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प्रदेशभर के उच्च शिक्षा विद्यालय 'राम भरोसे', एक-तिहाई पद खाली...90 फीसदी प्राचार्य कार्यवाहक - Bikaner

देशभर में शिक्षा का नक्शा पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है. प्रारंभिक माध्यमिक स्कूलों की हालत दयनीय है ही और कॉलेजों में भी हालात बदतर हैं. पहले से ही खाली पदों की समस्या से जूझ रहे कॉलेजों में हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में व्याख्याताओं के पद रिक्त हैं. साथ ही कॉलेजों का नियंत्रण करने वाले प्राचार्य भी कार्यवाहक ही हैं.

प्रदेशभर के उच्च शिक्षा विद्यालय 'राम भरोसे'
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Published : Feb 25, 2019, 10:17 PM IST

बीकानेर. प्रदेशभर में शिक्षा का नक्शा पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है. प्रारंभिक माध्यमिक स्कूलों की हालत दयनीय है ही और कॉलेजों में भी हालात बदतर हैं. पहले से ही खाली पदों की समस्या से जूझ रहे कॉलेजों में हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में व्याख्याताओं के पद रिक्त हैं. साथ ही कॉलेजों का नियंत्रण करने वाले प्राचार्य भी कार्यवाहक ही हैं.


हालांकि, कांग्रेस की सरकार बनते ही बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा के साथ ही कोचिंग व्यवस्था कॉलेजों में शुरू करने की घोषणा कर सरकार ने युवाओं को सरकारी कॉलेजों के प्रति आकर्षित करने का प्रयास किया है लेकिन, इनसे कुछ सुधरने वाला नहीं है.
प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में 210 कॉलेजों में स्थाई प्राचार्य नहीं हैं. इतना ही नहीं प्रदेश में कुल 6637 व्याख्याताओं के पदों के मुकाबले 4529 पद ही भरे हुए हैं और 2108 व्याख्याताओं के पद रिक्त पड़े हैं. ऐसे में इस बात की उम्मीद करना कि कॉलेजों में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा मिलेगी सपने सा लगता है. दरअसल, खाली पद भी अलग-अलग विषयों के हैं और प्रदेश के करीब हर जिले में हर कॉलेज की यही स्थिति है.

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प्रदेशभर के उच्च शिक्षा विद्यालय 'राम भरोसे'

रुकटा के प्रदेश महामंत्री विजय कुमार एरी हालांकि इसके लिए पूर्ववर्ती सरकार को भी दोष देते हैं और वे कहते हैं कि सरकार ने इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया. लेकिन, अब नई सरकार इस पर ध्यान दें और कॉलेजों में रिक्त पदों को जल्द भरे. हालांकि, एरी बताते हैं कि जल्द ही तकरीबन 850 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन जितने पद खाली पड़े हैं उस मुताबिक ये भर्ती ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.

बीकानेर. प्रदेशभर में शिक्षा का नक्शा पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है. प्रारंभिक माध्यमिक स्कूलों की हालत दयनीय है ही और कॉलेजों में भी हालात बदतर हैं. पहले से ही खाली पदों की समस्या से जूझ रहे कॉलेजों में हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में व्याख्याताओं के पद रिक्त हैं. साथ ही कॉलेजों का नियंत्रण करने वाले प्राचार्य भी कार्यवाहक ही हैं.


हालांकि, कांग्रेस की सरकार बनते ही बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा के साथ ही कोचिंग व्यवस्था कॉलेजों में शुरू करने की घोषणा कर सरकार ने युवाओं को सरकारी कॉलेजों के प्रति आकर्षित करने का प्रयास किया है लेकिन, इनसे कुछ सुधरने वाला नहीं है.
प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में 210 कॉलेजों में स्थाई प्राचार्य नहीं हैं. इतना ही नहीं प्रदेश में कुल 6637 व्याख्याताओं के पदों के मुकाबले 4529 पद ही भरे हुए हैं और 2108 व्याख्याताओं के पद रिक्त पड़े हैं. ऐसे में इस बात की उम्मीद करना कि कॉलेजों में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा मिलेगी सपने सा लगता है. दरअसल, खाली पद भी अलग-अलग विषयों के हैं और प्रदेश के करीब हर जिले में हर कॉलेज की यही स्थिति है.

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रुकटा के प्रदेश महामंत्री विजय कुमार एरी हालांकि इसके लिए पूर्ववर्ती सरकार को भी दोष देते हैं और वे कहते हैं कि सरकार ने इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया. लेकिन, अब नई सरकार इस पर ध्यान दें और कॉलेजों में रिक्त पदों को जल्द भरे. हालांकि, एरी बताते हैं कि जल्द ही तकरीबन 850 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन जितने पद खाली पड़े हैं उस मुताबिक ये भर्ती ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.

Intro:पूरे राजस्थान में शिक्षा का नक्शा पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है प्रारंभिक माध्यमिक स्कूलों की हालत दयनीय है ही और कॉलेजों में भी हालात बदतर है पहले से ही खाली पदों की समस्या से जूझ रहे कॉलेजों में हालात कुछ अच्छे नहीं है। प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में कमोबेश हर कॉलेजों में व्याख्याताओं के पद रिक्त है ना सिर्फ व्याख्याताओं के बल्कि इन कॉलेजों का नियंत्रण करने वाले प्राचार्य भी कार्यवाहक ही है। हालांकि कांग्रेस की सरकार बनते ही बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा के साथ ही कोचिंग व्यवस्था कॉलेजों में शुरू करने की घोषणा कर सरकार ने युवाओं को सरकारी कॉलेजों के प्रति आकर्षित करने का प्रयास किया है लेकिन इनसे कुछ सुधरने वाला नही है।


Body:दर्शन प्रदेश की 252 सरकारी कॉलेजों में 210 कॉलेजों में स्थाई प्राचार्य नहीं है इतना ही नहीं प्रदेश में कुल 6637 व्याख्याताओं के पदों के मुकाबले 4529 पद ही भरे हुए हैं और 2108 व्याख्याताओं के पद रिक्त पड़े हैं ऐसे में इस बात की उम्मीद करना कि कॉलेजों में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा मिलेगी सपने सा लगता है। दरअसल खाली पद भी अलग-अलग विषयों के हैं और प्रदेश के लगभग हर जिले में हर कॉलेज की यह स्थिति है रुकटा के प्रदेश महामंत्री विजय कुमार एरी हालांकि इसके लिए पूर्ववर्ती सरकार को भी दोष देते हैं और वे कहते हैं कि सरकार ने इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया लेकिन अब नई सरकार इस पर ध्यान दें और कॉलेजों में रिक्त पदों को जल्द भरें। हालांकि एरी बताते हैं कि जल्द ही तकरीबन 850 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी लेकिन जितने पद खाली पड़े हैं उस मुताबिक यह भर्ती ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।


Conclusion:सवाल ये उठता है कि जब विद्यार्थी को पूरी शिक्षा ही नहीं मिलेगी तो वह अपने कैरियर का निर्माण कैसे कर पाएगा ऐसे में सरकार को भी चाहिए कि जल्द से जल्द शिक्षा के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए खाली पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की प्रक्रिया को शुरू करें और कम से कम शिक्षा विभाग में पदों की कमी ना हो ताकि विद्यार्थियों को परेशानी का सामना ना करना पड़े।
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