भीलवाड़ा. गत वर्ष की तुलना में इस बार भीलवाड़ा जिले में कम बारिश हुई है. बावजूद इसके भी भीलवाड़ा में मानो प्रकृति ने पीली चादर ओढ़ ली हो. पीली सरसों, गुनगुनी धूप, सुगंधित हवा, सरसों के फूलों पर मंडराती तितली और मधुमक्खी आकर्षण बने हुए हैं. ठंड और खेतों में खिले सरसों के फूल इस मौसम को और भी खूबसूरत बना रहे हैं. रबी सीजन में शुरुआती दौर के बुवाई वाले खेतों में पीले फूलों की बहार ने किसानों के चेहरों पर सरसों की अच्छी पैदावार की उम्मीद की मुस्कान बिखेर दी है. इस बार किसानों का मानना है कि अगर कोई प्राकृतिक प्रकोप नहीं आई तो अच्छी उपज हो सकती है.
किसानों ने तारामीरा, सरसों और चने के फसल की ज्यादा बुआई की है. वर्तमान में जैसे-जैसे सर्दी का सितम बढ़ता गया, मानो प्रकृति ने पीली चादर ओढ़ ली हो. किसानों के खेतों में सरसों की फसल लहलहाने लगी है. खेतों में सरसों की लहलहाती फसल देखकर कश्मीर की वादियों का नजारा नजर आता है. भीलवाड़ा में आसींद और हुरडा पंचायत समिति के 10 से अधिक गांवों में किसानों ने सरसों की बुवाई की है.
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क्या कहना है किसानों का?
खेत में रखवाली कर रहे किसान रामगोपाल ने कहा कि इस बार बारिश कम होने के कारण गांव में किसानों ने सरसों के फसल की बुवाई ज्यादा की है. सरसों की फसल में कम पानी की आवश्यकता होती है. इसलिए ज्यादातर किसानों ने इसी फसल की बुवाई की है. रामगोपाल ने कहा कि अगर कोई प्राकृतिक आपदा जैसे शीतलहर, ओलावृष्टि नहीं आई तो अच्छी उपज हो सकती है.
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वहीं अन्य किसान श्याम सुंदर ने कहा कि 10 बीघे में सरसों के फसल की बुआई की है. वर्तमान में फसल की स्थिति अच्छी है. गत वर्ष की तुलना में इस बार हमारे क्षेत्र में फसल की बुवाई कम हुई है. इस फसल में पानी की कम आवश्यकता होती है. यहां एक बीघा सरसों की फसल में पांच क्विंटल सरसों की उपज होती है, जिसको हम सरकारी खरीद केन्द्र पर बेचते हैं. इससे हमको अच्छा मेहनताना मिल जाता है. वहीं खेत में सरसों के फसल की रखवाली कर रहे किसान जगदीश प्रसाद ने बताया कि इस बार पानी की कमी होने की वजह से हमने सरसों के फसल बुआई की है. अभी फसल अच्छी है, भगवान से उम्मीद करते हैं कि इस बार अच्छी उपज होगी.
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कृषि विभाग के उपनिदेशक रामपाल खटीक ने बताया कि भीलवाड़ा में 20 हजार हेक्टेयर भूमि में सरसों के फसल की बुवाई हुई है. पिछले साल की अपेक्षा इस बार कम बुआई हुई है. क्योंकि इस बार जिले में पानी की कमी है. पानी की कमी होने के कारण अधिकतर बारानी क्षेत्र में किसानों ने चने के फसल की बुवाई की है. सरसों की फसल वर्तमान में अच्छी है. खलिहानों ने पीली चादर ओढ़ ली है. वहीं कुछ जगह सरसों की फसल में मोयला कीट का प्रकोप बढ़ रहा है. इसके लिए हमने जिले के तमाम कृषि पर्यवेक्षकों को फील्ड में मौजूद रहने के साथ ही किसानों को अच्छी उपज के लिए सलाह देने के निर्देश दिए. हमने कृषि पर्यवेक्षकों को कहा कि किसानों को फसल में उचित मात्रा में कीटनाशक छिड़काव की सलाह दें, जिससे किसान की उम्मीद के अनुसार उपज हो सके.