाकर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं । गांव के सड़कों पर किसी व्यक्ति का सर कटा हुआ होता है तो किसी का पैर जमीन पर कटा होता है और आगे चलते हैं तो व्यक्ति का पूरा शरीर ही जमीन में समाधि लिए हुए होता है तो कोई व्यक्ति नुकेली कांटे की होली खेल रहा हुआ होता है तो कोई जंगली जानवरों से खेल रहा हुआ होता है । इन सब को देख कर आप और हम दांतो तले उंगली दबा लेंगे । आगे चले तो कहीं पर कोई कलाकार पति-पत्नी का रूप बनकर मिलकर लोक गीत गा रहे थे तो कुछ बच्चे शराबी का रूप बनकर बैठे हुए थे तो कोई शेर बना हुआ था तो कोई जोकर बना हुआ था एक ग्रामीण सबसे आगे चल रहा था मानो अभी-अभी बंदूक से शिकार करेगा ,कोई व्यक्ति कैमरामैन था तो कोई आधी मानव थे तो कोई शरारती तत्व थे जो सरेआम महिलाओ को छेड़ रहे थे और पुलिस उन्हें बंदूक लेकर पीछे से पकड़ रही थी । यह सब बातें आपको महज एक किस्सा कहानी लगती होगी लेकिन यह सच है यह सब घास भेरू महोत्सव के तहत होता है । जिले के हजारों ग्रामीण इकट्ठा होते हैं सभी ग्रामीण मिलजुल कर खूब धूम-धड़ाके करते हैं दर्जन भर गांव में होने वाले इस आयोजन के जादूगर करतब देखने को मिलते हैं ।

बूंदी जिले के आधा दर्जन भर गांव में होते हैं अनूठे आयोजन

व्यक्ति का सिर काटना, पैर काटना , सिर को पानी में तैरना, मोटरसाइकिल को कुंड में पत्थर की पट्टी तैरना , कांच के गिलास कार खड़ी करना ,ट्रैक्टर ,ट्रक सहित आदि खड़े करना ,अपने जादू से पानी के चरे को घुमाना, एक धागे पर दर्जन भर पत्थर की ईट , फूलों की माला साइकल एवं बाइक लटकाना,अन्य वजनी सामानों को लटकाना, विभिन्न प्रतिमाओं से पानी के फव्वारे निकालना ,नोटों पर वाहनों को खड़ा करना , कांच की छोटी बोतल में विभिन्न बड़ी चीजों को भरना ,जमीन से पानी निकालना व जादुई कला से शरीर पर तलवार व अन्य धातुओं से जख्म देना आदि इन अनूठे करतब इन गांव में आज के दिन होते हैं और पूरा गांव हुझुम में नजर आता है और भी कोतुहल का विषय बनने वाली जादुई भरे आयोजन होते।

आज के दिन इन गांव में उल्लास और उमंग का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है पूरे गांव वाशी मिलकर उत्सव मनाते हैं। इस उत्सव की परंपरा सदियों से चली आ रही है । विभिन्न जादू करतब ओर सुंदर झांकियां इस उत्सव में दिखाई देते हैं । इन करतबों में कई बड़े हैरत अंगेज कारनामे होते हैं । हालांकि यह सभी करतब हाथ की सफाई का कमाल होते हैं। गांव की बावड़ी में भारी वजनी पत्थर पानी में तैरते हुए दिखाई देते हैं , वहीं पर आसमान की ऊंचाई पर हैरतअंगेज कलाकारी से पत्थर के लटके दिखाए जाते हैं , मोटरसाइकिल को कांच के गिलास पर खड़ा कर दिया जाता है , बाइक को मुर्गे यानी जानवर पर , गुबबरे पर ट्रक खड़ा करना । यह सभी दृश्य देखकर एक बार तो ऐसा लगता है मानो जादू नगरी में आ गए हो । सभी ग्रामीणों को अच्छा मानते हैं नाचते गाते हैं । पूरा धमाल शाम तक चलता है । बड़ोदिया,सथूर, टिकरदा, गावँ में घास भेरू की सवारी देखने के लिए राज्य भर से लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है ।

स्थानीय निवासी विमल शर्मा व महावीर ने बताया कि घास भेरू की सवारी में पानी के पत्थर का जादू ,मधुमक्खियों का छत्ता लटकाना ,कच्चे सूत पर पत्थर लटकाना ,शंकर की जटा से पानी निकालना ,तलवार पर मोटरसाइकिल खड़ी करना ,हाथ पैर करतब से काटना ,नोटों पर बाइक की खड़ी करना सहित आदि प्रदर्शन किए जाते हैं । शाम को बैलों की जोड़ी से घास भेरू को खींचते है और लोग ढोल मंजीरे बजाते हुए चलते हैं । फिर घास भेरू को ससुराल से पीहर ले जाया जाता है ।


Conclusion:स्थानीय निवासी घास भेरू को खींचते हैं जिसमें युवा, बच्चे रस्सी को खींचते हुए जयकारे लगाते हुए चलते हैं । गांव में पहले बैलों से घास भेरू को घुमाते हैं । गांव के चारों ओर परिक्रमा लगाकर उनको यथा स्थान बालाजी के मंदिर के पास रखा जाता है । सवारी में हैरतअंगेज करतब को देखकर ग्रामीण रोमांचित हो जाते हैं । 2 दर्जन से अधिक बैलों की जोड़ियों को घास भेरू के जोतने के बाद लोग को बार-बार पीछे हटाना का काम ग्रामीण करते हैं ।

इस दिन विशेष तौर पर बैलों की पूजा की जाती है और बेलो के साथ बांधकर लोक देवता घास भेरू के सवारी पूरे गांव में निकाली जाती है बालों के पीछे लोक देवता घास भेरू का प्रतीक एक पत्थर रस्सी से खींचा जाता है । केसरिया रंग के घास भेरू को बेल खींचते हैं और पूरे गांव की परिक्रमा लगाते हैं । ऐसी मान्यता है कि अनुष्ठान करने से सदैव देवता खुश हो जाते हैं। यह सब आयोजन ग्रामीण अपने स्तर पर ही करते हैं कलाकारों व ग्रामीणों की मांग की राज्य सरकार के सहयोग में आर्थिक सहायता दें ताकि इस परंपरा को लंबे अरसे तक जिंदा रख सके ।

बाईट - विमल शर्मा , स्थानीय निवासी
बाईट - महावीर , बुजुर्ग
बाईट - दिनेश , दर्शक
बाईट - अर्चना , गृहणी
बाईट - ग्यारसी लाल , कलाकर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.