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भीलवाड़ा के ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों का छलका दर्द, कहा- पहले कोरोना और अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने तोड़ी कमर - Rajasthan Hindi news

भीलवाड़ा में ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों की परेशानियां दिन-ब-दिन बढ़ते जा रही है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एक्सपोर्ट सेवा (Russia Ukraine war broke back) पूरी तरह से बाधित है. ऐसे में अब खनन व्यवसायी सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

war broke back of granite mining businessmen,  granite mining businessmen of Bhilwara
भीलवाड़ा के ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों का छलका दर्द.
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Published : Oct 19, 2022, 8:12 PM IST

भीलवाड़ा. राजस्थान का भीलवाड़ा धीरे-धीरे ग्रेनाइट हब के रूप में विकसित (Bhilwara became granite hub) हो रहा हो, लेकिन मौजूदा आलम यह है कि यहां के खनन व्यवसायी खासा चिंतित व उदास हैं. खनन व्यवसायियों का कहना है कि पहले कोरोना और अब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उनकी स्थिति लगातार खराब हो रही है. ईटीवी भारत से बातचीत में व्यवसायियों ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्रेनाइट का एक्सपोर्ट फिलहाल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में एक्सपोर्ट रूकने से अबकी उनकी दीपावली फीकी रहने वाली है.

जिले में ब्लैक ग्रेनाइट एसोसिएशन (Black Granite Association) के सचिव ईश्वर गुर्जर ने कहा कि पहले तो कोविड जैसे महामारी के चलते ग्रेनाइट व्यापार प्रभावित हुआ था. लेकिन वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण व्यापार को जोर का झटका लगा है. उन्होंने कहा कि आज एक्सपोर्ट पूरी तरह से बंद है, जिसके कारण भीलवाड़ा के खनन व्यवसायी खासा परेशान हैं. पहले ग्रेनाइट बिक्री पर अच्छी रेट मिलती थी, लेकिन वर्तमान में रेट में भी गिरावट आई है. भीलवाड़ा में करीब 250 ग्रेनाइट की खदानें हैं. जिसमें 20 हजार से अधिक श्रमिक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं.

भीलवाड़ा के ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों का छलका दर्द.

इसे भी पढ़ें - Expectations From Rajasthan Budget : ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों ने बजट को लेकर दिए सुझाव...जानिए क्या हैं उम्मीदें

वहीं, इस विषम परिस्थिति में अब ग्रेनाइट व्यवसायी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं. ताकि कुछ नियमों में बदलाव व सरलीकरण के जरिए इस व्यवसाय को एक बार फिर से ट्रैक पर आया जा सके. वहीं, एक अन्य खनन व्यवसायी मनाल ओझा ने कहा कि ग्रेनाइट इंडस्ट्री को पहले तो कोरोना ने झटका दिया था. जिसके कारण दो सालों तक व्यापार बंद रहा था, लेकिन अब कोविड के खात्म के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण फिर से कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. खैर, हम अगले साल मार्च-अप्रैल तक एक बार फिर से बाजार में रौनक लौटने की उम्मीद लगाए हुए हैं. जहां खनन व्यवसाई मनाल ओझा ने कहा कि भीलवाड़ा जिले में ग्रेनाइट के खनन के साथ ही अलास्का का भी खनन होता है. खनन के बाद ग्रेनाइट व अलास्का के ब्लॉक किशनगढ़ ,राजसमंद, उदयपुर व चित्तौड़गढ़ में कटर मशीन पर जाते हैं और वहां कटिंग होने के बाद विदेशों में लगभग 100 कंटेनर प्रतिमहा एक्सपोर्ट होते थे. वर्तमान में किराया बढ़ने व व्यापार में मंदि से एक्सपोर्ट नहीं हो रहा है.

मजदूरों की घटी संख्या: ग्रेनाइट व्यवसाय कम होने के कारण खनन व्यवसायियों ने 24 घंटे खनन की समय सीमा को भी कम कर दिया है. ऐसे में मेहनत के अनुरुप मेहनताना न मिलने की सूरत में तेजी से मजदूरों का पलायन शुरू हुआ है. वर्तमान में भीलवाड़ा में 20 हजार से अधिक श्रमिक ग्रेनाइट खनन में काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं.

