बीकानेर. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. हर महीने में आने वाली दो एकादशी तिथि का अपना एक महत्व है और इन्हीं में से एक योगिनी एकादशी है. आषाढ़ मास की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहते हैं.
चर्म रोग से मिलती है मुक्ति : मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार के पाप श्राप से मुक्ति मिलती है. चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति को इस व्रत के करने से लाभ होता है और रोग मुक्ति मिल जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन व्रत करने से कई हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.
भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा : एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा आराधना माता लक्ष्मी के साथ की जाती है. इस दिन पीपल के वृक्ष की भी पूजा करनी चाहिए. इस दिन पूरे संयम के साथ व्रत रखते हुए सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए. भगवान विष्णु की आराधना पूजा और उनके मंत्रों का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
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करें ये काम : एकादशी की रात में भगवान विष्णु का रात्रि एक बजे तक जागरण करना चाहिए. श्रीहरि के जागरण करते समय रात में दीपक जलाने वाले का पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है. इस विधि से व्रत करने वाला जातक उत्तम फल को प्राप्त करता है. हर एकादशी को श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति सदा बनी रहती है. इन मंत्र का जाप करें- राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे, सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने. एकादशी के दिन इस मंत्र का जप करने से श्रीविष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का भी जाप करना चाहिए.
न करें ये काम : एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए. इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है. इस दिन बाल नहीं कटाने चाहिए. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसी का दिया अन्न ग्रहण न करें. इस दिन स्वयं को जुआ, पान, परनिंदा, निंदा, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध, झूठ और कपट जैसे कृत्यों से दूर रखना चाहिए. एकादशी के दिन व्रत करने वाले को गोभी, गाजर, शलजम, पालक नहीं खाना चाहिए. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए.