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SPECIAL: Corona की चेन को खत्म करने वाले भीलवाड़ा के कप्तान से मिलिए..

कोरोना के खिलाफ भीलवाड़ा ने जिस तरह से लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की. इसने पूरे देश को एक प्रेरणा और उम्मीद दी है. भीलवाड़ा की सफलता के सबसे बड़े सूत्रधार हैं कलेक्टर राजेंद्र भट्ट. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में भट्ट ने बताया कि उन्होंने कैसे कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी और जीत हासिल की.

भीलवाड़ा न्यूज covid-19
भीलवाड़ा जिला कलेक्टर की Exclusive interveiw
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Published : Apr 10, 2020, 4:39 PM IST

Updated : Apr 10, 2020, 6:00 PM IST

भीलवाड़ा. जिले से कोरोना की चेन को कम करने के लिए पूरे देश में भीलवाड़ा एक मॉडल के रूप में उभर रहा है. जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय कैबिनेट सचिव भी भीलवाड़ा मॉडल की तारीफ कर रहे हैं. जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्होंने कोरोना खिलाफ लड़ाई लड़ी...

भीलवाड़ा जिला कलेक्टर की Exclusive interveiw

प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव की शुरुआत भीलवाड़ा से हुई थी. जिसमें एक डॉक्टर कोरोन पॉजिटिव पाए गए थे. उसके बाद शहर में कर्फ्यू और जिले में लॉकडाउन कर दिया गया. वहीं 3 अप्रैल से भीलवाड़ा शहर में 'महा कर्फ्यू' लगा हुआ है. कोरोना की चेन अब धीरे-धीरे भीलवाड़ा जिले से खत्म हो रही है. कोराना की चेन खत्म होने के कारण और ठोस प्रशासकीय कारणों के कारण भीलवाड़ा एक मॉडल के रूप में देश में उभरा है. जिसकी तारीफ कैबिनेट सचिव, मुख्यमंत्री ने भी की. भीलवाड़ा मॉडल को लेकर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा मॉडल 6 चीजों को जोड़कर बना है.

कोरोना मरीज मिलने के बाद घर-घर सर्वे

जिला कलेक्टर ने बताया कि सबसे पहले आइसोलेशन पर ध्यान दिया. स्ट्रेटजी यह है कि जिले में जिस जगह भी कोरोना वायरस का मरीज पाए जाते हैं, वहां सबको आइसोलेट कर दिया जाता है. उस क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर कर दिया जाता है. उसके बाद उस एरिया के घर-घर में सर्वे करवाया जाता है.

क्वॉरेंटाइन के लिए होटल, हॉस्टल और प्राइवेट हॉस्पिटल का अधिग्रहण

जिस एरिया में कोरोना पॉजिटिव सामने आए वहां सभी लोगों की प्रतिदिन स्क्रीनिंग की गई. भले ही उनमें लक्षण आए या नहीं. इस दौरान जो कोरोना पॉजिटिव आते हैं, उनको और उनके नजदीकी रिश्तेदारों की भी आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है. वहीं दूर के रिश्तेदारों को होम क्वॉरेंटाइन में रखा जाता है. इस तरह बहुत सारी क्वॉरेंटाइन फैसिलिटी और आइसोलेशन वार्ड के लिए जरूरत होती है. यह सब एक अस्पताल कोविड-19 में उपलब्ध होने चाहिए. इनके लिए हमने प्राइवेट हॉस्पिटल, छात्रावास और होटलों का अधिग्रहण भी किया.

एरिया सील के साथ सैनिटाइजेशन भी जरूरी

राजेंद्र भट्ट ने कहा कि जहां पॉजिटिव मरीज मिला, उसे मुख्य बिंदु मानते हुए 1 किलोमीटर के एरिया को सील बंद किया गया. प्रतिदिन उस एरिया में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया गया. व्यक्तियों को घर में रखने की अपील की और उनको घर में प्रत्येक वस्तु प्रशासन ने घर पर उपलब्ध करवाई. इन सारे प्रयासों को जोड़ते हैं तो एक मॉडल बनता है.

