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सरकारी हॉस्पिटल में बढ़ी मरीजों की संख्या, भीलवाड़ा के CMHO ने किया ये दावा - Rajasthan Right to Health Bill

प्राइवेट चिकित्सकों के Right to Health Bill के विरोध के कारण निजी अस्पताल बंद हैं. यही कारण है कि सरकारी अस्पतालों में एकाएक मरीजों की संख्या बढ़ गई है. वहीं, भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल में OPD के बाहर लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं.

burden increased on government hospital Bhilwara
burden increased on government hospital Bhilwara
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Published : Mar 24, 2023, 6:42 PM IST

सरकारी हॉस्पिटल में बढ़ी मरीजों की संख्या

भीलवाड़ा. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदेश भर में निजी चिकित्सालय बंद हैं, जिसके कारण मरीजों को खासा दिक्कतें पेश आ रही हैं. आलम यह है कि अब रोगी और उनके परिजनों के पास केवल सरकारी अस्पताल ही एक मात्र विकल्प बचा है, जहां वो इलाज के लिए जा रहे हैं. लेकिन वहां भी ओपीडी के बाहर लगी लंबी कतार रोगियों के साथ ही चिकित्सकों के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है. कुछ ऐसे हालात शुक्रवार को भीलवाड़ा में देखने को मिले, जहां महात्मा गांधी अस्पताल में ओपीडी के बाहर भारी भीड़ नजर आई. यहां वर्तमान में 50% ओपीडी बढ़ने से यह संख्या 2700 के करीब पहुंच गई है. वहीं चिकित्सा विभाग के मुख्य चिकित्सक व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुस्ताक खान ने दावा किया कि कोई भी सरकारी चिकित्सक हड़ताल पर नहीं हैं. जिले के तमाम अस्पतालों में इलाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो.

हाल ही में राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पास हुआ है, जिसके विरोध में प्रदेश भर में निजी चिकित्सालयों के डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. इसके कारण वर्तमान में भीलवाड़ा जिला मुख्यालय पर स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में व्यवस्था चरमरा गई है. यहां रोजाना ओपीडी में लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं. साथ ही बताया गया कि यहां हर रोज करीब 3000 मरीजों को देखा जा रहा है. भीलवाड़ा जिला अस्पताल में भीलवाड़ा के साथ ही चितौड़गढ़ और राजसमंद के भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में यहां ओपीडी में दिनोंदिन संख्या बढ़ती जा रही है. वर्तमान में मौसमी बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं. यही कारण है कि यहां मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है.

इसे भी पढ़ें - RTH Bill : उदयपुर में राइट टू हेल्थ बिल का विरोध, चिकित्सकों ने निकाली रैली

सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे मरीज - वर्तमान में चिकित्सकों की हड़ताल के चलते दूसरे जिलों से आर्थोपेडिक के मरीज नहीं आ रहे हैं. लेकिन जो जिले के मरीज हैं, वो अब निजी चिकित्सालय में नहीं जाकर सरकारी अस्पताल में ही इलाज करवा रहे हैं. महात्मा गांधी अस्पताल में अपनी बच्ची का इलाज करवाने आए राजेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि उनकी बच्ची महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती है. ज्यादा बीमार होने पर वो बच्ची को अहमदाबाद लेकर गए थे, लेकिन अहमदाबाद में भी मना कर दिया गया. जिसके बाद वो वापस यहां लौट आए और फिलहाल उनकी बच्ची का सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है. लेकिन निजी अस्पताल की हड़ताल की वजह से आउटडोर में काफी भीड़ हो रही है.

यही कारण है कि इंडोर की व्यवस्था एकदम से बिगड़ गई है. वहीं अपने परिचित का इलाज करवाने आए बुजुर्ग ने कहा कि निजी अस्पताल बंद होने से सरकारी अस्पताल में अधिक भीड़ हो रही है. यहां डॉक्टरों को दिखाने के लिए कतारों में घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है. वहीं, भीलवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुस्ताक खान ने कहा कि निजी चिकित्सालयों के विरोध को देखते हुए भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज व अन्य सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं को सुदृढ़ करने को कई उपाय किए गए हैं, जिससे किसी भी मरीज को परेशानी न हो और उसे समय पर इलाज मुहैया कराया जा सके. उन्होंने कहा कि जिले के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी इलाज की सुदृढ़ व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में भी 25% तक भार बढ़ा है. वहीं, जिला अस्पताल के आईसीयू और एनआईसीयू के बेड पूरी तरह से फुल हो चुके हैं. इसके बावजूद वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.

