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बीकानेर की 9 पंचायत समितियों में कांग्रेस ने 5 और बीजेपी ने 3 पर जमाया कब्जा, एक पर निर्दलीय ने मारी बाजी

बीकानेर में जिला प्रमुख और पंचायत समिति प्रधान चुनाव में जहां कांग्रेस का जिला प्रमुख बना, तो वहीं 9 पंचायत समितियों में से 5 पर कांग्रेस ने तो 3 पर भाजपा और 1 पर भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी ने अपना कब्जा जमाया.

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जिला प्रमुख और पंचायत समिति प्रधान चुनाव नतीजे
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Published : Dec 11, 2020, 8:39 AM IST

बीकानेर. जिले के जिला परिषद में एक बार फिर जहां कांग्रेस का जिला प्रमुख बना तो वहीं 9 पंचायत समितियों में से 5 पर कांग्रेस कब्जा करने में सफल रही. साथ ही तीन पंचायत समितियों में भाजपा ने अपना प्रधान बनाया और एक पंचायत समिति में कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय ताल ठोक के प्रत्याशी को भाजपा ने समर्थन दिया और भाजपा समर्थित प्रत्याशी ने जीत हासिल की.

जिला प्रमुख और पंचायत समिति प्रधान चुनाव नतीजे

बीकानेर पंचायत समिति में भाजपा और कांग्रेस के अलावा एक निर्दलीय और एक कांग्रेस से बागी होकर प्रत्याशी मैदान में उतरे और 4 प्रत्याशियों के मुकाबले कांग्रेस ने यहां बाजी मारी. कांग्रेस के लालचंद आसोपा बीकानेर पंचायत समिति के प्रधान बने, कोलायत और पूगल में निर्विरोध निर्वाचन कोलायत विधानसभा की कोलायत पंचायत समिति में पुष्पा देवी सेठिया कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में निर्विरोध निर्वाचित हुई. वहीं, जिले की नवगठित पूगल पंचायत समिति में खाजूवाला विधायक गोविंद मेघवाल के पुत्र गौरव निर्विरोध प्रधान निर्वाचित हुए.

इसके अलावा, लूणकरणसर कांग्रेस के कब्जे में रही लूणकरणसर पंचायत समिति में इस बार भगवा लहराया और लूणासर विधायक सुमित गोदारा के प्रयासों से भाजपा यहां बहुमत में आने के बाद अपना प्रधान बनाने में सफल रहीं. भाजपा की काशीराम गोदारा पंचायत समिति में प्रधान बने नोखा पंचायत समिति कांग्रेस और भाजपा दोनों ही यहां बराबरी पर थी, लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस में हुई क्रॉस वोटिंग से भाजपा प्रत्याशी रामप्यारी तरड़ प्रधान चुनी गई.

पढ़ें: 20 जिलों में से 12 में बना भाजपा का जिला प्रमुख, कांग्रेस को 5 जिलों में करना पड़ा संतोष

साथ ही पांचू पंचायत समिति नोखा की तरह पांचू पंचायत समिति में भी भाजपा और कांग्रेस बराबर थी और दारोमदार निर्दलीय पर था लेकिन नोखा की कसर को निकालते हुए पांचू पंचायत समिति में कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ते हुए मैना देवी को प्रधान बनाया. वहीं, श्रीडूंगरगढ़ पंचायत समिति में कांग्रेस बहुमत से एक के आंकड़े से दूर थी, लेकिन चुनाव के दिन भाजपा सीपीएम और निर्दलीय के मुकाबले कांग्रेस के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा अपनी पुत्र वधू सावित्री देवी को प्रधान बनाने में सफल रहे.

इसके अलावा खाजूवाला पंचायत समिति कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल के गढ़ में कांग्रेस भाजपा और निर्दलीय तीनों को ही भाजपा सीटें मिली थी. ऐसे में 15 सदस्य खाजूवाला पंचायत समिति में निर्दलीय ही दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण थे, लेकिन चुनावी गठजोड़ में भाजपा ने कांग्रेस को मात दी और भाजपा प्रत्याशी ममता बिरड़ा ने कांग्रेस को मात दी और प्रधान बनने में सफल हुई.

यह भी पढ़ें: राजस्थान: जिला प्रमुख चुनाव के अजब-गजब नतीजे और नए समीकरण, इन जगहों पर आए रोचक परिणाम...

वहीं, बज्जू में निर्दलीय बनी प्रधान पंचायत समितियों में प्रधान के चुनाव में बीकानेर जिले में सबसे चर्चित बज्जू पंचायत समिति का चुनाव रहा. जिले की पूगल पंचायत समिति की तरह बज्जू भी नवगठित पंचायत समिति है और पहली बार पंचायत समिति में मतदान हुआ. यहां परिणाम में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ जीती थी लेकिन प्रधान की टिकट को लेकर कांग्रेस में हुई किचकिच के बाद कांग्रेस की पप्पू देवी ने निर्दलीय ताल ठोक दी और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के समर्थन के बाद भाजपा के पंचायत समिति सदस्यों ने पप्पू देवी का साथ दिया और कांग्रेस को यहां बहुमत होने के बाद भी गुटबाजी का शिकार होते हुए हार का सामना करना पड़ा.

