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त्यौहारों पर भी पड़ी देश में मंदी की मार...क्या है बाजारों के हाल - भीलवाड़ा नवरात्रि बाजार खबर

भीलवाड़ा की पुर रोड पर सजी माता की मूर्तियों पर देश में छाई मंदी की मार देखने को मिल रही है. दुर्गा मां की मूर्तियों के इस बाजार में इस बार बिक्री कम हो रही है. मूर्तिकार बताते हैं कि इस बार उन्हें मुनाफे की उम्मीद कम ही नजर आ रही है.

recession effects on navratri, नवरात्रि पर मंदी का असर
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Published : Sep 25, 2019, 9:20 PM IST

भीलवाड़ा. देश में मंदी की मार इस बार नवरात्रि के पावन पर्व पर भी देखने को मिल रही है. यहां पर हजारों की तादाद में बिकने वाली प्रतिमाओं की बिक्री काफी कम हो रही है. नवरात्रि को लेकर भीलवाड़ा शहर में पुर रोड पर दुर्गा माता की मूर्तियों का बाजार तो सज गया है, लेकिन प्रतिमाओं के भाव नहीं मिलने से प्रतिमा बनाने वालों के चेहरों पर चिंता की लकीरें हैं.

भीलवाड़ा की पुर रोड पर लगा नवरात्रि बाजार

बता दें कि, इस रोड पर रंग बिरंगी छोटी-बड़ी मूर्तियां बनकर बेची जा रही हैं. वहीं मंदसौर जिले से प्रतिमा बनाने वाले दीपक राठौड़ का कहना है कि हर वर्ष हमें नवरात्रि पर्व का इंतजार रहता है. इसके लिए हम काफी महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. लेकिन इस बार मार्केट में काफी कम मूर्तियां बिक रही हैं. पहले जहां हम 500 मूर्तियां बनाकर बेचते थे, वहीं इस बार हम मात्र 200 मूर्तियां ही बना कर बेच रहे हैं. साथ ही मूर्तियों के भाव भी हमें उचित नहीं मिल पा रहे हैं. जो मूर्ति 8 हजार की है, उसे घटा कर 5 से 7 हजार के बीच में बेचना पड़ रहा है. इसके कारण इस बारे में हमारे मुनाफे के आसार कम ही नजर आ रहे हैं.

पढ़ें: हनुमान बेनीवाल ने चुनाव आयोग और डिप्टी CM को लिखा पत्र

वहीं, दूसरे जिले से प्रतिमा खरीदने आए ब्रजराज ने कहा कि हम प्रतिवर्ष यहां पर दुर्गा माता की प्रतिमा खरीदने आते हैं. हम यहां से 10 मूर्तियां हर वर्ष ले जाते हैं और गांव में सजाए गए पंडालों में उनकी पूजा अर्चना करते हैं.

भीलवाड़ा. देश में मंदी की मार इस बार नवरात्रि के पावन पर्व पर भी देखने को मिल रही है. यहां पर हजारों की तादाद में बिकने वाली प्रतिमाओं की बिक्री काफी कम हो रही है. नवरात्रि को लेकर भीलवाड़ा शहर में पुर रोड पर दुर्गा माता की मूर्तियों का बाजार तो सज गया है, लेकिन प्रतिमाओं के भाव नहीं मिलने से प्रतिमा बनाने वालों के चेहरों पर चिंता की लकीरें हैं.

भीलवाड़ा की पुर रोड पर लगा नवरात्रि बाजार

बता दें कि, इस रोड पर रंग बिरंगी छोटी-बड़ी मूर्तियां बनकर बेची जा रही हैं. वहीं मंदसौर जिले से प्रतिमा बनाने वाले दीपक राठौड़ का कहना है कि हर वर्ष हमें नवरात्रि पर्व का इंतजार रहता है. इसके लिए हम काफी महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. लेकिन इस बार मार्केट में काफी कम मूर्तियां बिक रही हैं. पहले जहां हम 500 मूर्तियां बनाकर बेचते थे, वहीं इस बार हम मात्र 200 मूर्तियां ही बना कर बेच रहे हैं. साथ ही मूर्तियों के भाव भी हमें उचित नहीं मिल पा रहे हैं. जो मूर्ति 8 हजार की है, उसे घटा कर 5 से 7 हजार के बीच में बेचना पड़ रहा है. इसके कारण इस बारे में हमारे मुनाफे के आसार कम ही नजर आ रहे हैं.

पढ़ें: हनुमान बेनीवाल ने चुनाव आयोग और डिप्टी CM को लिखा पत्र

वहीं, दूसरे जिले से प्रतिमा खरीदने आए ब्रजराज ने कहा कि हम प्रतिवर्ष यहां पर दुर्गा माता की प्रतिमा खरीदने आते हैं. हम यहां से 10 मूर्तियां हर वर्ष ले जाते हैं और गांव में सजाए गए पंडालों में उनकी पूजा अर्चना करते हैं.

Intro:

भीलवाड़ा - देश में मंदी की मार इस बार नवरात्रि के पावन पर्व पर बिकने वाली दुर्गा माता प्रतिमा पर भी देखने को मिल रही है । यहां पर हजारों की तादाद में बिकने आने वाली प्रतिमाओं की बिक्री काफी कम देखने को मिल रही है। नवरात्रि को लेकर भीलवाड़ा शहर में पुर रोड पर दुर्गा माता की मूर्तियों का बाजार तो सज गए हैं । लेकिन प्रतिमाओं के भाव नहीं मिलने से प्रतिमा बनाने वाले परिवारों के चेहरों पर चिंता की लकीरें है । इस रोड पर रंग बिरंगी छोटी से बड़ी मूर्तियां बनकर बेची जा रही है । वहीं शहर में भक्तगण नवरात्रा को लेकर पांडाल सजने के साथ ही मूर्तियां भी खरीदने आ रहे हैं ।




Body:
मंदसौर जिले से प्रतिमा बनाने वाले दीपक राठौड़ का कहना है कि हर वर्ष हमें नवरात्रि पर्व का इंतजार रहता है । इसके लिए हम काफी महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं । इस बार मार्केट में काफी कम मूर्तियां बिक रही है । पहले जहां हम 500 मूर्तियां बनाकर बेचते थे लेकिन इस बार हम मात्र 200 मूर्तियां ही बना कर बेच रहे हैं । इस बार मूर्तियों के भाव भी हमें उचित नहीं मिल पा रहे हैं । जो मूर्ति 8 हजार की है। उसे घाटा खाकर हमें 5 से 7 हजार के बीच में बेचना पड़ रहा है । इसके कारण इस बारे में हमारे मुनाफे के कम ही आसार बन रहे हैं ।
वहीं पढ़ाई के बाद मूर्ति का काम करने वाले छोटे बालक लोकेश का कहना है कि पढ़ाई के बाद मैं दिन में तीन से चार मूर्तियों में कलर भरता हूं और आगे जाकर में भी मेरे पिता की तरह यही कार्य करूंगा । में वक मूर्ति कलाकार बनना चाहता हु । वहीं दूसरे जिले से प्रतिमा खरीदने आए ब्रजराज ने कहा कि हम प्रतिवर्ष यहां पर दुर्गा माता की प्रतिमा खरीदने आते हैं हम यहां से 10 मूर्तियां हर वर्ष ले जाते हैं और हमारे गांव में सजाए गए पंडालों में उनकी पूजा अर्चना करते हैं ।




Conclusion:


बाइट - दीपक राठौड़ , प्रतिमा बनाने वाला कारीगर

लोकेश , प्रतिमा बनाने वाला बालक कारीगर
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