बीकानेर. धनतेरस के दिन से ही 5 दिन के दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है. पूरे देश में दीपावली के साथ ही धनतेरस के दिन भी बड़ी मात्रा में घरेलू सामान और ज्वेलरी की खरीद होती है. धनतेरस का खासा महत्व भगवान धनवंतरि की पूजा से भी जुड़ा हुआ (Bhagwan Dhanvantari Puja) है.
भगवान विष्णु के अवतार के रूप में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है. सृष्टि में उत्पन्न औषधियों के गुण अवगुण के आधार पर इन्होंने रचना की. आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं
करनी चाहिए हनुमान जी की भी पूजाः पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व है. लेकिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ ही भगवान हनुमान जी की पूजा भी धनतेरस के दिन करनी चाहिए और उसका शास्त्रों में उल्लेख भी है.
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वे कहते हैं कि हनुमान जी बल बुद्धि और विद्या के दाता हैं. इसलिए इस दिन हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके पीछे शास्त्र में भी तर्क है कि हनुमान जी बुद्धि प्रदान करते हैं और किसी भी कार्य को करने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है. ऐसे में धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ ही हनुमान जी की पूजा करने का भी महत्व है. इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए.
खरीददारी का महत्वः वे कहते हैं कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने का भी महत्व है. इस दिन रत्न, आभूषण, जमीन, घर, प्रतिष्ठान में वैभव को बढ़ाने वाले सामान की खरीदारी करने का महत्व है. इस दिन जमीन खरीदना या मकान बनाने के लिए नींव का पूजन करने का भी महत्व है. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि माना जाता है कि इस दिन की गई खरीद का हमें कई गुना बढ़ोतरी के रूप में फल प्राप्त होता है.
कुबेर की भी पूजाः पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन घर और प्रतिष्ठान में भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए. साथ ही श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए.