भीलवाड़ा. सरकार भले ही मानसून के सीजन में बरसात के पानी को सहेजकर क्षेत्र में जमीन में जल स्तर बढ़ाना चाहती है. लेकिन जल संरक्षण को लेकर जल ग्रहण विभाग, जल संसाधन विभाग और नगर परिषद गंभीर नहीं है. जिले के सभी सरकारी भवनों में लगे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं. वहीं कुछ सरकारी भवनों में अब तक वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया ही नहीं गया है. ऐसे में प्रदेश में बरसात का पानी कैसे संरक्षित होगा और जलस्तर बढ़ेगा. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना का असर दिखने लगा है. यहां योजना के तहत जल संरक्षण के लिए कच्चे और पक्के निर्माण करवाए गए हैं. ताकि बरसात का पानी संरक्षित हो सके.
जिले में प्री मानसून बरसात की शुरुआत हो गई. अब चंद दिनों में मानसून भी दस्तक देने वाला है. लेकिन जल संरक्षण को लेकर जल ग्रहण विभाग, नगर परिषद और जल संसाधन विभाग गंभीर नहीं है. भीलवाड़ा जिला कलेक्ट्रेट परिसर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के तहत बना होद जर्जर हाल में तब्दील हो रहा है. लाखों रुपए खर्च कर सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं. लेकिन इनकी भी देखरेख नहीं होने के कारण यह कबाड़ बनने लगे हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत बने पक्के व कच्चे निर्माणों में बरसात का पानी संरक्षित होगा.
बरसात के पानी के संरक्षण को लेकर भीलवाड़ा जल ग्रहण विभाग के अधीक्षण अभियंता सीएल साल्वी ने कहा कि विभाग जल ग्रहण विकास एवं वर्षा जल संरक्षण का काम करता है. जिले में विभाग द्वारा आईडब्ल्यूएम के तहत 29 परियोजनाएं चल रही है. इनमें से 20 परियोजना पूरी हो चुकी है. वहीं 9 परियोजनाओं का कार्य जारी है. जिसमें से चार परियोजनाएं मार्च 2020 तक पूरी होगी और 5 परियोजनाएं मार्च 2021 तक पूरी होगी. इन परियोजना का कार्य मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत करवाया जा रहा है. वहीं आईडब्ल्यूएम योजना के तहत बंद कार्यों को चालू करवाने के लिए राज्य सरकार ने प्रगति रिपोर्ट मांगी है.