बीकानेर. जिले के जिला परिषद में एक बार फिर जहां कांग्रेस का जिला प्रमुख बना तो वहीं 9 पंचायत समितियों में से 5 पर कांग्रेस कब्जा करने में सफल रही. साथ ही तीन पंचायत समितियों में भाजपा ने अपना प्रधान बनाया और एक पंचायत समिति में कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय ताल ठोक के प्रत्याशी को भाजपा ने समर्थन दिया और भाजपा समर्थित प्रत्याशी ने जीत हासिल की.

जिला प्रमुख और पंचायत समिति प्रधान चुनाव नतीजे

बीकानेर पंचायत समिति में भाजपा और कांग्रेस के अलावा एक निर्दलीय और एक कांग्रेस से बागी होकर प्रत्याशी मैदान में उतरे और 4 प्रत्याशियों के मुकाबले कांग्रेस ने यहां बाजी मारी. कांग्रेस के लालचंद आसोपा बीकानेर पंचायत समिति के प्रधान बने, कोलायत और पूगल में निर्विरोध निर्वाचन कोलायत विधानसभा की कोलायत पंचायत समिति में पुष्पा देवी सेठिया कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में निर्विरोध निर्वाचित हुई. वहीं, जिले की नवगठित पूगल पंचायत समिति में खाजूवाला विधायक गोविंद मेघवाल के पुत्र गौरव निर्विरोध प्रधान निर्वाचित हुए.

इसके अलावा, लूणकरणसर कांग्रेस के कब्जे में रही लूणकरणसर पंचायत समिति में इस बार भगवा लहराया और लूणासर विधायक सुमित गोदारा के प्रयासों से भाजपा यहां बहुमत में आने के बाद अपना प्रधान बनाने में सफल रहीं. भाजपा की काशीराम गोदारा पंचायत समिति में प्रधान बने नोखा पंचायत समिति कांग्रेस और भाजपा दोनों ही यहां बराबरी पर थी, लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस में हुई क्रॉस वोटिंग से भाजपा प्रत्याशी रामप्यारी तरड़ प्रधान चुनी गई.

पढ़ें: 20 जिलों में से 12 में बना भाजपा का जिला प्रमुख, कांग्रेस को 5 जिलों में करना पड़ा संतोष

साथ ही पांचू पंचायत समिति नोखा की तरह पांचू पंचायत समिति में भी भाजपा और कांग्रेस बराबर थी और दारोमदार निर्दलीय पर था लेकिन नोखा की कसर को निकालते हुए पांचू पंचायत समिति में कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ते हुए मैना देवी को प्रधान बनाया. वहीं, श्रीडूंगरगढ़ पंचायत समिति में कांग्रेस बहुमत से एक के आंकड़े से दूर थी, लेकिन चुनाव के दिन भाजपा सीपीएम और निर्दलीय के मुकाबले कांग्रेस के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा अपनी पुत्र वधू सावित्री देवी को प्रधान बनाने में सफल रहे.

इसके अलावा खाजूवाला पंचायत समिति कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल के गढ़ में कांग्रेस भाजपा और निर्दलीय तीनों को ही भाजपा सीटें मिली थी. ऐसे में 15 सदस्य खाजूवाला पंचायत समिति में निर्दलीय ही दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण थे, लेकिन चुनावी गठजोड़ में भाजपा ने कांग्रेस को मात दी और भाजपा प्रत्याशी ममता बिरड़ा ने कांग्रेस को मात दी और प्रधान बनने में सफल हुई.

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वहीं, बज्जू में निर्दलीय बनी प्रधान पंचायत समितियों में प्रधान के चुनाव में बीकानेर जिले में सबसे चर्चित बज्जू पंचायत समिति का चुनाव रहा. जिले की पूगल पंचायत समिति की तरह बज्जू भी नवगठित पंचायत समिति है और पहली बार पंचायत समिति में मतदान हुआ. यहां परिणाम में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ जीती थी लेकिन प्रधान की टिकट को लेकर कांग्रेस में हुई किचकिच के बाद कांग्रेस की पप्पू देवी ने निर्दलीय ताल ठोक दी और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के समर्थन के बाद भाजपा के पंचायत समिति सदस्यों ने पप्पू देवी का साथ दिया और कांग्रेस को यहां बहुमत होने के बाद भी गुटबाजी का शिकार होते हुए हार का सामना करना पड़ा.

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