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हौसलों की उड़ान : पैरों के दम पर भविष्य संवारने में जुटी भीलवाड़ा की अंजू - bhilwara latest news

हाथ नहीं लेकिन हौसला बुलंद है. यह बात चरितार्थ कर रही है भीलवाड़ा के भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय की छात्रा अंजू रावत. एक घटना ने अंजू से उसके दोनों हाथ छीन लिए, लेकिन उसके अंदर एक ऐसा टैलेंट है जिसे देख आप भी उसकी तारीफ करने से नहीं थकेंगे. इस हुनर को देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे.

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Published : Oct 7, 2019, 6:44 PM IST

भीलवाड़ा. ऐसे बुलंद हौसले वाली अंजू रावत के पैर से लिखने की बात पता चली तो इसे गहराई से समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय पहुंची. जहां अंजू को पैरों से लिखता देख हर कोई दंग रह गया.

भीलवाड़ा की अंजू में है पैरों से लिखने का हुनर

अंजू के साथ पढ़ रही साथी छात्रा मोनिका ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि अंजू हमारी क्लासमेट है. वह पढ़ने में बहुत ही होशियार है. उसे जब भी हमारी मदद की आवश्यकता होती है, हम इसे तुरंत मदद करते हैं. इसके दोनों हाथ नहीं होने के कारण यह पैरों से लिखती है.

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हाईटेंशन लाइन ने छीने अंजू के हाथ...

पैर से लिखने वाली छात्रा अंजू ने अपनी आपबीती बताई कि वह गांव बदनोर की रहने वाली है. खेत पर भेड़ चराते समय हाईटेंशन लाइन बहुत नीचे थी, जिसकी चपेट में आने के कारण उसके दोनों हाथ झुलस गए. जिससे उसके हाथों का ऑपरेशन हुआ और बाद उसे दोनों हांथ गंवाने पड़े. अंजू ने कहा कि वह भीलवाड़ा पुलिस लाइन में रहती है. यहां उनके पिता मजदूरी करते थे. यहां उसे सरकारी विद्यालय बहुत दूर होने के कारण पैदल जाना पड़ता था, तब उसने उसकी समस्या तत्कालीन जिला कलेक्टर टीना कुमार के सामने रखी. तब टीना कुमार ने उसे डॉ. भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय आटूण में एडमिशन दिलवाया. यहां वह 9वीं क्लास से अध्ययन कर रही है.

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अध्यापक बनने का है सपना...

अंजू का सपना है कि वह बड़ी होकर अध्यापिका बने और अपने परिवार का नाम रोशन करे. भले ही उसके दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उसके मन में कभी दोनों हाथ न होने का ख्याल नहीं आया, क्योंकि विद्यालय स्टाफ और साथी बालिका ने उसे यह कभी महसूस ही नहीं होने दिया. भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय की प्रिंसिपल भारती झा ने कहा कि अंजू ने यहां पर कक्षा 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट ले रखा है. वह बोर्ड की परीक्षा देने के लिए बिल्कुल तैयार है. वे स्वयं उनकी मॉनिटरिंग करती है, साथ ही सहपाठी बच्चियां भी इनके सभी कार्य में सहयोग देती हैं.

पढ़ें- जयपुर में कांग्रेस ने गुटका-पान मसाला से बने रावण का किया दहन

अंजू की मां भी इस विद्यालय परिसर में बागवानी का काम करती हैं. अंजू के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन पैर से लिखने में वह माहिर है. अंजू के अंदर ज्ञान की कोई कमी नहीं है. उसे लगातार पढ़ने की उत्सुकता है. अच्छे साथ के कारण आगे बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि वे अंजू के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं.

भीलवाड़ा. ऐसे बुलंद हौसले वाली अंजू रावत के पैर से लिखने की बात पता चली तो इसे गहराई से समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय पहुंची. जहां अंजू को पैरों से लिखता देख हर कोई दंग रह गया.

भीलवाड़ा की अंजू में है पैरों से लिखने का हुनर

अंजू के साथ पढ़ रही साथी छात्रा मोनिका ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि अंजू हमारी क्लासमेट है. वह पढ़ने में बहुत ही होशियार है. उसे जब भी हमारी मदद की आवश्यकता होती है, हम इसे तुरंत मदद करते हैं. इसके दोनों हाथ नहीं होने के कारण यह पैरों से लिखती है.

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हाईटेंशन लाइन ने छीने अंजू के हाथ...