होम क्वॉरेंटाइन की मॉनिटरिंग के लिए कोरोना फाइटर टीम

भट्ट ने कहा कि इसे मीडिया मॉडल बता रही है, वास्तव में ये हमारी स्ट्रेटजी है. हम लोगों को यह नहीं पता कि 20 मार्च को जो डॉक्टर पॉजिटिव आया था उसने कितने मरीजों का इलाज किया. अस्पताल का रिकॉर्ड तो हमारे को मिल गया लेकिन घर पर कितने मरीजों को देखा यह पता नहीं था. जिसके बाद शहर में कर्फ्यू लगाया. उसके क्षेत्र में टीमें सर्वे, स्क्रीनिंग करने में जुटी.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: Corona Positive का पहला केस आने बाद से ही किसी भी जवान ने नहीं मांगी छुट्टी: SP

भट्ट ने बताया कि अब तक जिले में 14 से 15 हजार लोगों को होम क्वॉरेंटाइन करवाया जा चुका है. इनकी निगरानी के लिए वहीं गांव में कोरोना फाइटर की एक टीम बनाई, जो रेगुलर हमारे संपर्क में रह रही है. उस एरिया के उपखंड अधिकारी को कोरोना कैप्टन बनाया. इन्हीं स्ट्रेटजी के बाद ये मॉडल बन रहा है और कोरोना की चेन में कमी आ रही है.

सर्वे करने के लिए 2 हजार 250 टीम बनी

वहीं जिला पुलिस की मदद से कर्फ्यू सख्ती से लगाया गया. इसकी पालना भी करवाई गई. इस मॉडल में सभी लोगों ने बखूबी काम किया. प्रत्येक मेडिकल टीम सर्वे के साथ एक मेडिकल का कर्मचारी होता है. अब तक 2 हजार 250 कुल सर्वे टीमें बनाई हैं. प्रत्येक टीम में चिकित्सा, राजस्व, शिक्षा के कर्मचारी को नियुक्त किया. जिले के ग्रामीण क्षेत्र में स्क्रीनिंग और सर्वे किया.

स्वाइन फ्लू में काम कर चुके टीम को मिली सर्वे की जिम्मेदारी

300 टीमें भीलवाड़ा शहर के लिए सर्वे का काम कर रही है. इन टीमों में जो स्वाइन फ्लू के समय काम कर चुके हैं, उनको ही इस टीम में भागीदारी मिली है. क्योंकि उन्होंने पहले स्वाइन फ्लू के समय घर-घर जाकर सर्वे किया था. इन्हीं को मास्टर ट्रेनर बनाकर अभी कोरोना का सर्वे करवा रहे हैं. अगर ये कदम हम समय पर नहीं उठाते तो भीलवाड़ा राजस्थान का हृदय स्थल है. जिले से कोरोना पूरे राज्य में और देश में फैल सकता था.

भीलवाड़ा. जिले से कोरोना की चेन को कम करने के लिए पूरे देश में भीलवाड़ा एक मॉडल के रूप में उभर रहा है. जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय कैबिनेट सचिव भी भीलवाड़ा मॉडल की तारीफ कर रहे हैं. जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्होंने कोरोना खिलाफ लड़ाई लड़ी...

भीलवाड़ा जिला कलेक्टर की Exclusive interveiw

प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव की शुरुआत भीलवाड़ा से हुई थी. जिसमें एक डॉक्टर कोरोन पॉजिटिव पाए गए थे. उसके बाद शहर में कर्फ्यू और जिले में लॉकडाउन कर दिया गया. वहीं 3 अप्रैल से भीलवाड़ा शहर में 'महा कर्फ्यू' लगा हुआ है. कोरोना की चेन अब धीरे-धीरे भीलवाड़ा जिले से खत्म हो रही है. कोराना की चेन खत्म होने के कारण और ठोस प्रशासकीय कारणों के कारण भीलवाड़ा एक मॉडल के रूप में देश में उभरा है. जिसकी तारीफ कैबिनेट सचिव, मुख्यमंत्री ने भी की. भीलवाड़ा मॉडल को लेकर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा मॉडल 6 चीजों को जोड़कर बना है.

कोरोना मरीज मिलने के बाद घर-घर सर्वे

जिला कलेक्टर ने बताया कि सबसे पहले आइसोलेशन पर ध्यान दिया. स्ट्रेटजी यह है कि जिले में जिस जगह भी कोरोना वायरस का मरीज पाए जाते हैं, वहां सबको आइसोलेट कर दिया जाता है. उस क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर कर दिया जाता है. उसके बाद उस एरिया के घर-घर में सर्वे करवाया जाता है.

