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Chaitra Navratri 2023: देवी की आराधना करते समय इन बातों का रखें विशेष ख्याल

शक्ति की आराधना के महापर्व नवरात्र आज से शुरू हुए (Chaitra Navratri) हैं और घट स्थापना के बाद अगले 9 दिन तक देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाएगी. देवी की आराधना करते वक्त कई बातों का ख्याल रखना चाहिए और पूजा किस तरह से करनी चाहिए और पूजा में किस तरह की सामग्री का उपयोग करना चाहिए. इसको लेकर भी शास्त्रों में वर्णन किया गया है आइए जानते हैं पूजन के दौरान नवदुर्गा किन चीजों को अर्पित करने से प्रसन्न होती हैं.

Chaitra Navratri 2023 Puja
Chaitra Navratri 2023 Puja
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Published : Mar 22, 2023, 9:23 AM IST

बीकानेर. आज से नववर्ष शुरू हो रहा है और चैत्र नवरात्र का पहला दिन है. अगले नौ दिनों तक देवी की आराधना का पर्व है. नवरात्र में देवी की पूजा अर्चना करने का विधान है तो वहीं देवी को अर्पित की जाने वाले भोग प्रसाद और पुष्प का भी एक महत्व है. नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व है और इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरे विधि विधान के साथ करने का फल मिलता है.

ये लगाएं भोग : वैसे तो नवरात्र देवी की महापर्व है, लेकिन हमेशा ही मां भगवती को जो भोग प्रसाद चढ़ाया जाता है. उसका खास मकसद होता है, क्योंकि इसमें देवी की पसंद को प्राथमिकता दी जाती है. कहते हैं मां को अनार, मालपुए का भोग अत्यंत प्रिय है. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि सनातन धर्म में देवी की उपासना का ये महापर्व है और देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन किया जाता है. वे कहते हैं कि वैसे तो शुद्ध अंतर करण और मन से की गई पूजा अर्चना में सभी सात्विक अर्पण स्वीकार्य हैं, लेकिन शास्त्रों में उल्लेखित अनुसार पूजन विधि में कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए.

अखंड सुहाग की निशानी लाल रंग : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी पूजन में वैसे तो अलग-अलग दिन कुछ खास सामग्री का उपयोग पूजन के दौरान अलग-अलग स्वरूप की पूजा में बताया गया है. किराडू ने बताया कि देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, लेकिन शास्त्र अनुसार कनेरी का लाल पुष्प देवी को अति प्रिय है. इसके अलावा कमल और गुलाब का पुष्प भी देवी को प्रिय है. लाल रंग की चुनरी सुहाग की निशानी का प्रतीक है. इसलिए वह चुनरी देवी को ओढ़ाई जाती है, जो कि अखंड सुहाग की कामना पूरी करती है.

पढ़ें : Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्र आज से, पहले दिन होगी मां शैलपुत्री की आराधना

प्रसाद में भी इन बातों का रखें ध्यान : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि शुद्धता के साथ निर्मित सामर्थ्य अनुसार देवी को लगाए गए भोग का फल मिलता है और देवी को भी वो भोग स्वीकार होता है, लेकिन इसमें भी यदि खीर और मालपुआ का भोग अर्पित किया जाए तो यह श्रेष्ठ रहता है. पञ्चांगकर्ता किराडू ने बताया कि वैसे तो सनातन धर्म में पूजन में ऋतु फल उपयोग बताया गया है और इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों भी मिलता है. लेकिन देवी पूजन में अनार का फल का अर्पण करना चाहिए. कहते हैं कि देवी की आराधना करने वाले साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए.

बीकानेर. आज से नववर्ष शुरू हो रहा है और चैत्र नवरात्र का पहला दिन है. अगले नौ दिनों तक देवी की आराधना का पर्व है. नवरात्र में देवी की पूजा अर्चना करने का विधान है तो वहीं देवी को अर्पित की जाने वाले भोग प्रसाद और पुष्प का भी एक महत्व है. नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व है और इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरे विधि विधान के साथ करने का फल मिलता है.

ये लगाएं भोग : वैसे तो नवरात्र देवी की महापर्व है, लेकिन हमेशा ही मां भगवती को जो भोग प्रसाद चढ़ाया जाता है. उसका खास मकसद होता है, क्योंकि इसमें देवी की पसंद को प्राथमिकता दी जाती है. कहते हैं मां को अनार, मालपुए का भोग अत्यंत प्रिय है. पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि सनातन धर्म में देवी की उपासना का ये महापर्व है और देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन किया जाता है. वे कहते हैं कि वैसे तो शुद्ध अंतर करण और मन से की गई पूजा अर्चना में सभी सात्विक अर्पण स्वीकार्य हैं, लेकिन शास्त्रों में उल्लेखित अनुसार पूजन विधि में कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए.

अखंड सुहाग की निशानी लाल रंग : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी पूजन में वैसे तो अलग-अलग दिन कुछ खास सामग्री का उपयोग पूजन के दौरान अलग-अलग स्वरूप की पूजा में बताया गया है. किराडू ने बताया कि देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, लेकिन शास्त्र अनुसार कनेरी का लाल पुष्प देवी को अति प्रिय है. इसके अलावा कमल और गुलाब का पुष्प भी देवी को प्रिय है. लाल रंग की चुनरी सुहाग की निशानी का प्रतीक है. इसलिए वह चुनरी देवी को ओढ़ाई जाती है, जो कि अखंड सुहाग की कामना पूरी करती है.

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प्रसाद में भी इन बातों का रखें ध्यान : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि शुद्धता के साथ निर्मित सामर्थ्य अनुसार देवी को लगाए गए भोग का फल मिलता है और देवी को भी वो भोग स्वीकार होता है, लेकिन इसमें भी यदि खीर और मालपुआ का भोग अर्पित किया जाए तो यह श्रेष्ठ रहता है. पञ्चांगकर्ता किराडू ने बताया कि वैसे तो सनातन धर्म में पूजन में ऋतु फल उपयोग बताया गया है और इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों भी मिलता है. लेकिन देवी पूजन में अनार का फल का अर्पण करना चाहिए. कहते हैं कि देवी की आराधना करने वाले साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए.

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