पैर से लिखने वाली छात्रा अंजू ने अपनी आपबीती बताई कि वह गांव बदनोर की रहने वाली है. खेत पर भेड़ चराते समय हाईटेंशन लाइन बहुत नीचे थी, जिसकी चपेट में आने के कारण उसके दोनों हाथ झुलस गए. जिससे उसके हाथों का ऑपरेशन हुआ और बाद उसे दोनों हांथ गंवाने पड़े. अंजू ने कहा कि वह भीलवाड़ा पुलिस लाइन में रहती है. यहां उनके पिता मजदूरी करते थे. यहां उसे सरकारी विद्यालय बहुत दूर होने के कारण पैदल जाना पड़ता था, तब उसने उसकी समस्या तत्कालीन जिला कलेक्टर टीना कुमार के सामने रखी. तब टीना कुमार ने उसे डॉ. भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय आटूण में एडमिशन दिलवाया. यहां वह 9वीं क्लास से अध्ययन कर रही है.

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अध्यापक बनने का है सपना...

अंजू का सपना है कि वह बड़ी होकर अध्यापिका बने और अपने परिवार का नाम रोशन करे. भले ही उसके दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उसके मन में कभी दोनों हाथ न होने का ख्याल नहीं आया, क्योंकि विद्यालय स्टाफ और साथी बालिका ने उसे यह कभी महसूस ही नहीं होने दिया. भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय की प्रिंसिपल भारती झा ने कहा कि अंजू ने यहां पर कक्षा 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट ले रखा है. वह बोर्ड की परीक्षा देने के लिए बिल्कुल तैयार है. वे स्वयं उनकी मॉनिटरिंग करती है, साथ ही सहपाठी बच्चियां भी इनके सभी कार्य में सहयोग देती हैं.

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अंजू की मां भी इस विद्यालय परिसर में बागवानी का काम करती हैं. अंजू के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन पैर से लिखने में वह माहिर है. अंजू के अंदर ज्ञान की कोई कमी नहीं है. उसे लगातार पढ़ने की उत्सुकता है. अच्छे साथ के कारण आगे बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि वे अंजू के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं.

Intro:भीलवाड़ा- नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी के मौके पर जहा आज पूरे देश में कन्याओं की पूजा की जा रही है वही भीलवाड़ा के आटूण गांव में स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय की छात्रा अंजू रावत के दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी स्कूल स्टॉप बेहतर शिक्षा देकर किसी कन्या पूजा से कम नहीं मान रहा है। वही अंजू रावत के दोनो हाथ नहीं होने पर भी हौसला बुलंद है वह पढ़ व पैर से लिखकर अध्यापिका बनकर देश व परिवार का नाम रोशन करना चाहती है।


Body:नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी के मौके पर जहां आज पूरे देश में कन्याओं की पूजा की जा रही है। वहीं भीलवाड़ा जिले की एक होनहार बालिका जिसके दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी विद्यालय स्टाफ व साथी बहने उनको बेहतर शिक्षा देकर किसी कन्या पूजा से कम नहीं मान रही है ।
जी हां हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा जिले के आटुण गांव के पास स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय की छात्रा अंजू रावत की । जिसकी दास्तां किसी और की दास्तां से कम नहीं है । अंजू रावत उनके पैतृक गांव में भेड़ चराते समय विपदा का ऐसा पहाड़ टूट पड़ा कि हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने के कारण अंजू को दोनों हाथ गंवाने पड़े। लेकिन अंजू के दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी अंजू के मन में पढ़ने लिखने का जज्बा बरकरार था । उनके मन में जज्बे और पैर से लिखने के हौसले को देख कर तत्कालीन जिला कलेक्टर टीना कुमार ने भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय में भर्ती करवाया। जहां वो अपने भविष्य के लिए बेहतर शिक्षा लेकर अपने जीवन संवारने के लिए व दूसरे के जीवन बनाने के लिए अध्यापिका बनना चाहती है।

ऐसे बुलंद हौसले वाली अंजू रावत के पैर से लिखने के हौसल्ले को जानने ईटीवी भारत की टीम जब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय पहुंची तो अंजू उस दौरान पैर से लिख रही थी जिसे देख ईटीवी भारत की टीम भी दंग रह गई।

अंजू के साथ पढ रही साथी छात्रा मोनिका खटीक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि अंजू हमारे साथ पढ़ती है ।वह हमारी क्लासमेट है पढ़ने में बहुत ही होशियार है इसकी सहायता हम सभी बहने करती हैं जो इसको भी हमारी मदद की आवश्यकता होती है हम इसे तुरंत मदद करते हैं इनके दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी यह पैरों से लिखती है सारा काम पैरों से करती है।

