भीलवाड़ा. कोरोना की चैन को खत्म करने के लिए लॉकडाउन 2.0 के तहत जिले के ईट भट्टों की शुरुआत हो चुकी है, जिससे वहां काम करने वाले मजदूरों के चेहरे खिल गए हैं. मजदूरों का कहना है कि हमारे पास दो जून की रोटी के लिए रोजगार मिल गया है. उन्होंने बताया कि हम सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए और मुंह पर मास्क लगाकर ईंट बनाने का काम कर रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम शनिवार को जिले के सरेरी के पास जय भवानी ईंट उद्योग पर पहुंची. मॉडिफाइड लॉकडाउन के तहत शुरू हुए ईंट भट्टे पर अपने परिवार के साथ वापस ईंट बनाने के काम में मजदूर जुट गए हैं. इस दौरान मजदूर मोदी सरकार और प्रदेश सरकार के नियमों की पूरी पालना करते नजर आए. ईंट बनाते समय मजदूर मुंह पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रख रहे हैं. बता दें कि भट्टे पर प्रतिदिन एक मजदूर 2 हजार कच्ची ईंट बना लेते हैं, जिनका इनको 800 से 1000 रुपए मेंहनताना मिल जाता है.
ईंट बना रहे मजदूर बोदूराम भील ने कहा कि लॉकडाउन के समय हम हमारे घर चले गए. उन्होंने बताया कि हम हमेशा ईंट बनाकर ही जीवन यापन करते हैं. वर्तमान में हमारे बच्चे को दूध निशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है क्योंकि हम मेहनत में विश्वास रखते हैं.
वहीं अन्य श्रमिक ने कहा कि वर्षों से यहां हम सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए काम कर रहे हैं. रामलाल खटीक ने बताया कि इस भट्टे पर 40 मजदूर हमारे ग्राम पंचायत क्षेत्र के काम करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके भोजन की तमाम व्यवस्था निशुल्क की जाती थी. वर्तमान में सभी मजदूर काम पर जुट गए हैं. इनको सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाकर ही काम पर लगाया जाता है.