ETV Bharat / state

Maha Shivratri 2023 : क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि और क्या है महत्व ? यहां जानें - भगवान शिव की पूजा साधना

आज महाशिवरात्रि है. इसे भगवान शिव की पूजा-साधना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. शिव ही एकमात्र देवता हैं, जिनकी लिंग रूप में भी पूजा होती है.

Maha Shivratri 2023
महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है
author img

By

Published : Feb 18, 2023, 7:58 AM IST

बीकानेर. सनातन धर्म में प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवभक्त शिवरात्रि का व्रत करते हैं. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाया जाता है. हालांकि, महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर भी कई बातें प्रचलन में हैं, लेकिन कुछ लोग इस दिन भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह होने का उत्सव बताते हुए इसको मनाते हैं तो कई लोगों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए महाशिवरात्रि का महत्व है.

पढ़ें: Aaj Ka Panchang : जानें आज कब है सबसे अच्छा मुहूर्त, तिथि और ग्रह नक्षत्र की चाल

शिव खुद ही रहस्य : भगवान शिव खुद ही आदि और अनंत हैं. शिव का रहस्य सिर्फ शिव ही जान सकते हैं. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो महाशिवरात्रि का पर्व लोकाचार में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के चलते बताया गया है, लेकिन शास्त्रों में उसका उल्लेख नहीं मिलता है. उनका कहना है कि शास्त्रों में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के लिंग रूप में प्रकट होने के रूप में व्याख्या में बताया गया है. भगवान शिव को आदि और अंत का देवता माना जाता है. शिव का कोई रूप नहीं है न ही कोई आकार है. भगवान शिव निराकार हैं.

पढ़ें: कोटा में 100 साल पुराना शिव का यह मंदिर सालभर में केवल एक बार ही खुलता है, यह है कारण

माघ मास में हुआ था विवाह : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि महाशिवरात्रि से ठीक एक महीने पहले आने वाली माघ मास की शिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, लेकिन इस दिन साकार रूपी भगवान शिव अपने लिंग रूप में प्रकट हुए थे. वे कहते हैं कि धर्म शास्त्रानुसार इस महारात्रि के दिन भगवान शिव पृथ्वी पर लिंग रूप में प्रकट हुए थे उसी देने से शिवलिंग का पूजन प्रारंभ हुआ था. कुछ लोग इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह उत्सव मनाते हैं.

बीकानेर. सनातन धर्म में प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवभक्त शिवरात्रि का व्रत करते हैं. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाया जाता है. हालांकि, महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर भी कई बातें प्रचलन में हैं, लेकिन कुछ लोग इस दिन भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह होने का उत्सव बताते हुए इसको मनाते हैं तो कई लोगों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए महाशिवरात्रि का महत्व है.

पढ़ें: Aaj Ka Panchang : जानें आज कब है सबसे अच्छा मुहूर्त, तिथि और ग्रह नक्षत्र की चाल

शिव खुद ही रहस्य : भगवान शिव खुद ही आदि और अनंत हैं. शिव का रहस्य सिर्फ शिव ही जान सकते हैं. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो महाशिवरात्रि का पर्व लोकाचार में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के चलते बताया गया है, लेकिन शास्त्रों में उसका उल्लेख नहीं मिलता है. उनका कहना है कि शास्त्रों में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के लिंग रूप में प्रकट होने के रूप में व्याख्या में बताया गया है. भगवान शिव को आदि और अंत का देवता माना जाता है. शिव का कोई रूप नहीं है न ही कोई आकार है. भगवान शिव निराकार हैं.

पढ़ें: कोटा में 100 साल पुराना शिव का यह मंदिर सालभर में केवल एक बार ही खुलता है, यह है कारण

माघ मास में हुआ था विवाह : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि महाशिवरात्रि से ठीक एक महीने पहले आने वाली माघ मास की शिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, लेकिन इस दिन साकार रूपी भगवान शिव अपने लिंग रूप में प्रकट हुए थे. वे कहते हैं कि धर्म शास्त्रानुसार इस महारात्रि के दिन भगवान शिव पृथ्वी पर लिंग रूप में प्रकट हुए थे उसी देने से शिवलिंग का पूजन प्रारंभ हुआ था. कुछ लोग इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह उत्सव मनाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.