क्वॉरेंटाइन के लिए होटल, हॉस्टल और प्राइवेट हॉस्पिटल का अधिग्रहण

जिस एरिया में कोरोना पॉजिटिव सामने आए वहां सभी लोगों की प्रतिदिन स्क्रीनिंग की गई. भले ही उनमें लक्षण आए या नहीं. इस दौरान जो कोरोना पॉजिटिव आते हैं, उनको और उनके नजदीकी रिश्तेदारों की भी आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है. वहीं दूर के रिश्तेदारों को होम क्वॉरेंटाइन में रखा जाता है. इस तरह बहुत सारी क्वॉरेंटाइन फैसिलिटी और आइसोलेशन वार्ड के लिए जरूरत होती है. यह सब एक अस्पताल कोविड-19 में उपलब्ध होने चाहिए. इनके लिए हमने प्राइवेट हॉस्पिटल, छात्रावास और होटलों का अधिग्रहण भी किया.

एरिया सील के साथ सैनिटाइजेशन भी जरूरी

राजेंद्र भट्ट ने कहा कि जहां पॉजिटिव मरीज मिला, उसे मुख्य बिंदु मानते हुए 1 किलोमीटर के एरिया को सील बंद किया गया. प्रतिदिन उस एरिया में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया गया. व्यक्तियों को घर में रखने की अपील की और उनको घर में प्रत्येक वस्तु प्रशासन ने घर पर उपलब्ध करवाई. इन सारे प्रयासों को जोड़ते हैं तो एक मॉडल बनता है.

होम क्वॉरेंटाइन की मॉनिटरिंग के लिए कोरोना फाइटर टीम

भट्ट ने कहा कि इसे मीडिया मॉडल बता रही है, वास्तव में ये हमारी स्ट्रेटजी है. हम लोगों को यह नहीं पता कि 20 मार्च को जो डॉक्टर पॉजिटिव आया था उसने कितने मरीजों का इलाज किया. अस्पताल का रिकॉर्ड तो हमारे को मिल गया लेकिन घर पर कितने मरीजों को देखा यह पता नहीं था. जिसके बाद शहर में कर्फ्यू लगाया. उसके क्षेत्र में टीमें सर्वे, स्क्रीनिंग करने में जुटी.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: Corona Positive का पहला केस आने बाद से ही किसी भी जवान ने नहीं मांगी छुट्टी: SP

भट्ट ने बताया कि अब तक जिले में 14 से 15 हजार लोगों को होम क्वॉरेंटाइन करवाया जा चुका है. इनकी निगरानी के लिए वहीं गांव में कोरोना फाइटर की एक टीम बनाई, जो रेगुलर हमारे संपर्क में रह रही है. उस एरिया के उपखंड अधिकारी को कोरोना कैप्टन बनाया. इन्हीं स्ट्रेटजी के बाद ये मॉडल बन रहा है और कोरोना की चेन में कमी आ रही है.

सर्वे करने के लिए 2 हजार 250 टीम बनी

वहीं जिला पुलिस की मदद से कर्फ्यू सख्ती से लगाया गया. इसकी पालना भी करवाई गई. इस मॉडल में सभी लोगों ने बखूबी काम किया. प्रत्येक मेडिकल टीम सर्वे के साथ एक मेडिकल का कर्मचारी होता है. अब तक 2 हजार 250 कुल सर्वे टीमें बनाई हैं. प्रत्येक टीम में चिकित्सा, राजस्व, शिक्षा के कर्मचारी को नियुक्त किया. जिले के ग्रामीण क्षेत्र में स्क्रीनिंग और सर्वे किया.

स्वाइन फ्लू में काम कर चुके टीम को मिली सर्वे की जिम्मेदारी

300 टीमें भीलवाड़ा शहर के लिए सर्वे का काम कर रही है. इन टीमों में जो स्वाइन फ्लू के समय काम कर चुके हैं, उनको ही इस टीम में भागीदारी मिली है. क्योंकि उन्होंने पहले स्वाइन फ्लू के समय घर-घर जाकर सर्वे किया था. इन्हीं को मास्टर ट्रेनर बनाकर अभी कोरोना का सर्वे करवा रहे हैं. अगर ये कदम हम समय पर नहीं उठाते तो भीलवाड़ा राजस्थान का हृदय स्थल है. जिले से कोरोना पूरे राज्य में और देश में फैल सकता था.

Last Updated : Apr 10, 2020, 6:00 PM IST
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