बीकानेर.मरुस्थल राजस्थान के बीकानेर में हर साल अंतराष्ट्रीय ऊंट महोत्सव का आयोजन होता है. राजस्थानी लिबाज, रंग में लिपटे ऊंटों को देखने के लिए लोगों की खासी भीड़ यहां जमा होती है. इस उत्सव में देश-विदेश से लोग हिस्सा लेने पहुंचते हैं. इस उत्सव का आगाज 12 जनवरी को होने वाला है.
2 दिन तक चलने वाले 27वें ऊंट उत्सव के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग की तैयारियां जोरों पर है. महाराजा करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रमों के साथ ही रायसर के रेतीले धोरे पर कैमल सफारी का आयोजन भी होगा.12 जनवरी को जूनागढ़ से मुख्य सवारी सजे धजे ऊंटों बैंड और रौबीलों की टोली के साथ के करणी सिंह स्टेडियम पहुंचेगी और इसी के साथ ऊंट उत्सव का आगाज होगा. पहले दिन ऊंट सजावट, ऊंट नृत्य, ऊंट की फर कटिंग, मिस मरवण, मिस्टर बीकाणा जैसे आयोजन होंगे और शाम को देश के अलग अलग कोने से आए कलाकारों की ओर दी जाने वाली प्रस्तुतियों के सांस्कृतिक संगीत कार्यक्रम आयोजित होंगे.
उत्सव की पीछे की ये है कहानी
मान्यता है कि बीकानेर शहर की खोज करने वाले राव बीका ने यहां पर सबसे पहले ऊंटों की प्रजाति का पालन पोषण शुरू किया था. ये वही जगह है जहां पर सेना के लिए ऊंटों को तैयार किया जाता है. सेना के लिए तैयार किए जाने वाले ऊंटों को आम भाषा में 'गंगा रिसला' कहकर पुकारा जाता है. यहीं से ऊंट उत्सव की शुरुआत हुई.
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ये होंगे कार्यक्रम
उत्सव के दूसरे दिन 12 जनवरी को बीकानेर की हैरिटेज वॉक के भ्रमण के साथ ही राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र में ऊंट दौड़, घोड़ा दौड़, देशी विदेशी महिला और पुरुष मेहमानों के बीच कबड्डी, कुश्ती, मटका दौड़, ऊंट नृत्य, सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही अग्नि नृत्य औऱ आतिशबाज़ी के आयोजन होंगे.
विदेशी पावणे होंगे शामिल
इस बार ऊंट उत्सव में बीकानेर के पारंपरिक कह जाने वाली खेल बनाटी का आयोजन भी किया जाएगा. इसके अलावा उत्सव के लिए देश और विदेश से आए विदेशी मेहमानों के मनोरंजन के लिए 9 जनवरी को सूरसागर में फॉक डांस, जनवरी को जूनागढ़ फोर्ट में फूड कोर्ट और 13 जनवरी को जोडबीड़ में बर्ड फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाएगा. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आयोजित होने वाले इस ऊंट उत्सव को लेकर विदेशी और देशी पावणे बीकानेर पहुंचना शुरू हो गए हैं.