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नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की करें पूजा, इनकी आराधना से होगी आपकी मनोकामना पूरी

चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करते हैं. पंडितों के अनुसार पर्वतराज हिमालय की तरह कात्यायनी ऋषि ने भी मां दुर्गा की आराधना की थी. साथ ही मां दुर्गा से पुत्री स्वरूप में उनके घर उत्पन्न होने की कामना की थी.

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Published : Mar 27, 2023, 9:29 AM IST

Updated : Mar 27, 2023, 12:31 PM IST

बीकानेर. नवरात्र के छठवें दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा का खास महत्व है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि पर्वतराज हिमालय की तरह कात्यायनी ऋषि ने भी मां दुर्गा की आराधना की थी और मां दुर्गा से पुत्री स्वरूप में उनके घर उत्पन्न होने की इच्छा जतायी थी. फिर उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उन्हें मनोवांछित फल दिया था. तभी से नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी स्वरूप में मां भगवती की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि कुंवारी कन्या यदि पूरे विधि-विधान के साथ इनकी पूजा अर्चना करती है तो उसे माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से विवाह में आ रही संकट स्वत: ही दूर हो जाती है. इनकी पूजा करने से साधक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है. साधक यदि पूरे विधि-विधान के पूजा-अर्चना करता है तो उसके जीवन में पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है और शत्रुओं का नाश भी स्वत: हो जाता है. साथ ही देवी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से भी साधक को मुक्ति मिलती है.

सिंह सवारी और हाथ में त्रिशूल

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं. उनके हाथ में कमल का पुष्प और त्रिशूल रूपी शस्त्र भी है.. देवी के इस स्वरूप की विधि- विधान अर्थात षोडशोपचार से पूजा आराधना का अपना विशेष महत्व है. ऐसा करने से साधक को मनोवांछित फल मिलता है.

पढ़ें Aaj ka Panchang: आज के पंचांग में देखें शुभ-अशुभ योग और क्या है अभिजीत मुहुर्त, कैसा बन रहा संयोग

विवाह की अड़चनें होती है दूर

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से करने से कुंवारी कन्या के विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं. मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है.

शहद का भोग और तगर के पुष्प करें माता को अर्पित

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि शास्त्रों में नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा में तगर के पुष्प अर्पण किए जाने का उल्लेख है. हालांकि भगवती को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं. लेकिन तगर के पुष्प मां कात्यायनी को कुछ ज्यादा ही पसंद है. इसके अलावा नैवेद्य में खीर मालपुआ का भोग देवी को लगाएं. ऐसा विश्वास है कि मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से साधक को सुंदर काया की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में भी मां कात्यायनी की पूजा में शहद का भोग लगाना अति उत्तम माना गया है..

बीकानेर. नवरात्र के छठवें दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा का खास महत्व है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि पर्वतराज हिमालय की तरह कात्यायनी ऋषि ने भी मां दुर्गा की आराधना की थी और मां दुर्गा से पुत्री स्वरूप में उनके घर उत्पन्न होने की इच्छा जतायी थी. फिर उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उन्हें मनोवांछित फल दिया था. तभी से नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी स्वरूप में मां भगवती की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि कुंवारी कन्या यदि पूरे विधि-विधान के साथ इनकी पूजा अर्चना करती है तो उसे माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से विवाह में आ रही संकट स्वत: ही दूर हो जाती है. इनकी पूजा करने से साधक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है. साधक यदि पूरे विधि-विधान के पूजा-अर्चना करता है तो उसके जीवन में पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है और शत्रुओं का नाश भी स्वत: हो जाता है. साथ ही देवी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से भी साधक को मुक्ति मिलती है.

सिंह सवारी और हाथ में त्रिशूल

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं. उनके हाथ में कमल का पुष्प और त्रिशूल रूपी शस्त्र भी है.. देवी के इस स्वरूप की विधि- विधान अर्थात षोडशोपचार से पूजा आराधना का अपना विशेष महत्व है. ऐसा करने से साधक को मनोवांछित फल मिलता है.

पढ़ें Aaj ka Panchang: आज के पंचांग में देखें शुभ-अशुभ योग और क्या है अभिजीत मुहुर्त, कैसा बन रहा संयोग

विवाह की अड़चनें होती है दूर

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से करने से कुंवारी कन्या के विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो जाती हैं. मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है.

शहद का भोग और तगर के पुष्प करें माता को अर्पित

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि शास्त्रों में नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा में तगर के पुष्प अर्पण किए जाने का उल्लेख है. हालांकि भगवती को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं. लेकिन तगर के पुष्प मां कात्यायनी को कुछ ज्यादा ही पसंद है. इसके अलावा नैवेद्य में खीर मालपुआ का भोग देवी को लगाएं. ऐसा विश्वास है कि मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से साधक को सुंदर काया की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में भी मां कात्यायनी की पूजा में शहद का भोग लगाना अति उत्तम माना गया है..

Last Updated : Mar 27, 2023, 12:31 PM IST
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