भीलवाड़ा. विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज में दंत रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. विपुल चौधरी ने दंत चिकित्सा क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उनके विशुद्ध देसी RCT उपकरण को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने मान्यता प्रदान की है. अगले 20 वर्ष के लिए पेटेंट मिला है. चौधरी इस अचीवमेंट से उत्साहित हैं, खुश हैं और मानते हैं कि शायद विश्व में पहली बार ऐसा हुआ होगा कि उन्हें सस्ता, सुलभ डिवाइस बनाने के लिए पेटेंट लाइसेंस मिला हो.
विपुल चौधरी को रूट कैनालिंग ट्रीटमेंट में अविष्कार और डिजाइन के लिए पेटेंट कार्यालय भारत सरकार ने Methodology And Device For Cleaning Surgical And Endodontic Instruments के लिए लाइसेंस प्रदान किया. अपने साथी की कामयाबी से सब खुश हैं. महात्मा गांधी अस्पताल के पीएमओ डॉ अरुण गौड सहित अन्य चिकित्सा अधिकारियों ने गुलदस्ता भेंट कर इस अचीवमेंट को सेलीब्रेट किया.
इस दौरान डॉ चौधरी ने डिवाइस इजाद करने के पीछे की सोच को साझा किया. कहा कि वर्तमान में 70% चिकित्सा उपकरण विदेश से आयातित होते हैं. इसकी वजह से हमारे देश में उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में परेशानी होती है. साथ ही इलाज की लागत भी बढ़ती है. इस पेटेंट से दंत चिकित्सा की लागत में कमी व सुलभता बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगी.
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RCT क्या?- रूट कैनाल ट्रीटमेंट अकसर डेंटिस्ट डैमेज या इंफेक्टेड दांतों से छुटकारा दिलाने के लिए करते हैं. इसके तहत परेशान करने वाले दांत को Extract करने या निकालने की जगह ट्रीट किया जाता है. इस ट्रीटमेंट के दौरान दांत की जड़ से जुड़ी नसों और पल्प को धीरे धीरे हटा दिया जाता है. फिर सफाई कर उसे सील कर दिया जाता है. इसके बाद कैपिंग की जाती है. पहले जहां इसके लिए मरीज को 3 से 4 सिटिंग लेनी पड़ती थी वहीं अब एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के कारण 1 सिटिंग में ही समस्या हल हो जाती है.