भीलवाड़ा. भाजपा के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया जयपुर से उदयपुर जाते समय भीलवाड़ा में (BJP Leader Kataria in Bhilwara) पूर्व विधायक के निधन पर शोक संतप्त परिवार को ढांढस बधाने पहुंचे. कटारिया ने यहां सर्किट हाउस में प्रेस से मुखातिब होते हुए गहलोत सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर जमकर हमला बोला. उन्होंने सीएम गहलोत के अमित शाह को राजस्थान आने के ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि अमित शाह को राजस्थान आने की जरूरत नहीं. यहां की सरकार को तो हम निपटा देंगे. हमने इस बार विधानसभा में जितना सरकार पर हमला करना था, उतना किया. वहीं, आम आदमी पार्टी का राजस्थान में कोई जनाधार नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने दौसा में महिला डॉक्टर के निधन पर (Rajasthan Doctor Suicide Case) कहा कि डॉक्टर द्वारा इलाज के दौरान कोई घटना हो जाती है तो परिवार का गुस्सा स्वाभाविक होता है. डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने पिछली बार एक विधेयक पास किया कि इलाज के दौरान कोई घटना या दुर्घटना होने पर डाक्टरों की सुरक्षा होनी चाहिए. दौसा में प्रसव के दौरान महिला की मौत पर पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया, जिसके कारण महिला डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली.
दौसा के मामले में जब तक जांच पूरी नहीं होती है तब तक किसी को मुलजिम नहीं बना सकते हैं. लेकिन वहां पुलिस को डॉक्टर के खिलाफ धारा 304 के तहत मुकदमा करना चाहिए. वहां पुलिस धारा 304 के बजाय धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया, जिसके कारण वहां की डॉक्टर ने आत्महत्या की. अगर पुलिस धारा 304 में मुकदमा दर्ज करती और फिर जांच करती और जांच में महिला डॉक्टर दोषी पाई जाती तो धारा 302 में मामला दर्ज करना चाहिए था. पुलिस इस प्रकार कार्रवाई करती तो महिला डॉक्टर को आत्महत्या नहीं करनी पड़ती.
वहीं, हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर गृहमंत्री को चार्टर प्लेन भेजकर राजस्थान आने के ट्वीट पर (Rajasthan Leader of Opposition on Gehlot Tweet) गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि अमित शाह को राजस्थान आने की जरूरत नहीं है. यहां की सरकार को तो हम ही निपटा देंगे. सीएम को यह गलतफहमी हो गई है. दुर्भाग्य राजस्थान का है कि गहलोत राजस्थान के गृहमंत्री भी हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री भी. मुख्यमंत्री को एक पल की फुर्सत नहीं है, दूसरा आप किसी को गृहमंत्री की जिम्मेदारी नहीं देना चाहते हैं, क्योंकि आपको रात में ही सरकार उलट देने का डर है.
गृह मंत्रालय ऐसा विभाग है जिसमें नेक-टू-नेक मॉनिटरिंग करनी पड़ती है. कहीं भी कोई घटना-दुर्घटना हो सकती है, उसमें समय नहीं लगता है. लेकिन समय पर संबंधित अधिकारी से बात करके डायरेक्शन देकर उस पर कार्रवाई किस प्रकार से हो जाए, उसके लिए मॉनिटरिंग करनी पड़ती है. इसकी प्रदेश के मुख्यमंत्री को फुर्सत है ही नहीं , साथ ही मुख्यमंत्री को कानून-व्यवस्था को लेकर कोई भी राजनेता सीधा नहीं कह सकता है. मुख्यमंत्री ने दौसा के मामले में भी जनता के दबाव में एक्शन लिया. उसी दिन एक्शन ले लेते तो वहां की डॉक्टर को आत्महत्या नहीं करनी पड़ती.
वहीं, कांग्रेस विधायक जौहरी लाल मीणा के पुत्र पर दुष्कर्म के आरोप के सवाल पर गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि अगर जौहरी लाल मीणा वास्तव में पाक-साफ हैं तो उनको कहना यह चाहिए था कि मेरा लड़का निर्दोष है, फिर भी जांच हो और जांच में मेरा लड़का दोषी पाया जाए तो कार्रवाई कर लेना. यह कहने के बजाय जौहरी लाल मीणा अपने लड़के का पक्ष ले रहे हैं कि मेरा लड़का ऐसा काम नहीं कर सकता. ऐसा तो कोई भी नहीं कह सकता.
इस बार विधानसभा में सत्ता धारी पार्टी पर भाजपा के हमलावर होने के सवाल पर गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मेरे हिसाब से इस बार के विधानसभा सत्र में हम लोगों को जितना सरकार पर हमला करना था, वह जमकर किया. सरकार को कई मुद्दों पर बैकपुट पर आना पड़ा. यह पहला उदाहरण है कि कोई बिल पास होने के बाद सरकार को विड्रॉल करना पड़ा. आप पार्टी पंजाब में सरकार बनाने के बाद राजस्थान में तैयारी शुरू कर दी है. इसको भाजपा कितनी चुनौती मानती है. इस सवाल पर गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मैं सोचता हूं कि राजस्थान में राजनीति करते मुझे 40 वर्ष हो गए हैं. यहां दो ही पार्टियां काम करती हैं, तीसरी कोई भी बनी तो थोड़े दिन म्याऊं-म्याऊं करती है.
मैं आपको आज कह रहा हूं कि मैं जिंदा रहूं या न रहूं, 'आप' अपने आप अपनी मौत से मर जाएगी. कारण यह है कि फ्री-फ्री किस सीमा या कब तक फ्री करोगे. आप पार्टी फ्री के आधार पर कब तक घोषणा करके विकास करेगी. विकास एक आवश्यक पार्ट है, केवल और केवल जनता को क्षणिक लाभ देने की घोषणा करके भ्रमित करना कब तक जायज है. अरविंद केजरीवाल का चरित्र कैसा है, वह तो आपने देख लिया है. आप पार्टी ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा की केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के सवाल पर गुलाबचंद कटारिया ज्यादा जवाब नहीं दे पाए और कहा कि मुलाकात करनी चाहिए. कोई अपने बड़े नेता से मिले तो उसमें क्या अचरज है.