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भीलवाड़ा: कोरोना को हारने के लिए मजदूरों में दिखा गजब का हौसला, कही ये बात

भीलवाड़ा में भले ही मजदूरों का रोजगार नहीं मिल रहा हो. लेकिन, कोरोना वायरस के खात्मे को लेकर उनका मनोबल काफी मजबूत है. ये बात तब सामने आई, जब ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-79 पर मांडल कस्बे के पास स्थित रायसिंहपुरा गांव की स्थिति का जायजा लिया.

भीलवाड़ा में कोरोना वायरस, BHILWARA NEWS
भीलवाड़ा में मजदूरों से ईटीवी भारत की बातचीत
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Published : Apr 4, 2020, 4:49 PM IST

भीलवाड़ा. वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के मजदूरों का कोरोना की चेन खत्म करने के लिए गजब का हौसला देखने को मिल रहा है. यहां दूसरे प्रदेशों से आकर ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे मजदूरों के एक ग्रुप से जब ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत को तो सभी ने कहा कि जिंदगी जरूरी है, काम जरूरी नहीं है. हमारा एक ही लक्ष्य है कि पहले कोरोना की चेन खत्म हो. लेकिन, प्रशासन से हमारी मांग है कि हमारे लिए भोजन की सुदृढ़ व्यवस्था की जाए.

भीलवाड़ा में मजदूरों से ईटीवी भारत की बातचीत

गौरतलब है कि पूरे देश में लॉडाउन है और भीलवाड़ा में कर्फ्यू भी लगा हुआ है. इसके चलते भीलवाड़ा में स्थापित तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद है. बता दें कि ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-79 पर मांडल कस्बे के पास स्थित रायसिंहपुरा गांव की स्थिति का जायजा लिया. यहां सैकड़ों मजदूर दूसरे प्रदेश के यहां मकान किराए पर रहकर कपड़ा इंडस्ट्रीज में काम करते हैं. औद्योगिक इकाइयां बंद होने के कारण इन मजदूर को भोजन के लिए काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें: झुंझुनू में 6 नए Corona Positive केस, सभी तबलीगी जमात से लौटे, आंकड़ा हुआ 15

ईटीवी भारत पर इन मजदूरों ने अपना दर्द बयां किया. साथ ही कहा कि हम सभी मास्क लगाने की कह रहे है. कोरोना की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. जिंदगी होगी तो आदमी और पैसा कमा सकता है. मध्यप्रदेश के रतलाम जिले से आए एक मजदूर ने बतया कि मैं यहां कंचन इंडिया लिमिटेड में काम करता हूं. लेकिन, फैक्ट्री बंद होने से काफी दिक्कत हो रही हैं. हमारी सरकार से मांग है कि हमें दूसरे प्रदेश में स्थित हमारे घर जाने दिया जाए. वहीं, उत्तर प्रदेश के एक अन्य मजदूर ने कहा कि हमारे लिए जीवन जरूरी है. दिक्कत राशन की आ रही है. अगर प्रशासन हमारे को भोजन उपलब्ध करा दें तो अच्छा होगा. साथ ही कहा कि इंडस्ट्री में जो 20 दिन काम किया है, उसका पैसा भुगतान हो जाए तो राहत मिल सकती है.

पढे़ं: बाड़मेर: कोरोना संक्रमण को लेकर नाहटा अस्पताल प्रभारी डॉ. बलराज सिंह पंवार से खास बातचीत

वहीं, बता दें कि भीलवाड़ा जिले में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है. शनिवार को ये आंकड़ा 27 पर पहुंच गया है. वहीं, शुक्रवार शाम 9 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की तीसरे बार की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद जिला कलेक्टर ने उन्हें गुलाब का फूल देकर महात्मा गांधी अस्पताल से घर के लिए डिस्चार्ज किया. भीलवाड़ा शहर में कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत होने के बाद 20 मार्च से भीलवाड़ा शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, जो 3 अप्रैल को महा कर्फ्यू में तब्दील हो गया. कर्फ्यू के कारण भीलवाड़ा जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद हैं. इन उद्योगिक इकाइयों में राजस्थान सहित अन्य प्रदेश के मजदूर काम करते हैं.

भीलवाड़ा. वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के मजदूरों का कोरोना की चेन खत्म करने के लिए गजब का हौसला देखने को मिल रहा है. यहां दूसरे प्रदेशों से आकर ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे मजदूरों के एक ग्रुप से जब ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत को तो सभी ने कहा कि जिंदगी जरूरी है, काम जरूरी नहीं है. हमारा एक ही लक्ष्य है कि पहले कोरोना की चेन खत्म हो. लेकिन, प्रशासन से हमारी मांग है कि हमारे लिए भोजन की सुदृढ़ व्यवस्था की जाए.

भीलवाड़ा में मजदूरों से ईटीवी भारत की बातचीत

गौरतलब है कि पूरे देश में लॉडाउन है और भीलवाड़ा में कर्फ्यू भी लगा हुआ है. इसके चलते भीलवाड़ा में स्थापित तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद है. बता दें कि ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-79 पर मांडल कस्बे के पास स्थित रायसिंहपुरा गांव की स्थिति का जायजा लिया. यहां सैकड़ों मजदूर दूसरे प्रदेश के यहां मकान किराए पर रहकर कपड़ा इंडस्ट्रीज में काम करते हैं. औद्योगिक इकाइयां बंद होने के कारण इन मजदूर को भोजन के लिए काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

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ईटीवी भारत पर इन मजदूरों ने अपना दर्द बयां किया. साथ ही कहा कि हम सभी मास्क लगाने की कह रहे है. कोरोना की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. जिंदगी होगी तो आदमी और पैसा कमा सकता है. मध्यप्रदेश के रतलाम जिले से आए एक मजदूर ने बतया कि मैं यहां कंचन इंडिया लिमिटेड में काम करता हूं. लेकिन, फैक्ट्री बंद होने से काफी दिक्कत हो रही हैं. हमारी सरकार से मांग है कि हमें दूसरे प्रदेश में स्थित हमारे घर जाने दिया जाए. वहीं, उत्तर प्रदेश के एक अन्य मजदूर ने कहा कि हमारे लिए जीवन जरूरी है. दिक्कत राशन की आ रही है. अगर प्रशासन हमारे को भोजन उपलब्ध करा दें तो अच्छा होगा. साथ ही कहा कि इंडस्ट्री में जो 20 दिन काम किया है, उसका पैसा भुगतान हो जाए तो राहत मिल सकती है.

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वहीं, बता दें कि भीलवाड़ा जिले में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है. शनिवार को ये आंकड़ा 27 पर पहुंच गया है. वहीं, शुक्रवार शाम 9 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की तीसरे बार की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद जिला कलेक्टर ने उन्हें गुलाब का फूल देकर महात्मा गांधी अस्पताल से घर के लिए डिस्चार्ज किया. भीलवाड़ा शहर में कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत होने के बाद 20 मार्च से भीलवाड़ा शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, जो 3 अप्रैल को महा कर्फ्यू में तब्दील हो गया. कर्फ्यू के कारण भीलवाड़ा जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद हैं. इन उद्योगिक इकाइयों में राजस्थान सहित अन्य प्रदेश के मजदूर काम करते हैं.

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