जिले में है 255 ग्रेनाइट खदान: भीलवाड़ा खनिज विभाग के खनिज अभियंता जिग्नेश उमड ने कहा कि जिले में 255 ग्रेनाइट की खदानें हैं, जो 655 हेक्टेयर भूमि में विस्तारित है.

भीलवाड़ा. राजस्थान का भीलवाड़ा धीरे-धीरे ग्रेनाइट हब के रूप में विकसित (Bhilwara became granite hub) हो रहा हो, लेकिन मौजूदा आलम यह है कि यहां के खनन व्यवसायी खासा चिंतित व उदास हैं. खनन व्यवसायियों का कहना है कि पहले कोरोना और अब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उनकी स्थिति लगातार खराब हो रही है. ईटीवी भारत से बातचीत में व्यवसायियों ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्रेनाइट का एक्सपोर्ट फिलहाल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में एक्सपोर्ट रूकने से अबकी उनकी दीपावली फीकी रहने वाली है.

जिले में ब्लैक ग्रेनाइट एसोसिएशन (Black Granite Association) के सचिव ईश्वर गुर्जर ने कहा कि पहले तो कोविड जैसे महामारी के चलते ग्रेनाइट व्यापार प्रभावित हुआ था. लेकिन वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण व्यापार को जोर का झटका लगा है. उन्होंने कहा कि आज एक्सपोर्ट पूरी तरह से बंद है, जिसके कारण भीलवाड़ा के खनन व्यवसायी खासा परेशान हैं. पहले ग्रेनाइट बिक्री पर अच्छी रेट मिलती थी, लेकिन वर्तमान में रेट में भी गिरावट आई है. भीलवाड़ा में करीब 250 ग्रेनाइट की खदानें हैं. जिसमें 20 हजार से अधिक श्रमिक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं.

भीलवाड़ा के ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों का छलका दर्द.

इसे भी पढ़ें - Expectations From Rajasthan Budget : ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों ने बजट को लेकर दिए सुझाव...जानिए क्या हैं उम्मीदें

वहीं, इस विषम परिस्थिति में अब ग्रेनाइट व्यवसायी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं. ताकि कुछ नियमों में बदलाव व सरलीकरण के जरिए इस व्यवसाय को एक बार फिर से ट्रैक पर आया जा सके. वहीं, एक अन्य खनन व्यवसायी मनाल ओझा ने कहा कि ग्रेनाइट इंडस्ट्री को पहले तो कोरोना ने झटका दिया था. जिसके कारण दो सालों तक व्यापार बंद रहा था, लेकिन अब कोविड के खात्म के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण फिर से कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. खैर, हम अगले साल मार्च-अप्रैल तक एक बार फिर से बाजार में रौनक लौटने की उम्मीद लगाए हुए हैं. जहां खनन व्यवसाई मनाल ओझा ने कहा कि भीलवाड़ा जिले में ग्रेनाइट के खनन के साथ ही अलास्का का भी खनन होता है. खनन के बाद ग्रेनाइट व अलास्का के ब्लॉक किशनगढ़ ,राजसमंद, उदयपुर व चित्तौड़गढ़ में कटर मशीन पर जाते हैं और वहां कटिंग होने के बाद विदेशों में लगभग 100 कंटेनर प्रतिमहा एक्सपोर्ट होते थे. वर्तमान में किराया बढ़ने व व्यापार में मंदि से एक्सपोर्ट नहीं हो रहा है.

मजदूरों की घटी संख्या: ग्रेनाइट व्यवसाय कम होने के कारण खनन व्यवसायियों ने 24 घंटे खनन की समय सीमा को भी कम कर दिया है. ऐसे में मेहनत के अनुरुप मेहनताना न मिलने की सूरत में तेजी से मजदूरों का पलायन शुरू हुआ है. वर्तमान में भीलवाड़ा में 20 हजार से अधिक श्रमिक ग्रेनाइट खनन में काम कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं.

जिले में है 255 ग्रेनाइट खदान: भीलवाड़ा खनिज विभाग के खनिज अभियंता जिग्नेश उमड ने कहा कि जिले में 255 ग्रेनाइट की खदानें हैं, जो 655 हेक्टेयर भूमि में विस्तारित है.

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