बीकानेर. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी कि धनतेरस से भाई दूज तक 5 दिन का दीपोत्सव का पर्व होता है. इस बार दीपावली के अगले दिन ग्रहण होने से यह दीपोत्सव का पर्व 6 दिन का हो गया है. धनतेरस यानी कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से दीपावली के मौके पर लोग घरों प्रतिष्ठान और अन्य जगह पर शाम को दीपक जलाते हैं और रोशनी करते हैं. घी और तेल का दीपक जलाने का महत्व यमराज की प्रसन्नता से भी जुड़ा (Importance of deepdan on Deepawali) है.
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि दीपावली के दिन समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था और तभी से कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है. लेकिन कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा होती है. लेकिन शाम को जलाए जाने वाले दीपक के साथ ही चतुवर्ति दीपक घर के बाहर जलाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि यमराज की प्रसन्नता के लिए इस दिन दीपक जलाना चाहिए. पंडित राजेंद्र किराडू ने कहा कि भाई दूज के दिन यमुना नदी और उनके भाई यमराज जुड़ा प्रसंग शास्त्रों में उल्लेखित है. जब यमराज पृथ्वी लोक पर अपनी बहन यमुना से मिलने आए और उनके घर भोजन भी किया.
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यमदूतिया स्नानः भाई दूज के दिन यमदूतिया स्नान यानी कि यमुना नदी में भाई स्नान करता है. क्योंकि यमराज भी जब पृथ्वी पर आए थे तो उन्होंने यमुना नदी में स्नान किया था और बहन के घर भोजन किया था. उन्होंने कहा कि दीपोत्सव के दौरान शाम को घर के आगे चतुवर्ती दीपक जलाने से यमराज प्रश्न होते हैं और आयु वृद्धि होती है.
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