बीकानेर. अहोई अष्टमी रविवार को मनाई जाएगी. इस दिन अहोई माता के साथ-साथ स्याही माता की भी उपासना की जाती है. यह पर्व उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है. यह व्रत कार्तिक माह में करवा चौथ के चौथे दिन यानी अष्टमी में मनाया जाता है. इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर रविवार को रखा जाएगा.
मां पार्वती का स्वरूप : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि अहोई माता माता पार्वती का स्वरूप है. मां पार्वती की आराधना करते हुए दीवार पर आकृति स्वरूप में मां और उनके सात पुत्रों की तस्वीर बनाई जाती है और चावल का भोग अर्पित करते हुए अष्टोई अष्टमी की व्रत कथा सुननी चाहिए. महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए इस व्रत को करती हैं. रात्रि में तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.
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पुत्र संतान की कामना भी होती पूरी : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि केवल अपने पुत्र के लिए ही माताएं ही इस व्रत को नहीं करती है, बल्कि जिन महिलाओं को संतान नहीं होती है, वो भी पुत्र की कामना को लेकर इस व्रत को करती है. अहोई माता उन पर प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद भी देती है. इस दौरान घर में बुजुर्ग महिला या सास को भी उपहार के तौर पर कुछ दिया जाता है.