बाईट- मोनिका खटिक
साथी छात्रा

वही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय की प्रिंसिपल भारती झा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि अंजु ने यहां पर कक्षा 12वीं में आर्ट्स सब्जेक्ट ले रखा है । उसमें अध्ययन कर रही है और यह बोर्ड की परीक्षा देने के लिए बिल्कुल तैयार है । इसकी में व्यक्तिगत रूप से व विद्यालय परिवार की ओर से देखरेख करती हूं मैं खुद मॉनिटरिंग करती हूं साथ ही सभी साथी बच्चियां इनके सभी कार्य में सहयोग देती है। इनकी मां भी इस विद्यालय परिसर में बागवानी काम के लिए रख रखा है । लेकिन विद्यालय समय में मां की जरूरत यहा नहीं होती है । हम तमाम स्टाफ व साथी छात्राए इनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं और इनकी मदद करती है ।सभी बालिका इनका साथ देती है। इनके जरूरत को पूरा करती है। हमेशा इनको हम सब मोटिवेट करते रहते हैं इनके दोनों हाथ नहीं हैं लेकिन पेर से पढ़ने ,लिखने व ज्ञान में कोई कमी नहीं है इनको लगातार पढ़ने की एक उत्सुकता है व अच्छे साथ के कारण आगे बढ़ती जा रही है । हम उम्मीद करते हैं कि यह इसी तरह आगे बढ़ती रहेगी। कक्षा बारहवीं बहुत अच्छे नंबरों से पढ़ कर। विधालय से बाहर निकले तो आगे बढ़कर अच्छे पद को प्राप्त करेगी। जिससे विद्यालय का और परिवार का नाम रोशन होगा। साथ ही हम अंजू के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

बाईट- भारती झा
प्रिंसिपल डॉक्टर भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय आटूण

वही पैर से लिखने वाली छात्रा अंजू रावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मैं हमारे गांव बदनोर क्षेत्र में खेत पर भेड़ चराते समय हाईटेंशन लाइन नीचे थी जिसकी चपेट में आने के कारण मेरे को करंट आ गया था फिर मेरे दोनों हाथों का ऑपरेशन हुआ जिससे मेरे दोनों हाथ मुझे गवाने पड़े । फिर मैं भीलवाड़ा पुलिस लाइन क्षेत्र में मेरे पिताजी मजदूरी करते थे वहां रहती थी वहां मेरे को सरकारी विद्यालय बहुत दूर होने के कारण पैदल जाना पड़ता था उसकी समस्या तत्कालीन जिला कलेक्टर टीना कुमार को बताने के बाद टीना कुमार ने मेरे को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर राजकीय आवासीय विद्यालय आटूण में एडमिशन दिलवाया । जहा मै नवी कालाश से अनवरत अध्ययन कर रही हूं। विधालय मे मेरे को सभी स्टाफ व साथी बहनों का अच्छा साथ मिलता है जिससे मैं पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहती हूं ।
वही क्या बनने के सवाल पर अंजू ने कहा कि मैं पढ़ लिखकर अध्यापिका बनना चाहती हूं भले ही मेरे दोनों हाथ नहीं है लेकिन मेरे मन में कभी दोनों हाथों न होने का ख्याल नहीं आया क्योंकि विद्यालय स्टाफ व साथी बालिका अच्छा साथ देने के कारण मेरे हाथ नहीं होने की फीलिंग कभी भी दिमाग में नहीं आई । मैं इस बार बोर्ड की परीक्षा देने जा रही हूं लेकिन मेरा हौसला बुलंद है कि भले ही आज परीक्षा हो जाए तो मैं निश्चित रूप से अच्छे अंको से पास होऊगी। मैं साथ ही पढ लिखकर आगे अध्यापिका बनकर मैं घर ,परिवार व स्कूल का नाम रोशन करना चाहती हूं। क्योंकि जो मैंने दोनों हाथ खोए हैं उनका मेरे मन में मलाल नहीं रहे और मैं पढ़ लिखकर जिस तरह मेरे को यहां विद्यालय स्टाफ बेहतर शिक्षा दे रहा है उसी तरह मैं भी आने वाली पीढ़ी को बेहतर शिक्षा देकर मेरे मन में संतुष्टि पा सकूं ।
अब देखना यह होगा कि अंजू 12वीं क्लास पास करने के बाद में अपने भविष्य के लिए आगे पढ़ लिखकर ऊंचे पद पर जाती है या नहीं ईटीवी भारत परिवार भी अंजू के बेहतर उज्जवल भविष्य की ईश्वर से प्रार्थना करता है।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

वनटू-वन -अंजू रावत

पेर से लिखने वाली होनहार बालिका


Conclusion:
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