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RTH के विरोध को सरकारी डॉक्टर का समर्थन, PBM अस्पताल में बेपटरी हुई चिकित्सा व्यवस्था

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में चिकित्सकों की हड़ताल से चिकित्सा व्यवस्था बेपटरी हो गई है. सरकारी डॉक्टर्स के इस हड़ताल को समर्थन के चलते हालात और विकट हो गए हैं.

PBM hospital OPD closed amid doctors strike
RTH के विरोध को सरकारी डॉक्टर का समर्थन, PBM अस्पताल में बेपटरी हुई चिकित्सा व्यवस्था
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Published : Mar 29, 2023, 6:01 PM IST

Updated : Mar 29, 2023, 7:15 PM IST

बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में बेपटरी हुई चिकित्सा व्यवस्था

बीकानेर. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर चिकित्सकों के विरोध के बीच प्रदेश में निजी अस्पतालों के बाद सरकारी अस्पतालों में भी चिकित्सा व्यवस्था बेपटरी हो रही है. बीकानेर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीबीएम अस्पताल में भी आने वाले मरीजों की संख्या में भी भारी कमी आई है. हालांकि RMCTA की ओर से बुधवार को कार्य बहिष्कार की घोषणा की गई थी, लेकिन सरकार के निर्देशों के बाद सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने सभी सीनियर डॉक्टर्स को पाबंद कर दिया था.

जिसके बाद सभी डॉक्टर्स ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और आपात स्थिति को देखते हुए पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने सभी सीनियर डॉक्टर्स को राउंड द क्लॉक अस्पताल में मौजूद देने के निर्देश दिए हैं. लेकिन रेजीडेंट और अन्य डॉक्टर्स की हड़ताल के सरकारी अस्पतालों में भी हालात ठीक नहीं है. बुधवार को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में सभी ओपीडी बंद रहे. खुद अस्पताल प्रशासन का भी मानना है कि निजी अस्पतालों के साथ गतिरोध का असर सरकारी अस्पतालों पर पड़ रहा है और अब खुद मरीज भी अस्पताल नहीं आ रहे हैं.

पढ़ेंः Reality Check: सरकारी अस्पताल में रात भर से मरीजों को उपचार का इंतजार, एम्स ओपीडी में लगी कतारें

टल रहे ऑपरेशनः दरअसल सरकार के साथ निजी अस्पताल के चिकित्सकों के गतिरोध के चलते बुधवार को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के ओपीडी में मरीज नहीं आए और चिकित्सक भी नहीं पहुंचे. जिसके चलते अस्पताल की ओपीडी बंद रही. वहीं आपातकालीन इकाई में ही केवल डॉक्टर नजर आए. अस्पताल के अधीक्षक डॉ प्रमोद कुमार सोनी कहते हैं कि हड़ताल से पहले होने वाले ऑपरेशन और आज की स्थिति में बदलाव है. वे मानते हैं कि पहले जहां माइनर और मेजर मिलाकर करीब 200 ऑपरेशन हुआ करते थे, वह संख्या अब घटकर 70 से 80 के पास आ गई है.

पढ़ेंः Protest against Right to Health Bill : जालोर में इलाज के अभाव में 3 वर्षीय बच्चे की मौत, परिजनों का सरकारी डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप

प्राचार्य भी देख रहे मरीजः मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य गुंजन सोनी ने भी स्थिति को देखते हुए खुद मरीजों को देखना शुरु किया, तो वहीं संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने भी हड़ताल के चलते अस्पताल का जायजा लिया और पीबीएम अधीक्षक को व्यवस्थाओं को लेकर लगातार सक्रिय रहने के निर्देश दिए. आमतौर पर पीबीएम अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों का दबाव इतना रहता है कि अस्पताल में चलने की भी कई बार जगह नहीं मिलती है. लेकिन बुधवार को दूसरा ही नजारा देखने को मिला, जहां अस्पताल पूरी तरह से खाली नजर आया.

बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में बेपटरी हुई चिकित्सा व्यवस्था

बीकानेर. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर चिकित्सकों के विरोध के बीच प्रदेश में निजी अस्पतालों के बाद सरकारी अस्पतालों में भी चिकित्सा व्यवस्था बेपटरी हो रही है. बीकानेर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीबीएम अस्पताल में भी आने वाले मरीजों की संख्या में भी भारी कमी आई है. हालांकि RMCTA की ओर से बुधवार को कार्य बहिष्कार की घोषणा की गई थी, लेकिन सरकार के निर्देशों के बाद सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने सभी सीनियर डॉक्टर्स को पाबंद कर दिया था.

जिसके बाद सभी डॉक्टर्स ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और आपात स्थिति को देखते हुए पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने सभी सीनियर डॉक्टर्स को राउंड द क्लॉक अस्पताल में मौजूद देने के निर्देश दिए हैं. लेकिन रेजीडेंट और अन्य डॉक्टर्स की हड़ताल के सरकारी अस्पतालों में भी हालात ठीक नहीं है. बुधवार को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में सभी ओपीडी बंद रहे. खुद अस्पताल प्रशासन का भी मानना है कि निजी अस्पतालों के साथ गतिरोध का असर सरकारी अस्पतालों पर पड़ रहा है और अब खुद मरीज भी अस्पताल नहीं आ रहे हैं.

पढ़ेंः Reality Check: सरकारी अस्पताल में रात भर से मरीजों को उपचार का इंतजार, एम्स ओपीडी में लगी कतारें

टल रहे ऑपरेशनः दरअसल सरकार के साथ निजी अस्पताल के चिकित्सकों के गतिरोध के चलते बुधवार को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के ओपीडी में मरीज नहीं आए और चिकित्सक भी नहीं पहुंचे. जिसके चलते अस्पताल की ओपीडी बंद रही. वहीं आपातकालीन इकाई में ही केवल डॉक्टर नजर आए. अस्पताल के अधीक्षक डॉ प्रमोद कुमार सोनी कहते हैं कि हड़ताल से पहले होने वाले ऑपरेशन और आज की स्थिति में बदलाव है. वे मानते हैं कि पहले जहां माइनर और मेजर मिलाकर करीब 200 ऑपरेशन हुआ करते थे, वह संख्या अब घटकर 70 से 80 के पास आ गई है.

पढ़ेंः Protest against Right to Health Bill : जालोर में इलाज के अभाव में 3 वर्षीय बच्चे की मौत, परिजनों का सरकारी डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप

प्राचार्य भी देख रहे मरीजः मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य गुंजन सोनी ने भी स्थिति को देखते हुए खुद मरीजों को देखना शुरु किया, तो वहीं संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने भी हड़ताल के चलते अस्पताल का जायजा लिया और पीबीएम अधीक्षक को व्यवस्थाओं को लेकर लगातार सक्रिय रहने के निर्देश दिए. आमतौर पर पीबीएम अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों का दबाव इतना रहता है कि अस्पताल में चलने की भी कई बार जगह नहीं मिलती है. लेकिन बुधवार को दूसरा ही नजारा देखने को मिला, जहां अस्पताल पूरी तरह से खाली नजर आया.

Last Updated : Mar 29, 2023, 7:15 PM IST
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