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Navratri 2023 : नवरात्र की अष्टमी को माता महागौरी की होती है पूजा, ऐसे करें देवी की आराधना - Rajasthan Hindi News

Shardiya Navratri Day 8, शक्ति की आराधना के महापर्व नवरात्र में देवी की आराधना में दुर्गा अष्टमी यानी नवरात्र के आठवें दिन का खासा महत्व है. वैसे तो नवरात्रि 9 दिन के होते हैं. देवी की आराधना करने वाले कई लोग दुर्गा अष्टमी के दिन भी अनुष्ठान की पूर्णाहुति करते हैं और नन्हीं कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराते हुए भेंट अर्पित करते हैं.

Navratri 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 22, 2023, 6:59 AM IST

बीकानेर. नवरात्र के 8वां दिन को मां पार्वती के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है और नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गाअष्टमी कहा जाता है. दुर्गाअष्टमी के दिन देवी के महागौरी के स्वरूप की पूजा होती है.

तपस्या से पड़ा महागौरी नाम : पांचांगकर्ता पंडित किराडू ने बताया कि गृहस्थ जन और सात्विक पूजा करने वाले लोगों सफेद कमल और मोगरा से देवी महागौरी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि महागौरी भगवान शंकर की अर्धांगिनी हैं. पौराणिक कथाओं का जिक्र करते हुए किराडू ने बताया कि देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की और तपस्या के चलते उनका वर्णन काला पड़ गया. प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके वर्ण को फिर से गौर कर दिया और वहीं से उनका नाम महागौरी पड़ा. वृषभ पर सवार मां महागौरी का रंग बेहद गौरा है, इसीलिए देवी के इस स्वरूप को महागौरी कहा जाता है. उनके हाथों के डमरू, कक्षमाला, त्रिशूल धारण किए हुए हैं.

पढ़ें : 22 october 2023 Rashifal : देवी महगौरी की कृपा से इन राशियों के रिश्ते में आएगी मधुरता, धार्मिक कार्यों में बीतेगा दिन

मोगरा का पुष्प प्रिय : पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार देवी महागौरी को नारियल का भोग लगाना श्रेयस्कर माना जाता है. देवी को वैसे तो किसी भी पुष्प को अर्पण कर सकते हैं, लेकिन मोगरा का पुष्प अर्पित करना संभव हो तो किया जाना चाहिए, क्योंकि ये देवी को अतिप्रिय है. उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि देवी को भोग में नारियल और पुष्प में मोगरा अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और पाप कर्म से छुटकारा मिलता है. पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि अष्टमी के दिन महानिशा पूजा की पूजा का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है. यह बलि प्रदान का प्रयोग होता है.

देवी महागौरी की होती पूजा : राजेन्द्र किराडू ने आगे बताया कि नवरात्रि पर्व के अष्टमी तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में पूजा के लिए तैयार होने के बाद व्रत का संकल्प लें और माता को सिंदूर, कुमकुम, लौंग का जोड़ा, इलाइची, लाल चुनरी श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. ऐसा करने के बाद माता महागौरी और मां दुर्गा की विधिवत आरती करें. आरती से पहले दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.

बीकानेर. नवरात्र के 8वां दिन को मां पार्वती के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है और नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गाअष्टमी कहा जाता है. दुर्गाअष्टमी के दिन देवी के महागौरी के स्वरूप की पूजा होती है.

तपस्या से पड़ा महागौरी नाम : पांचांगकर्ता पंडित किराडू ने बताया कि गृहस्थ जन और सात्विक पूजा करने वाले लोगों सफेद कमल और मोगरा से देवी महागौरी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि महागौरी भगवान शंकर की अर्धांगिनी हैं. पौराणिक कथाओं का जिक्र करते हुए किराडू ने बताया कि देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की और तपस्या के चलते उनका वर्णन काला पड़ गया. प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके वर्ण को फिर से गौर कर दिया और वहीं से उनका नाम महागौरी पड़ा. वृषभ पर सवार मां महागौरी का रंग बेहद गौरा है, इसीलिए देवी के इस स्वरूप को महागौरी कहा जाता है. उनके हाथों के डमरू, कक्षमाला, त्रिशूल धारण किए हुए हैं.

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मोगरा का पुष्प प्रिय : पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार देवी महागौरी को नारियल का भोग लगाना श्रेयस्कर माना जाता है. देवी को वैसे तो किसी भी पुष्प को अर्पण कर सकते हैं, लेकिन मोगरा का पुष्प अर्पित करना संभव हो तो किया जाना चाहिए, क्योंकि ये देवी को अतिप्रिय है. उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि देवी को भोग में नारियल और पुष्प में मोगरा अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और पाप कर्म से छुटकारा मिलता है. पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि अष्टमी के दिन महानिशा पूजा की पूजा का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है. यह बलि प्रदान का प्रयोग होता है.

देवी महागौरी की होती पूजा : राजेन्द्र किराडू ने आगे बताया कि नवरात्रि पर्व के अष्टमी तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में पूजा के लिए तैयार होने के बाद व्रत का संकल्प लें और माता को सिंदूर, कुमकुम, लौंग का जोड़ा, इलाइची, लाल चुनरी श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. ऐसा करने के बाद माता महागौरी और मां दुर्गा की विधिवत आरती करें. आरती से पहले दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.

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