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रीजनल एनिमल हसबेंडरी एक्सटेंशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन, पशुपालकों की समस्याओं का होगा प्रभावी समाधान

राज्य सरकार की ओर से रीजनल एनिमल हसबेंडरी एक्सटेंशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन किया गया है. बता दें कि यह फोरम विश्वविद्यालय स्तर पर पशुओं पर होने वाले शोध, अनुसंधान और बीमारियों के इलाज की खोज का लाभ पशुपालकों तक पहुंचाएगी.

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Published : May 23, 2020, 8:53 PM IST

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पशुपालकों के हितों के लिए बनाया साझा मंच 'राहत'

बीकानेर. राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सुझाव को मानते हुए राज्य सरकार ने रीजनल एनिमल हसबेंडरी टेक्नोलॉजी फोरम का गठन किया है. राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विष्णु शर्मा ने बताया कि पशुओं में होने वाली बीमारियों को लेकर पशु चिकित्सक इलाज करते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय स्तर पर होने वाले अनुसंधान पशुपालकों और पशु चिकित्सकों तक सुदृढ़ तरीके से पहुंचे और इसका लाभ पशुपालकों को मिले, इसके विकल्प के रूप में इस फोरम की आवश्यकता थी.

रीजनल एनिमल हसबेंडरी एक्सटेंशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन

उन्होंने कहा कि इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर इसकी जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया, क्योंकि राज्य सरकार और पशुपालन विभाग एक बड़ी एजेंसी है, जो पशुपालकों से सीधे जुड़ाव में रहती है. ऐसे में विश्वविद्यालय के स्तर पर होने वाले शोध और अनुसंधान और बीमारियों की इलाज की खोज का लाभ पशुपालकों को दिलाने के लिए इस फोरम का गठन किया गया है.

कुलपति शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधीन तीन वेटरनरी महाविद्यालय पूरे राजस्थान में हैं. जिसके अंतर्गत आने वाले जिलों के पशुपालन विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालय के अधिकारियों और वेटरनरी महाविद्यालय के पशु विशेषज्ञ साल में दो बार बैठक करेंगे. जिसमें विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के स्तर पर किए गए शोध और अनुसंधान से उन्हें अवगत कराया जाएगा. साथ ही पशुपालकों को होने वाली समस्या को पशु चिकित्सक विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिकों को बताएंगे. जिससे क्षेत्र में अनुसंधान किया जा सके.

यह भी पढ़ेंः जेल महानिदेशक का जोधपुर दौरा, कहा- जब तक मुजरिम की रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव नहीं आ जाती तब तक नहीं भेजा जाएगा जेल

शर्मा ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को लेकर भी जरक नाम से एक फोरम का गठन हो रखा है. उसी तर्ज पर इस फोरम का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि पशुओं में समय-समय पर कई तरह की बीमारियां सामने आती है. ऐसे में उन बीमारियों के इलाज के साथ-साथ उस बीमारियों के होने वाले कारणों की खोज और उसको लेकर किए गए अनुसंधान समय-समय पर होते रहते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वह पशुपालन तक नहीं पहुंच पाते हैं. इस फोरम के माध्यम से एक श्रृंखला पशुपालक, पशु चिकित्सक और पशु वैज्ञानिक के रूप में बन जाएगी.

बीकानेर. राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सुझाव को मानते हुए राज्य सरकार ने रीजनल एनिमल हसबेंडरी टेक्नोलॉजी फोरम का गठन किया है. राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विष्णु शर्मा ने बताया कि पशुओं में होने वाली बीमारियों को लेकर पशु चिकित्सक इलाज करते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय स्तर पर होने वाले अनुसंधान पशुपालकों और पशु चिकित्सकों तक सुदृढ़ तरीके से पहुंचे और इसका लाभ पशुपालकों को मिले, इसके विकल्प के रूप में इस फोरम की आवश्यकता थी.

रीजनल एनिमल हसबेंडरी एक्सटेंशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन

उन्होंने कहा कि इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर इसकी जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया, क्योंकि राज्य सरकार और पशुपालन विभाग एक बड़ी एजेंसी है, जो पशुपालकों से सीधे जुड़ाव में रहती है. ऐसे में विश्वविद्यालय के स्तर पर होने वाले शोध और अनुसंधान और बीमारियों की इलाज की खोज का लाभ पशुपालकों को दिलाने के लिए इस फोरम का गठन किया गया है.

कुलपति शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधीन तीन वेटरनरी महाविद्यालय पूरे राजस्थान में हैं. जिसके अंतर्गत आने वाले जिलों के पशुपालन विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालय के अधिकारियों और वेटरनरी महाविद्यालय के पशु विशेषज्ञ साल में दो बार बैठक करेंगे. जिसमें विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के स्तर पर किए गए शोध और अनुसंधान से उन्हें अवगत कराया जाएगा. साथ ही पशुपालकों को होने वाली समस्या को पशु चिकित्सक विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिकों को बताएंगे. जिससे क्षेत्र में अनुसंधान किया जा सके.

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शर्मा ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को लेकर भी जरक नाम से एक फोरम का गठन हो रखा है. उसी तर्ज पर इस फोरम का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि पशुओं में समय-समय पर कई तरह की बीमारियां सामने आती है. ऐसे में उन बीमारियों के इलाज के साथ-साथ उस बीमारियों के होने वाले कारणों की खोज और उसको लेकर किए गए अनुसंधान समय-समय पर होते रहते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में वह पशुपालन तक नहीं पहुंच पाते हैं. इस फोरम के माध्यम से एक श्रृंखला पशुपालक, पशु चिकित्सक और पशु वैज्ञानिक के रूप में बन जाएगी.

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