सरकारी हॉस्पिटल में बढ़ी मरीजों की संख्या

भीलवाड़ा. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदेश भर में निजी चिकित्सालय बंद हैं, जिसके कारण मरीजों को खासा दिक्कतें पेश आ रही हैं. आलम यह है कि अब रोगी और उनके परिजनों के पास केवल सरकारी अस्पताल ही एक मात्र विकल्प बचा है, जहां वो इलाज के लिए जा रहे हैं. लेकिन वहां भी ओपीडी के बाहर लगी लंबी कतार रोगियों के साथ ही चिकित्सकों के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है. कुछ ऐसे हालात शुक्रवार को भीलवाड़ा में देखने को मिले, जहां महात्मा गांधी अस्पताल में ओपीडी के बाहर भारी भीड़ नजर आई. यहां वर्तमान में 50% ओपीडी बढ़ने से यह संख्या 2700 के करीब पहुंच गई है. वहीं चिकित्सा विभाग के मुख्य चिकित्सक व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुस्ताक खान ने दावा किया कि कोई भी सरकारी चिकित्सक हड़ताल पर नहीं हैं. जिले के तमाम अस्पतालों में इलाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो.

हाल ही में राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पास हुआ है, जिसके विरोध में प्रदेश भर में निजी चिकित्सालयों के डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. इसके कारण वर्तमान में भीलवाड़ा जिला मुख्यालय पर स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में व्यवस्था चरमरा गई है. यहां रोजाना ओपीडी में लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं. साथ ही बताया गया कि यहां हर रोज करीब 3000 मरीजों को देखा जा रहा है. भीलवाड़ा जिला अस्पताल में भीलवाड़ा के साथ ही चितौड़गढ़ और राजसमंद के भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में यहां ओपीडी में दिनोंदिन संख्या बढ़ती जा रही है. वर्तमान में मौसमी बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं. यही कारण है कि यहां मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है.

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सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे मरीज - वर्तमान में चिकित्सकों की हड़ताल के चलते दूसरे जिलों से आर्थोपेडिक के मरीज नहीं आ रहे हैं. लेकिन जो जिले के मरीज हैं, वो अब निजी चिकित्सालय में नहीं जाकर सरकारी अस्पताल में ही इलाज करवा रहे हैं. महात्मा गांधी अस्पताल में अपनी बच्ची का इलाज करवाने आए राजेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि उनकी बच्ची महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती है. ज्यादा बीमार होने पर वो बच्ची को अहमदाबाद लेकर गए थे, लेकिन अहमदाबाद में भी मना कर दिया गया. जिसके बाद वो वापस यहां लौट आए और फिलहाल उनकी बच्ची का सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है. लेकिन निजी अस्पताल की हड़ताल की वजह से आउटडोर में काफी भीड़ हो रही है.

यही कारण है कि इंडोर की व्यवस्था एकदम से बिगड़ गई है. वहीं अपने परिचित का इलाज करवाने आए बुजुर्ग ने कहा कि निजी अस्पताल बंद होने से सरकारी अस्पताल में अधिक भीड़ हो रही है. यहां डॉक्टरों को दिखाने के लिए कतारों में घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है. वहीं, भीलवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुस्ताक खान ने कहा कि निजी चिकित्सालयों के विरोध को देखते हुए भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज व अन्य सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं को सुदृढ़ करने को कई उपाय किए गए हैं, जिससे किसी भी मरीज को परेशानी न हो और उसे समय पर इलाज मुहैया कराया जा सके. उन्होंने कहा कि जिले के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी इलाज की सुदृढ़ व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में भी 25% तक भार बढ़ा है. वहीं, जिला अस्पताल के आईसीयू और एनआईसीयू के बेड पूरी तरह से फुल हो चुके हैं. इसके बावजूद वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.

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