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Somvati Amavasya 2023 : सोमवती अमावस्या आज, दान-पुण्य का मिलता है 100 गुना फल

Somvati Amavasya 2023 Diwali Puja, साल 2023 में कार्तिक मास की अमावस्या तिथि सोमवार को होगी. सोमवार को होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. 2 दिनों तक अमावस्या पड़ने के कारण दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला पर्व गोवर्धन पूजा पिछले साल की तरह एक बार फिर तीसरे दिन मनाई जाएगी.

Somvati Amavasya on 13th November
13 नवंबर को सोमवती अमावस्या
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 13, 2023, 6:47 AM IST

बीकानेर. सनातन धर्म-शास्त्रों में सोमवती अमावस्या का बहुत महत्व बतलाया गया है. इस बार अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रही है. ऐसे में दिवाली के अगले दिन यानि सोमवार को स्नानदान अमावस्या होगी और 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा. दरअसल, अमावस्या रविवार को दोपहर से ही शुरू हो गई लेकिन सोमवार को उदयातिथि के अनुसार अमावस्या है, जिसके चलते गोवर्धन पूजा भी मंगलवार को आयोजित होगी. शास्त्रों के अनुसार रात्रि काल में अमावस्या तिथि होने के कारण रविवार को दीपावली का पर्व मनाया गया.

तीर्थ स्नान दान-पुण्य का महत्व : 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या का संयोग रहेगा. इस दिन तीर्थस्थलों व पवित्र नदियों में स्नान और पूजा-पाठ का महत्व शास्त्रों में बतलाया गया है. शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य का 100 गुना फल मिलता है. गोशालाओं में गायों को हरा चारा खिलाना, गरीब और नि:शक्तजनों को भोजन और दान करना श्रेष्ठ बतलाया गया है. पितरों के निमित्त प्रसाद भोग का अर्पण भी इस अमावस्या में श्रेष्ठ बतलाया गया है.

पढ़ें : Diwali 2023: छोटी काशी की रोशनी में भक्ति की बयार, जयपुर की धरा पर उतरा बुर्ज खलीफा से लेकर चंद्रयान

लगातार दूसरे साल 6 दिन का दीपोत्सव : पिछले साल भी छह दिन का दीपोत्सव था. पिछले साल दीपावली के अगले दिन सूर्यग्रहण था. इसके चलते एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया गया था. इस बार भी 2 दिन अमावस्या तिथि होने के चलते 12 नवंबर को दीपावली और 14 नवम्बर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा.

बीकानेर. सनातन धर्म-शास्त्रों में सोमवती अमावस्या का बहुत महत्व बतलाया गया है. इस बार अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रही है. ऐसे में दिवाली के अगले दिन यानि सोमवार को स्नानदान अमावस्या होगी और 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा. दरअसल, अमावस्या रविवार को दोपहर से ही शुरू हो गई लेकिन सोमवार को उदयातिथि के अनुसार अमावस्या है, जिसके चलते गोवर्धन पूजा भी मंगलवार को आयोजित होगी. शास्त्रों के अनुसार रात्रि काल में अमावस्या तिथि होने के कारण रविवार को दीपावली का पर्व मनाया गया.

तीर्थ स्नान दान-पुण्य का महत्व : 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या का संयोग रहेगा. इस दिन तीर्थस्थलों व पवित्र नदियों में स्नान और पूजा-पाठ का महत्व शास्त्रों में बतलाया गया है. शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य का 100 गुना फल मिलता है. गोशालाओं में गायों को हरा चारा खिलाना, गरीब और नि:शक्तजनों को भोजन और दान करना श्रेष्ठ बतलाया गया है. पितरों के निमित्त प्रसाद भोग का अर्पण भी इस अमावस्या में श्रेष्ठ बतलाया गया है.

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लगातार दूसरे साल 6 दिन का दीपोत्सव : पिछले साल भी छह दिन का दीपोत्सव था. पिछले साल दीपावली के अगले दिन सूर्यग्रहण था. इसके चलते एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया गया था. इस बार भी 2 दिन अमावस्या तिथि होने के चलते 12 नवंबर को दीपावली और 14 नवम्बर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा.

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