भीलवाड़ा. साल 2020 में भीलवाड़ा जिला कोरोना को लेकर हॉटस्पॉट जिला बन गया था उस समय वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद थी. उस समय मजदूरों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ा था और पैदल ही अपने राज्य में गए थे, लेकिन वर्तमान में भी भीलवाड़ा के वस्त्र उद्योग में काम करने वाले मजदूरों को फिर लॉकडाउन का डर सताने लग गया है और वह सूर्य की पहली किरण से पहले ही अपने गन्तव्य की ओर पैदल निकल पड़े हैं.
पढ़ेंः Special : आर्थिक मंदी की ओर धकेल रहा कोरोना, अलवर की 90 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयों में कामकाज हुआ ठप
भीलवाड़ा जिले की 400 औद्योगिक इकाइयों में लगभग 20,000 यूपी, बिहार, बंगाल और उड़ीसा राज्य के श्रमिक यहां काम करते हैं. देश में कोरोना को लेकर हॉटस्पॉट बने भीलवाड़ा जिले में वर्तमान में भी कोरोना पोजिटिव की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. वैसे तो भीलवाड़ा जिला वस्त्र नगरी के नाम से पूरे देश में विख्यात है. काफी मात्रा में यहा औद्योगिक इकाइयां है.
पिछले साल 2020 में मार्च महिने में कोरोना मामले में भीलवाड़ा जिला हॉटस्पॉट जिला बन गया था. जिससे तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद थी जहां इन औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले मजदूरों ने पैदल ही पलायन किया था, लेकिन इस बार भले ही सरकार ने लॉकडाउन लगाने की घोषणा नहीं की है, लेकिन मजदूरों को पुराने दिन याद होने के कारण लॉकडाउन लगने का डर सताने लगा है. यह बेबस और लाचार मजदूर अपने गंतव्य की ओर पैदल ही रवाना हो गए हैं. भीलवाड़ा में उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और उड़ीसा राज्य के 20, 000 श्रमिक काम करते हैं.
पढ़ेंः SPECIAL: कोरोना की दूसरी लहर से राजस्थान की टूरिज्म इंडस्ट्री पर फिर संकट
ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 79 पर रायला के पास पहुंची. जहां यह बेबस मजदूर राष्ट्रीय राजमार्ग 79 पर पैदल ही अपने गंतव्य की ओर जाते दिखाई दिए. इस दौरान मजदूरों का दर्द ईटीवी भारत पर छलक पड़ा उन्होंने कहा कि हम उत्तर प्रदेश राज्य के रहने वाले है. यहां प्राइवेट क्षेत्र में हम उद्योग इकाइयों में काम करते हैं, लेकिन वर्तमान में प्राइवेट गाड़ियां बंद है और सरकारी गाड़ियां भी बहुत कम मिल रही है. इसलिए हम पैदल ही निकल गए हैं. अगर कोई सरकारी गाड़ी मिल जाएगी तो हम अपने घर चले जाएंगे. क्योंकि हमे फिर से लॉकडाउन लगने का डर है.
मजदूरों ने कहा कि पिछले साल जब लॉकडाउन था तब यहां हमे काफी परेशानी हुई थी. हम चाहते हैं कि वैसी परेशानी हमे वापस नहीं झेलनी पड़े. इसलिए हम सब अपने गांव वापस जा रहे हैं. अन्य युवा मजदूर ने कहा कि हम हमारा राज्य छोड़कर यहां दो जून की रोटी कमाने के लिए आते हैं, लेकिन कोरोना जैसी महामारी के चलते फिर से अगर लॉकडाउन लग गया तो हमें बहुत परेशानी होगी. मजदूरों ने कहा कि हम सरकार से अपेक्षा करते हैं कि सरकार प्राइवेट गाड़ियों को भी चलाने की मंजूरी दे जिससे हम आसानी से हमारे पैतृक गांव जा सके.