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चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की होती है पूजा

नवरात्र के 9 दिन में देवी के अलग अलग स्वरूप की पूजा होती है. चैत्र नवरात्र महापर्व के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. देवी के हर स्वरूप की अलग-अलग दिन पूजा का भी शास्त्रों में महत्व बताया गया है. जानिए नवरात्र के दूसरे दिन क्यों की जाती है माता ब्रह्मचारिणी माता की पूजा अर्चना और किन किन बातों का पूजन के दौरान रखें विशेष ध्यान.

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Published : Mar 23, 2023, 1:01 AM IST

नवरात्र के 9 दिन में देवी के अलग अलग स्वरूप की पूजा होती है. चैत्र नवरात्र महापर्व के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. देवी के हर स्वरूप की अलग-अलग दिन पूजा का भी शास्त्रों में महत्व बताया गया है. जानिए नवरात्र के दूसरे दिन क्यों की जाती है माता ब्रह्मचारिणी माता की पूजा अर्चना और किन किन बातों का पूजन के दौरान रखें विशेष ध्यान.

बीकानेर. नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. 22 मार्च से शुरू हुए चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप यानि मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या करने वाली वाली देवी है.

तपस्वी बनता साधक
पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि भगवती देवी के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा और अवतार लेने के पीछे भी अपनी वजह है. उन्होंने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तपस्या करते हुए करनी चाहिए. ऐसा करने से ही साधक तपस्वी बनता है. वे कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी तपस्वी रूप में प्रकट हुई और उनके हाथ में कमंडल माला और पदम धारण किया होता है. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या में लीन रहने वाली देवी हैं. उन्होंने कहा कि मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा तपस्या करते हुए ही करनी चाहिए.

पायस और मालपुआ का भोग
पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्र देवी की उपासना का महापर्व है. देवी की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित किए जाने वाले भोग को लेकर उन्होंने बताया कि जो तपस्वी होता है. उसके आचरण के मुताबिक उसके सभी प्रकार के नैवेद्य स्वीकार होते हैं. वे कहते हैं कि शास्त्रों में पायस यानि खीर और मालपुआ का भोग देवी की पूजा अर्चना में बताया गया है. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना में कनेरी का पुष्प अर्पित करना चाहिए। किराडू कहते हैं कि देवी की आराधना में सब प्रकार के पुष्प अर्पित करने का महत्व में शास्त्रों में बताया गया है। पूजन के दौरान मां दुर्गा के 108 नाम या फिर इससे ज्यादा नाम से अर्चन करते हुए देवी को पुष्प अर्पण करना चाहिए.

नवरात्र के 9 दिन में देवी के अलग अलग स्वरूप की पूजा होती है. चैत्र नवरात्र महापर्व के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. देवी के हर स्वरूप की अलग-अलग दिन पूजा का भी शास्त्रों में महत्व बताया गया है. जानिए नवरात्र के दूसरे दिन क्यों की जाती है माता ब्रह्मचारिणी माता की पूजा अर्चना और किन किन बातों का पूजन के दौरान रखें विशेष ध्यान.

बीकानेर. नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. 22 मार्च से शुरू हुए चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप यानि मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या करने वाली वाली देवी है.

तपस्वी बनता साधक
पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि भगवती देवी के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा और अवतार लेने के पीछे भी अपनी वजह है. उन्होंने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तपस्या करते हुए करनी चाहिए. ऐसा करने से ही साधक तपस्वी बनता है. वे कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी तपस्वी रूप में प्रकट हुई और उनके हाथ में कमंडल माला और पदम धारण किया होता है. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या में लीन रहने वाली देवी हैं. उन्होंने कहा कि मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा तपस्या करते हुए ही करनी चाहिए.

पायस और मालपुआ का भोग
पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्र देवी की उपासना का महापर्व है. देवी की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित किए जाने वाले भोग को लेकर उन्होंने बताया कि जो तपस्वी होता है. उसके आचरण के मुताबिक उसके सभी प्रकार के नैवेद्य स्वीकार होते हैं. वे कहते हैं कि शास्त्रों में पायस यानि खीर और मालपुआ का भोग देवी की पूजा अर्चना में बताया गया है. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना में कनेरी का पुष्प अर्पित करना चाहिए। किराडू कहते हैं कि देवी की आराधना में सब प्रकार के पुष्प अर्पित करने का महत्व में शास्त्रों में बताया गया है। पूजन के दौरान मां दुर्गा के 108 नाम या फिर इससे ज्यादा नाम से अर्चन करते हुए देवी को पुष्प अर्पण करना चाहिए.

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