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बीकानेर: नए शैक्षणिक सत्र के लिए फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत कमेटी करेगी फीस निर्धारण

नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 को लेकर फीस रेगुलेशन कमेटी की बैठक के निर्णय के बाद ही स्कूल फीस का निर्धारण होगा. स्कूल फीस कमेटी के गठन और बैठक को लेकर जल्द ही शिक्षा विभाग आदेश निकालकर स्थिति स्पष्ट करेगा.

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फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत कमेटी करेगी फीस निर्धारण
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Published : May 4, 2021, 3:25 PM IST

Updated : May 4, 2021, 10:30 PM IST

बीकानेर. निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों से मनमाना फीस वसूली जा रही थी. इसको लेकर अभिभावक और निजी स्कूलों के बीच हमेशा से ही विरोधाभास की स्थिति देखने को मिली है. कोरोना काल के दौरान फीस के मुद्दे को लेकर दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट तक गए. जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने बीते सत्र 2020-21 के लिए 85 फीसदी फीस लेने को लेकर आदेश कर दिए हैं. दरअसल स्कूलों में फीस निर्धारण के मुद्दे को लेकर फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत स्कूलों में कमेटी बनी हुई है.

अब कमेटी की बैठक में फीस निर्धारण के निर्णय के बाद ही निजी स्कूल फीस ले सकेंगे. सरकारी स्तर पर फीस निर्धारण को लेकर किसी भी तरह के सीधे हस्तक्षेप की बजाए फीस निर्धारण कमेटी की ओर से निर्णय लिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब शिक्षा विभाग निजी स्कूलों और अभिभावकों के बीच किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए एक आदेश निकालने की तैयारी कर रहा है.

शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि स्कूलों में फीस निर्धारण को लेकर कमेटियां बनी हुई है. इसमें अभिभावक भी होते हैं. लॉटरी के आधार पर अभिभावकों का चयन होता है.

पढ़ें: Viral Video: चालान काटने की बात पर दुकानदार भाइयों के साथ पुलिस की मारपीट

पारदर्शिता को लेकर शिक्षा विभागीय स्तर पर मॉनिटरिंग की जाएगी. ताकि कमेटियों के गठन को लेकर कोई सवाल खड़े नहीं हों. हर स्कूल में पैरेंट्स का चयन लॉटरी के आधार पर ही किया जाना सुनिश्चित हो.

शिक्षा निदेशक ने कहा कि बीते हुए सत्र में 15 फीसदी फीस कम लेने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं. नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 में फीस निर्धारण कमेटी की बैठक के बाद ही स्कूल फीस ले सकेंगे. फीस निर्धारण कमेटी स्कूलों में पहले से बनी हुई है, लेकिन अब इसकी मॉनिटरिंग को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे.

शिक्षा निदेशक ने यह भी कहा कि कमेटी की ओर से लिए गए निर्णय पर किसी भी तरह की आपत्ति होने पर संभाग स्तर पर बनी कमेटी उसका निर्णय करेगी. दरअसल स्कूलों की ओर से ली जाने वाली फीस को लेकर राज्य सरकार के स्तर पर सीधे हस्तक्षेप को सुप्रीम कोर्ट ने गैर जरूरी बताते हुए स्कूलों की फीस निर्धारण कमेटी के गठन का हवाला देते हुए कहा कि जब पहले से ही स्कूलों में इसको लेकर कमेटी बनी हुई है तो सरकारी स्तर पर अलग से फीस निर्धारण को लेकर किसी तरह की कोई निर्णय की जरूरत नहीं है. ऐसे में अब शिक्षा विभाग अभिभावकों और स्कूल संचालकों के बीच सामंजस्य को लेकर फीस निर्धारण कमेटी और फीस रेगुलेशन एक्ट को मजबूत करने की तैयारी कर रहा है.

बीकानेर. निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों से मनमाना फीस वसूली जा रही थी. इसको लेकर अभिभावक और निजी स्कूलों के बीच हमेशा से ही विरोधाभास की स्थिति देखने को मिली है. कोरोना काल के दौरान फीस के मुद्दे को लेकर दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट तक गए. जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने बीते सत्र 2020-21 के लिए 85 फीसदी फीस लेने को लेकर आदेश कर दिए हैं. दरअसल स्कूलों में फीस निर्धारण के मुद्दे को लेकर फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत स्कूलों में कमेटी बनी हुई है.

अब कमेटी की बैठक में फीस निर्धारण के निर्णय के बाद ही निजी स्कूल फीस ले सकेंगे. सरकारी स्तर पर फीस निर्धारण को लेकर किसी भी तरह के सीधे हस्तक्षेप की बजाए फीस निर्धारण कमेटी की ओर से निर्णय लिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब शिक्षा विभाग निजी स्कूलों और अभिभावकों के बीच किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए एक आदेश निकालने की तैयारी कर रहा है.

शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि स्कूलों में फीस निर्धारण को लेकर कमेटियां बनी हुई है. इसमें अभिभावक भी होते हैं. लॉटरी के आधार पर अभिभावकों का चयन होता है.

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पारदर्शिता को लेकर शिक्षा विभागीय स्तर पर मॉनिटरिंग की जाएगी. ताकि कमेटियों के गठन को लेकर कोई सवाल खड़े नहीं हों. हर स्कूल में पैरेंट्स का चयन लॉटरी के आधार पर ही किया जाना सुनिश्चित हो.

शिक्षा निदेशक ने कहा कि बीते हुए सत्र में 15 फीसदी फीस कम लेने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं. नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 में फीस निर्धारण कमेटी की बैठक के बाद ही स्कूल फीस ले सकेंगे. फीस निर्धारण कमेटी स्कूलों में पहले से बनी हुई है, लेकिन अब इसकी मॉनिटरिंग को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे.

शिक्षा निदेशक ने यह भी कहा कि कमेटी की ओर से लिए गए निर्णय पर किसी भी तरह की आपत्ति होने पर संभाग स्तर पर बनी कमेटी उसका निर्णय करेगी. दरअसल स्कूलों की ओर से ली जाने वाली फीस को लेकर राज्य सरकार के स्तर पर सीधे हस्तक्षेप को सुप्रीम कोर्ट ने गैर जरूरी बताते हुए स्कूलों की फीस निर्धारण कमेटी के गठन का हवाला देते हुए कहा कि जब पहले से ही स्कूलों में इसको लेकर कमेटी बनी हुई है तो सरकारी स्तर पर अलग से फीस निर्धारण को लेकर किसी तरह की कोई निर्णय की जरूरत नहीं है. ऐसे में अब शिक्षा विभाग अभिभावकों और स्कूल संचालकों के बीच सामंजस्य को लेकर फीस निर्धारण कमेटी और फीस रेगुलेशन एक्ट को मजबूत करने की तैयारी कर रहा है.

Last Updated : May 4, 2021, 10:30 PM IST
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