भीलवाड़ा. वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिला भारत में खनन के क्षेत्र में भी पहचान बना चुका है. लेकिन अभी खनन उद्यमियों पर भी लॉकडाउन का काफी बुरा असर पड़ा है. खनन उद्यमियों ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि सरकार को खनन उद्योगों को संबल देने के लिए कुछ योजनाएं लानी पड़ेंगी, तभी खनन उद्योग वापस पटरी पर आ पाएगा.
जिले में 2 हजार से अधिक सैंड स्टोन, ग्रेनाइट, क्वार्ट्ज और विभिन्न तरह की खदानें हैं, जो कोरोना के कारण बंद रही हैं. यहां हर साल करीब 1200 करोड़ रुपए का राज्य सरकार को खनन क्षेत्र से राजस्व मिलता है. इस साल यह राजस्व कम गया है. लॉकडाउन के कारण खदानों में श्रमिक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं. साथ ही तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक भी दूसरे प्रदेश के हैं जो पलायन कर चुके हैं. ऐसे में खनन का उद्योग काफी प्रभावित हुआ है. सैंड स्टोन का खनन राजस्थान में सिर्फ भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया क्षेत्र में ही होता है.
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खनन उद्यमी भगवान सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि खनन क्षेत्र में लॉकडाउन से सन्नाटा छाया हुआ है. श्रमिक खनन क्षेत्र से पलायन कर चुके हैं. पूरा खनन क्षेत्र श्रमिक विहीन हो गया है. साथ ही खनन क्षेत्र में कार्य करने वाले अधिकतर मजदूर अन्य प्रदेशों के होते हैं जो अपने पैतृक गांव जा चुके हैं. सरकार को हर साल भीलवाड़ा जिले की विभिन्न खदानों से 12 00 करोड़ का सालाना राजस्व मिलता है.
खनन क्षेत्र को फिर से उभरने में लगभग 1 से 2 साल लगेंगे. साथ ही खनन उद्यमियों को भी कोरोना के मापदंड को अपनाते हुए खनन करना होगा. साथ ही सरकार को खनन उद्योगों को संबल देने के लिए कुछ योजनाएं लानी पड़ेगी. जिससे खनन उद्यमी वापस पैरों पर खड़े हो सकें.