भीलवाड़ा. जिले से कोरोना की चेन को खत्म करने के लिए शहर में महा कर्फ्यू और भीलवाड़ा जिले में लॉकडाउन है. उनकी वजह से जिले के ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिदिन मजदूरी करके दो जून की रोटी कमाने वाले परिवारों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा के NH-79 पर बेरा गांव में रहने वाले गाडोलिया समाज और बागरिया समाज के परिवारों की स्थिति का जायजा लिया. जिला प्रशासन ने भोजन बनाने के लिए एक ही बार सूखा राशन उपलब्ध करवाया. अब इनका राशन खत्म होने से भूखमरी की नौबत आ गई है.
जिले से कोरोना की चेन को खत्म करने के लिए शहर में पिछले 20 मार्च से कर्फ्यू लगा हुआ है, जो 3 अप्रैल से महा कर्फ्यू में तब्दील हो गया है. वहीं भीलवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्र में लॉकडाउन है. जिनकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिदिन मेहनत कर दो जून की रोटी कमाने वाले गाडोलिया समाज और बागरिया समाज परेशानी से जूझ रहा है.
ईटीवी भारत की टीम इनके गांव बेरा पहुंची. गाडोलिया और बागरिया समाज के लोग लोहे के औजार और झाडू बनाते हैं. यही इनकी रोजी-रोटी का जरिया है. जिसे बेचकर ये अपना जीवनयापन करते हैं. ये लोहे के औजार बनाकर दूसरे गांव और शहर में बेचने जाते हैं. वहीं लॉकडाउन होने के कारण ये निर्मित सामान नहीं बेच पा रहे हैं. ऐसे में इनके सामने दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है.
यह भी पढ़ें. SPECIAL: Corona की चेन को खत्म करने वाले भीलवाड़ा के कप्तान से मिलिए..
वहीं जिला प्रशासन ने इनको एक बार सूखा राशन उपलब्ध करवा दिया था. अब राशन भी खत्म हो गया है. जिससे इनके सामने भूखमरी की नौबत आ गई है. इन लोगों को कहना है कि हम लॉकडाउन की पालना कर रहे हैं. प्रशासन हमें सूखा राशन ही दे तो हम अपना गुजारा कर लें. गाडोलिया समाज के मुखिया रामेश्वर ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हमारे को सिर्फ रोटी की समस्या आ रही है.
यह भी पढ़ें. SPECIAL: पाक विस्थापित परिवारों का दर्द, अब कौन सुनेगा पुकार....
जिला प्रशासन ने खाना बनाने 8 दिन पहले सूखा राशन दिया था. हमारा काम भी बंद है. ऐसे में औजार नहीं बिक रहे हैं. वहीं इसी समाज के युवा और उसकी पत्नी ने कहा कि हम झाडू बेचने दूसरे प्रदेश और अन्य जिलों में जाते हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से नहीं जा पा रहे हैं. बस प्रशासन सूखा राशन दे तो हम और हमारे बच्चों का पेट भर सके.