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Hindu New Year : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन करें यह काम, जीवन में आएगी सुख-समृद्धि - ETV Bharat Rajasthan News

हिंदू नव वर्ष बुधवार को शुरू हो रहा है. इसी के साथ चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ (Hindu New Year begins) हो रहे हैं. जानिए इस दिन क्या करने से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है.

Hindu New Year begins
हिंदू नव वर्ष की शुरुआत
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Published : Mar 22, 2023, 6:31 AM IST

बीकानेर. हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ बुधवार से हो रहा है. इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू होते हैं. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था, इसलिए इस दिन भगवान ब्रह्माजी का पूजन करना चाहिए.

लगाएं ध्वजा, पंचांग का करें श्रवण : इस तिथि को संवत्सर आरंभ का दिन कहते हैं. नवसंवत्सर के दिन नए वस्त्र धारण करने चाहिए. इस दिन घर की छत पर ध्वजा लगानी चाहिए. विद्वान ब्राह्मण से पंचांग का श्रवण करके 13 पंचांग वितरित करने चाहिए. ध्वजारोहण विजय का सूचक है और पंचांग श्रवण से काल का ज्ञान होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक गृहस्थी को नित्य पंचांग का श्रवण करना चाहिए. तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण इन पांचों के योग से पंचांग बनता है, जिसको तिथि पत्रक भी कहते हैं.

पढ़ें. Chaitra Navratri 2023: हिंदू नव वर्ष की होती है शुरुआत, साल में 4 बार आती है नवरात्रि...जानें कारण

नित्य पंचांग श्रवण करने से गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त होता है. नित्य तिथि श्रवण से मनुष्य की आयु में वृद्धि होती है. नक्षत्र के श्रवण से पापों का नाश होता है. नित्यवार के श्रवण से शत्रुओं का विनाश होता है. योग के श्रवण से सौभाग्य की वृद्धि होती है. नित्य करण और चंद्रमा के श्रवण से मनुष्यों का कल्याण होता है और घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. धर्म शास्त्रों में नित्य पंचांग श्रवण का विशेष महत्व है.

राजा मंगल, मंत्री शुक्र : पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि विक्रम संवत 2080 का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा बुधवार से होगा. इस वर्ष का राजा मंगल और मंत्री शुक्र ग्रह होगा. गणना भेद से कुछ पंचांग में इस वर्ष का राजा बुध को बताया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक वर्ष में 10 अधिकारी होते हैं, जिनमें राजा और मंत्री मुख्य होते हैं. चैत्र शुक्ला प्रतिपदा के दिन नीम, मिश्री व काली मिर्च का निश्चित प्रयोग करने से आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य को आरोग्यता प्रदान होती है और इनके सेवन से सभी रोगों का दमन होता है.

देवी की आराधना : नवसंवत्सर का प्रारंभ सब सिद्धियों को देने वाला होता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन जगत-जननी भगवती दुर्गा का पर्वकाल नवरात्र प्रारंभ होता है. इसमें भगवती दुर्गा की विशेष आराधना पूजा होती है. दुर्गा सप्तशती का पाठ, श्रीसूक्त कनकधारा स्तोत्र, देवी भागवत, देवी पुराण और रामायण का वाचन और परायण भी होता है.

बीकानेर. हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ बुधवार से हो रहा है. इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू होते हैं. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था, इसलिए इस दिन भगवान ब्रह्माजी का पूजन करना चाहिए.

लगाएं ध्वजा, पंचांग का करें श्रवण : इस तिथि को संवत्सर आरंभ का दिन कहते हैं. नवसंवत्सर के दिन नए वस्त्र धारण करने चाहिए. इस दिन घर की छत पर ध्वजा लगानी चाहिए. विद्वान ब्राह्मण से पंचांग का श्रवण करके 13 पंचांग वितरित करने चाहिए. ध्वजारोहण विजय का सूचक है और पंचांग श्रवण से काल का ज्ञान होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक गृहस्थी को नित्य पंचांग का श्रवण करना चाहिए. तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण इन पांचों के योग से पंचांग बनता है, जिसको तिथि पत्रक भी कहते हैं.

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नित्य पंचांग श्रवण करने से गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त होता है. नित्य तिथि श्रवण से मनुष्य की आयु में वृद्धि होती है. नक्षत्र के श्रवण से पापों का नाश होता है. नित्यवार के श्रवण से शत्रुओं का विनाश होता है. योग के श्रवण से सौभाग्य की वृद्धि होती है. नित्य करण और चंद्रमा के श्रवण से मनुष्यों का कल्याण होता है और घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. धर्म शास्त्रों में नित्य पंचांग श्रवण का विशेष महत्व है.

राजा मंगल, मंत्री शुक्र : पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि विक्रम संवत 2080 का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा बुधवार से होगा. इस वर्ष का राजा मंगल और मंत्री शुक्र ग्रह होगा. गणना भेद से कुछ पंचांग में इस वर्ष का राजा बुध को बताया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक वर्ष में 10 अधिकारी होते हैं, जिनमें राजा और मंत्री मुख्य होते हैं. चैत्र शुक्ला प्रतिपदा के दिन नीम, मिश्री व काली मिर्च का निश्चित प्रयोग करने से आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य को आरोग्यता प्रदान होती है और इनके सेवन से सभी रोगों का दमन होता है.

देवी की आराधना : नवसंवत्सर का प्रारंभ सब सिद्धियों को देने वाला होता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन जगत-जननी भगवती दुर्गा का पर्वकाल नवरात्र प्रारंभ होता है. इसमें भगवती दुर्गा की विशेष आराधना पूजा होती है. दुर्गा सप्तशती का पाठ, श्रीसूक्त कनकधारा स्तोत्र, देवी भागवत, देवी पुराण और रामायण का वाचन और परायण भी होता है.

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