भीलवाड़ा. गणेश चतुर्थी के बाद अनंत चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान जलाशयों में पानी प्रदूषित नहीं हो इसके लिए भीलवाड़ा की गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति ने अनूठी पहल की है. समिति ने भगवान गणेश की 700 इको फ्रेंडली मूर्तियां बनवाई हैं. जो सिर्फ पंजीयन शुल्क पर ही लोगों को वितरित की (eco friendly idols of Lord Ganesha) जाएगी. गणेश उत्सव एवं प्रबंधन सेवा समिति की ओर से भीलवाड़ा ,चित्तौड़गढ़ ,राजसमंद, बूंदी व अजमेर जिले में ये मूर्तियां वितरित की जाएगी.
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इंदौर से कारीगर बुलाकर बनवाई गई मूर्तियां: भीलवाड़ा गणेश उत्सव एवम प्रबंधन सेवा समिति के सदस्य महावीर समदानी ने कहा कि देश में पिछले 2 वर्ष से विश्वव्यापी कोरोना जैसी महामारी के चलते गणेश उत्सव नहीं मनाया गया. लेकिन इस बार गणेश उत्सव मनाया जाएगा. इसके लिए गणेश उत्सव एंव प्रबंधन सेवा समिति ने इंदौर से कारीगर बुलाकर 700 इको फ्रेंडली भगवान गणेश की मूर्ति बनवाई हैं. इनमें से 300 मूर्तियां 5 फीट ऊंचाई की व 400 मूर्तिया एक से डेढ़ फीट ऊंचाई की बनाई गई हैं. भगवान गणेश की मूर्तियों को श्रद्धालु अपने घरों व प्रतिष्ठानों में स्थापित कर सकेंगे. इको फ्रेंडली मूर्तियों को कारीगरों ने काली मिट्टी ,चीनी मिट्टी व प्लास्टर ऑफ पेरिस को मिक्स करके बनाई है.
समदानी ने कहा कि भगवान गणेश चतुर्थी के बाद 9 सितंबर को जब अनंत चतुर्थी के मौके पर भगवान गणेश की मूर्ति को जलाशयों में विसर्जित किया जाएगा तो इस दौरान जलाशयों में गंदगी व पॉल्यूशन नहीं हो, इसीलिए इस बार इको फ्रेंडली मूर्तियां बनवाई है. उन्होंने कहा कि गणेश उत्सव प्रबंधन एंव सेवा समिति वर्ष 1993 से ही यह मूर्तियां बनाने का काम कर रही है. हम 1500 रुपए पंजीयन शुल्क में ही बड़ी मूर्तियां भगवान गणेश के भक्तों को देते हैं. उन्होंने कहा कि हम जो बड़ी मूर्ति भगवान गणेश के भक्तों को 1500 रुपए में देते हैं. वह मूर्ति बाजार में 8 से 10 हजार रूपये में मिलती है.