भीलवाड़ा. जिले में हल्दी की खेती की बात सुनने में ही अजीब सी लगती है. लेकिन इसे भीलवाड़ा के एक किसान ने अपने प्रयोग के जरिए मुमकिन कर दिखाया है. शाहपुरा क्षेत्र के पनोतिया गांव के किसान गोपाल कुमावत ना केवल हल्दी की खेती से अच्छी फसल ले रहे हैं, बल्कि बेहतर मुनाफा भी कमा रहे हैं. अपने Experiment के दम पर आज गोपाल किसी पहचान के मोहताज नहीं रह गए हैं. उनके इस Experiment को बारीकी से समझने के लिए शारदा ग्रुप के चेयरमैन अनिल मानसिंहगा की पत्नी मनीषा मानसिंहगा किसान के पास पहुंची. उन्होंने गोपाल के इस काम को दुनिया के सामने रखने के लिए ईटीवी भारत का भी आभार जताया.
मनीषा ने बातचीत के दौरान कहा कि मैंने यह खबर ईटीवी भारत पर देखी है, मुझे अच्छा लगा कि एक छोटे से गांव में एक किसान इतनी बड़ी खेती कर रहा है. मुझे भी इस किसान से कुछ सीखना चाहिए. क्योंकि मुझे बागवानी और किसानी काम में काफी रूचि है, इसलिए मैं आज ईटीवी भारत पर खबर देखने के बाद यहां किसान के पास पहुंची हूं.
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मनीषा ने कहा कि किसान हमारे रक्षक हैं, जीवन के लिए खाना तो किसान ही देता है. हम कितने भी आधुनिक हो जाएं, लेकिन जमीन से जुड़े रहना चाहिए. वर्तमान में युवा पीढ़ी भी अगर किसानी का काम करे, तो अच्छा लाभ मिल सकता है. मनीषा ने ईटीवी भारत को इस खबर को प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद भी दिया. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत ऐसे किसानों को प्लेटफॉर्म देने में अहम भूमिका निभा रहा है, ये समाज के लिए भी प्रेरणादायी है. आपको बता दें कि पनोतिया गांव के किसान गोपाल कुमावत के इस प्रयोग को समझने के लिए ईटीवी भारत उनके खेत तक पहुंचा था. ईटीवी भारत ने सवा बीघा के खेत में भीलवाड़ा के किसान ने उगाई हल्दी...अब हासिल हुई लाखों की उपज शीर्षक से प्रकाशित खबर में बताया था कि किस तरह से किसान गोपाल कुमावत अपने एक बीघा खेत में हल्दी की खेती करते हुए बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. गोपाल ने भीलवाड़ा जैसे जिले में हल्दी की खेती को मुमकिन केवल अपनी समझ और बेहतर तकनीक के जरिए बनाया है. उनका ये Experiment वर्तमान में अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गया है. कई किसान उनके पास पहुंचकर हल्दी की खेती के गुर को समझ रहे हैं.
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रास्ते में हल्दी की खेती को देखकर बनाया था मन
गोपाल लाल कुमावत ने कहा कि मुझे यह फसल बोने की प्रेरणा तब मिली जब में कोटा में नीट की पढ़ाई कर रहे मेरे बेटे से मिलने गया. रास्ते में हल्दी के खेत देखकर उनका मन किया कि हल्दी किसानों से बात की जाए. गोपाल ने किसानों से संवाद किया. इस संवाद का असर यह हुआ कि गोपाल कुमावत ने भी हल्दी की खेती करने का मन बना लिया गोपाल ने बताया कि उनके एक बीघा खेत में 100 क्विंटल हल्दी की उपज हुई है. वर्तमान में 25 रूपये प्रति किलो के भाव से हल्दी की उपज बिक रही है. अगर प्रदेश में किसान इसी तरह खेती करें तो खेती घाटे का सौदा साबित नहीं होगी.
प्रतिभाओं को हमेशा मंच देता रहा है ईटीवी भारत
सीमित संसाधन की बदौलत बड़ा करने का जज्बा रखने वाले हर एक प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने का काम ईटीवी भारत शुरुआत से करता रहा है. खेती से लेकर हर एक फील्ड में दूसरों से अलग करने वाले लोगों तक ईटीवी भारत की टीम पहुंची है और उनकी प्रतिभा से पूरी दुनिया को रू-ब-रू कराया है. ये सफर अनवरत रूप से जारी है. क्योंकि, ईटीवी भारत सामाजिक सरोकार (social responsibility) के जरिए बेहतर समाज का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है.