बीकानेर. प्रदेशभर में शिक्षा का नक्शा पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है. प्रारंभिक माध्यमिक स्कूलों की हालत दयनीय है ही और कॉलेजों में भी हालात बदतर हैं. पहले से ही खाली पदों की समस्या से जूझ रहे कॉलेजों में हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में व्याख्याताओं के पद रिक्त हैं. साथ ही कॉलेजों का नियंत्रण करने वाले प्राचार्य भी कार्यवाहक ही हैं.
हालांकि, कांग्रेस की सरकार बनते ही बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा के साथ ही कोचिंग व्यवस्था कॉलेजों में शुरू करने की घोषणा कर सरकार ने युवाओं को सरकारी कॉलेजों के प्रति आकर्षित करने का प्रयास किया है लेकिन, इनसे कुछ सुधरने वाला नहीं है.
प्रदेश के 252 सरकारी कॉलेजों में 210 कॉलेजों में स्थाई प्राचार्य नहीं हैं. इतना ही नहीं प्रदेश में कुल 6637 व्याख्याताओं के पदों के मुकाबले 4529 पद ही भरे हुए हैं और 2108 व्याख्याताओं के पद रिक्त पड़े हैं. ऐसे में इस बात की उम्मीद करना कि कॉलेजों में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा मिलेगी सपने सा लगता है. दरअसल, खाली पद भी अलग-अलग विषयों के हैं और प्रदेश के करीब हर जिले में हर कॉलेज की यही स्थिति है.
रुकटा के प्रदेश महामंत्री विजय कुमार एरी हालांकि इसके लिए पूर्ववर्ती सरकार को भी दोष देते हैं और वे कहते हैं कि सरकार ने इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया. लेकिन, अब नई सरकार इस पर ध्यान दें और कॉलेजों में रिक्त पदों को जल्द भरे. हालांकि, एरी बताते हैं कि जल्द ही तकरीबन 850 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन जितने पद खाली पड़े हैं उस मुताबिक ये भर्ती ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.