बीकानेर. हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार शनिवार से मलमास का प्रारंभ हो रहा है. मलमास शुरू होने के साथ ही अब अगले एक महीने यानी मकर सक्रांति तक विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे. सनातन मान्यता के अनुसार मलमास की अवधि में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और दान-पुण्य का महत्व बढ़ जाता है.
आज शाम चार बजे से होगा शुरू : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार मलमास शनिवार शाम 4 बजे के बाद से प्रारंभ होगा और 14 जनवरी को मध्यरात्रि बाद 2:45 बजे समाप्त होगा. उन्होंने बताया कि जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन से लेकर मकर राशि में प्रवेश तक के काल को मलमास या खरमास कहते हैं. मलमास के खत्म होने पर 15 जनवरी को सुबह से दिनभर मकर संक्रांति का दान-पुण्य काल रहेगा. मलमास के दौरान श्रद्धालु लोग तिल व तेल से बनी वस्तुओं, गर्म वस्त्र आदि का दान-पुण्य करेंगे. मंदिरों में मल थाली के आयोजन भी होंगे.
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मांगलिक कार्यक्रम निषेध : किराडू ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार मलमास शुरू होते ही विवाह और मांगलिक कार्यक्रमों पर विराम लग जाएगा. इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नींव पूजन, नव प्रतिष्ठान प्रारंभ, यज्ञोपवित संस्कार नहीं हो सकते, लेकिन नवजात बच्चों के नामकरण और नक्षत्र शांति पूजा हो सकती है. मलमास खत्म होने के बाद 15 जनवरी से अगले दो माह यानि की मार्च तक विवाह और मांगलिक कार्यक्रम के मुहूर्त रहेंगे. ऐसे में अगले एक माह तक 'शहनाई' की गूंज थम जाएगी. इस पूरे माह में सूर्य देव की पूजा का फल बताया गया है. खरमास में सूर्य देव को तांबे के पात्र से अर्घ्य देना चाहिए. सूर्य पाठ और सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए. खरमास में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. तिल और तेल से बनी वस्तुओं के दान का महत्व बढ़ जाता है. सर्दी के मौसम के चलते कंबल, रजाई, बिस्तर जैसे गर्म वस्त्रों का दान करना चाहिए.