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Sita Navami 2023 : माता सीता की पूजा आराधना का मिलता है फल, जानिए विधि - Rajasthan Hindi News

हिंदू धर्म में सीता नवमी का बहुत अधिक महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर माता सीता राजा जनक (Puja Rituals on Sita Navami) को जमीन के नीचे मिली थीं.

सीता नवमी
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Published : Apr 29, 2023, 7:31 AM IST

बीकानेर. सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. यह पर्व राम नवमी से लगभग एक माह बाद मनाई जाती है. वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इसे सीता नवमी के नाम से जाना जाता है.

शुभफल की प्राप्ति : आज (शनिवार) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. इस दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है. इस दुर्लभ संयोग पर माता सीता के साथ भगवान राम का पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है. रामायण के अनुसार राजा जनक के समय में एक बार मिथिला राज्य में अकाल पड़ गया. ऋषियों ने राजा जनक से यज्ञ का आयोजन करने के लिए कहा जिससे वर्षा हो और उनका कष्ट दूर हो. इस दौरान जमीन की खुदाई के दौरान नवजात रूप में माता सीता उन्हें मिली थीं.

पढ़ें. शनिवार के दिन शनि महाराज को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय, सब कष्टों से मिलेगी मुक्ति

जिस प्रकार राम नवमी को बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी माना गया है. भगवान श्री राम को विष्णु और माता सीता को लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है. इस सौभाग्यशाली दिन माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करते हैं तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

करें ये काम : सीता नवमी पर माता जानकी को खीर का भोग लगाएं और फिर इसे 7 कन्याओं में वितरण कर दें. इस उपाय को धन संकट को दूर करने के लिए कारगर माना जाता है. प्रेम विवाह की चाह रखने वालों को इस दिन माता सीता और श्रीराम की उपासना करनी चाहिए. अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए सीता नवमी पर जानकी स्तोत्र का पाठ करें.

बीकानेर. सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. यह पर्व राम नवमी से लगभग एक माह बाद मनाई जाती है. वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इसे सीता नवमी के नाम से जाना जाता है.

शुभफल की प्राप्ति : आज (शनिवार) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. इस दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है. इस दुर्लभ संयोग पर माता सीता के साथ भगवान राम का पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है. रामायण के अनुसार राजा जनक के समय में एक बार मिथिला राज्य में अकाल पड़ गया. ऋषियों ने राजा जनक से यज्ञ का आयोजन करने के लिए कहा जिससे वर्षा हो और उनका कष्ट दूर हो. इस दौरान जमीन की खुदाई के दौरान नवजात रूप में माता सीता उन्हें मिली थीं.

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जिस प्रकार राम नवमी को बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी माना गया है. भगवान श्री राम को विष्णु और माता सीता को लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है. इस सौभाग्यशाली दिन माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करते हैं तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

करें ये काम : सीता नवमी पर माता जानकी को खीर का भोग लगाएं और फिर इसे 7 कन्याओं में वितरण कर दें. इस उपाय को धन संकट को दूर करने के लिए कारगर माना जाता है. प्रेम विवाह की चाह रखने वालों को इस दिन माता सीता और श्रीराम की उपासना करनी चाहिए. अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए सीता नवमी पर जानकी स्तोत्र का पाठ करें.

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