बीकानेर. कोरोना की मार अर्थव्यवस्था पर इस तरह पड़ी है कि सारे उद्योग-धंधे बेपटरी हुए हैं. वहीं कोरोना ने सामाजिक सहयोग के लिए उठने वाले मदद के हाथ को भी रोक दिया है. अनाथालय, वृद्ध आश्रम और विमंदित गृह में रहने वाले लोगों की मदद को पहले कई हाथ तत्पर रहते थे लेकिन कोरोना के कारण वो मदद के हाथ भी पीछे हो गए हैं.
कोरोना के कारण हर स्तर पर हर व्यक्ति प्रभावित हुआ है. सामाजिक सहयोग से होने वाली गतिविधियों पर भी इसका खासा असर देखने को मिला है. स्वयंसेवी संगठन, राज्य सरकार और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अनाथालय, वृद्ध आश्रम और विमंदित गृह में रहने वाले लोगों को लेकर बजट होता है लेकिन बावजूद उसके सामाजिक सहयोग और भामाशाह भी अपने स्तर पर ऐसी जगहों पर सहयोग करते हैं.
वहीं आमजन, समाजसेवी अपने प्रिय के जन्मदिन, पुण्यतिथि और खास मौकों पर अनाथालय, वृद्ध आश्रम में जरूरतमंदों को भोजन और अन्य चीजें उपलब्ध करवाकर सहयोग करते हैं. इसके अलावा कई लोग नगद धनराशि भी उपलब्ध करवाते हैं. उनकी ये छोटी से मदद परिवार से दूर रहनेवाले लोगों को अपनत्व का एहसास कराता है. समाजसेवियों की छोटी सी दरियादिली इन लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर के लिए काफी है.
अनाथालय में 46 विमंदित बच्चे
बीकानेर में एक ऐसा ही सेवा आश्रम सामाजिक संस्था की ओर से संचालित अनाथालय है, जहां कुल 46 लोग रहते हैं, ये सारे विमंदित हैं. पहले यहां लोग खुद से आगे आकर इन लोगों के साथ समय बीताते थे. वे उनके लिए खाना, कपड़े और अन्य सामाग्री लेकर आते थे लेकिन कोरोना के कारण अब अनाथालय प्रशासन ने बाहरी आमजन के प्रवेश पर रोक लगा दिया है.
अनाथालय में कोरोना को लेकर बाहरी प्रवेश बंद
सेवा आश्रम के केयरटेकर मनोज कुमार ने बताया कि कोरोना के चलते बाहर से आए लोगों के सामान देने की गतिविधियों पर रोक लग गई है. पहले सेवा आश्रम में आकर हर व्यक्ति अपने हाथ से मदद करना चाहता है और कई लोग भोजन या कुछ सामग्री वगैरह भेंट करना चाहते हैं लेकिन अभी कोरोना की वजह से किसी भी बाहरी व्यक्ति को सेवा आश्रम में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है.
आर्थिक संकट के कारण भी लोग पीछे हटे
मनोज कुमार ने बताया कि आमतौर पर हर महीने में करीब 20 दिन लोग यहां आकर रहनेवाले को भोजन और अन्य सामग्री अपने किसी परिजन के जन्मदिन और पुण्यतिथि के मौके पर भेंट करते थे लेकिन यह सब बंद हो गए हैं. उन्होंने कहा कि इसके दो कारण हैं. एक तो कोरोना के चलते आर्थिक संकट और दूसरा लोगों के आने पर पाबंदी की गई है.
अनाथालय की मदद के लिए ऑनलाइन रुझान है कम
आश्रम के लिए काम करनेवाले महावीर कहते हैं कई बार लोग स्वेच्छा से कुछ करने की बात कहते हैं. ऐसे में हम उन्हें ऑनलाइन ही भुगतान करने को कहते हैं. जिससे हम अपने स्तर पर बच्चों बजट से व्यवस्था कर सके लेकिन लोगों में ऑनलाइन भुगतान के लिए इसमें रुझान कम होता है.
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वहीं आर्थिक संकट से भी फंडिंग में कमी देखने को मिली है. हालांकि, इन सबके बावजूद भी सेवा आश्रम में रहने वाले बच्चों की गतिविधियों पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ा है और तय शेड्यूल के मुताबिक हर गतिविधि को संचालित करने का प्रयास भी सेवा आश्रम द्वारा लगातार किया जा रहा है.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कोरोना ने हर जगह अपना प्रभाव दिखाया है और अनाथालय भी इससे अछूते नहीं हैं. कई बार आर्थिक संकट तो कई बार आर्थिक संकट तो कई बार खुद कोरोना के संक्रमण को रोकने की बड़ी चुनौती के चलते अनाथालय और वृद्ध आश्रम भी प्रभावित होते नजर आ रहे हैं.