बूंदी. बंसीलाल खुदकुशी प्रकरण में 13 दिन से धरना दे रहे माली समाज के प्रतिनिधि मंडल और जिला प्रशासन के बीच वार्ता सफल हो गई है और प्रशासन के आश्वासन के बाद 13 दिन से जारी धरने को बंसीलाल परिवार और संघर्ष समिति ने धरना समाप्त कर दिया है. जिला प्रशासन कि ओर से आश्वासन दिया गया कि प्रकरण में पुलिस जांच 15 दिन में पूरी कर ली जाएगी और राज्य सरकार की जो भी योजना पात्र परिवार को मिले उनके सदस्य को दी जाएगी.
बता दें कि जिले के तालेड़ा थाना इलाके के निवासी बंसी लाल सैनी इलाके में डेयरी संचालक था और एक साल पूर्व उसने अचानक से अपने घर में खुदकुशी कर ली. इस दौरान मृतक के पास से एक सुसाइड नोट मिला जिसमें आरोप था कि कोटा सरस डेयरी के अध्यक्ष और पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल के भाई श्री लाल गुंजल व अन्य दो लोग रुपए लेन-देन को लेकर लगातार धमकियां देकर प्रताड़ित कर रहे थे. जिसके चलते बंसीलाल ने खुदकुशी कर ली.
इस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की लेकिन पुलिस द्वारा जांच में सुसाइड नोट को सत्यापित नहीं बताया. वहीं इस मामले में पीड़ित परिवार सामने आया तो माली समाज के लोगों ने भी आंदोलन करना शुरू कर दिया. विधानसभा चुनाव के पहले भी माली समाज के लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था लेकिन ना आरोपी की गिरफ्तारी हुई ना पीड़ित परिवार को मुआवजा मिला. ऐसे में माली समाज चुनाव होने के चलते शांत हो गया वहीं लोकसभा चुनाव संपन्न होने के साथ ही माली समाज के लोग क्षेत्र में दौरा कर आंदोलन की रूप रेखा फिर से शुरू करने लगे और उन्होंने 17 जून को बूंदी जिला कलेक्ट्रेट पर महापड़ाव लगाने की चेतावनी जिला प्रशासन को दी. महापड़ाव पर 48 घण्टे में कार्रवाई की बात प्रशासन ने दी इस पर माली समाज के लोग कलेक्ट्रेट के बाहर धरना लगाकर बैठ गए उसी के बाद से शनिवार तक धरना जारी था.
शनिवार को धरने के 13 दिन बाद प्रतिनिधि मंडल की वार्ता जिला कलेक्टर से होने के बाद धरना समाप्त करने की बात हुई इस पर उपखंड अधिकारी कमल कुमार मीणा धरना स्थल पर पहुंचे और प्रतिनिधिमंडल में जो धरना दे रहे थे उन्हें जूस पिलाकर धरना समाप्त करवाया. एसडीएम ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया गया कि प्रकरण में पुलिस की जांच 15 दिन में पूरी कर ली जाएगी. साथ ही राज्य सरकार की पात्र योजना में भी परिवार के सदस्यों को लाभ दिया जाएगा. लेकिन प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर 15 दिन बाद भी जांच पूरी नहीं होती है या फिर परिवार को कोई योजना का लाभ नहीं मिलता है तो फिर से आंदोलन करेंगे.