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SPECIAL : इसाई समाज ने सादगी से मनाया क्रिसमस पर्व...चर्च में कम तादाद में पहुंचे श्रद्धालु - Bhilwara christmas festival corona effect

भीलवाड़ा में क्रिसमस डे के दिन चर्च में वह रोनक नहीं रही जो हर साल देखने को मिलती थी. हालांकि यहां इसाई समाज के चार से पांच हजार लोग रहते हैं लेकिन यहां के 12 चर्चों में इस बार कोरोना के चलते कई कार्यक्रम निरस्त किए गए और सादे तौर से क्रिसमस पर्व मनाया गया. देखिये यह खास रिपोर्ट...

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क्रिसमस पर्व पर युवाओं में रही मायूसी
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Published : Dec 25, 2020, 7:59 PM IST

भीलवाड़ा. कोरोना महामारी का असर हर धर्म के त्योहारों पर पड़ा है. यह असर इसाई समुदाय के सबसे बड़े त्योहार क्रिसमस डे पर भी पड़ा है. कोरोना के चलते धार्मिक उत्सवों के सेलिब्रेशन प्रभावित हुए हैं. वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में प्रभु यीशु मसीह के जन्म का पर्व क्रिसमस यहां इसाई समाज धूमधाम से खुशियों के साथ मनाता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण क्रिश्चियन समाज ने इस त्यौहार को बड़ी सादगी के साथ मनाया.

भीलवाड़ा में सादगी से मनाया गया क्रिसमस पर्व

भीलवाड़ा जिले में क्रिश्चन समुदाय के करीब 4 से 5 हजार लोग हैं. इस बार कई कार्यक्रम निरस्त कर दिए गए जिसकी कारण क्रिसमस का पर्व फीका रहा. जहां पहले क्रिसमस डे की तैयारियों को लेकर सभी व्यवस्थाएं चर्च में की जाती थी मगर इस बार देखा जाए तो भीलवाड़ा के 12 ही चर्चों में सादगीपूर्ण तरीके से कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पर्व मनाया गया. हर वर्ष होने वाले कार्यक्रमों को भी इस बार निरस्त कर दिया गया. क्रिसमस डे पर होने वाली सर्विस में भी बच्चों और बुजुर्गों के आने की रोक लगा दी गई थी.

पढ़ें- कोरोना के बीच फीका रहा क्रिसमस पर्व, चर्च में कोरोना से मुक्ति के लिए हुई प्रार्थना

भीलवाड़ा शहर के कृषि मंडी स्थित सेंट्रल मेथाडिस्ट चर्च के फादर परमजीत माइकल ने कहा कि क्रिसमस डे के पर्व को लेकर चर्च में पहले ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है मगर इस बार कोविड-19 के कारण क्रिसमस से कुछ दिन पहले से ही चर्च में सन्नाटा था. शहर के समस्त शहर के चर्च और पास्टर, फादर चर्च सदस्यों ने बैठक करके पहले ही फैसला कर लिया था कि इस वर्ष कोरोना कहर के कारण संपूर्ण देश और राजस्थान इस महामारी के कारण परेशानी में हैं, इसे देखते हुए हर साल होने वाले कार्यक्रम निरस्त कर दिए जाएं.

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भीलवाड़ा में क्रिसमस पर्व मनाया सादगीपूर्ण

इस बार क्रिसमस पर शहर के सभी चर्च मिलकर करने वाले कंटाटा सर्विस और रैली के कार्यक्रम कोरोना के कारण नहीं कर पाए. शहर के अधिकांश चर्चों में रात्रि कैंडल और कैरोल सिंगिंग जैसे कार्यक्रम भी नहीं किए जा रहे हैं. प्रशासन द्वारा दिए गए गाइडलाइन के अनुसार प्रमुख प्रार्थना में भी कम से कम लोगों को बुलाया गया. चर्च में लोग मास्क लगाकर पहुंचे और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा. कई चर्च में ऑनलाइन प्रार्थना सभाएं की गईं. वर्चुअल इबादत के इस नए तरीके से लोग घर बैठे ही प्रार्थना सभा में जुड़ पाए.

पढ़ें- अजमेर: कोरोना के बीच सादगी से मनाया क्रिसमस पर्व, पादरी ने पढ़ा यीशु का संदेश

क्रिश्चन महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष गुडविन मसीह ने कहा कि क्रिसमस डे को लेकर भीलवाड़ा जिले के 4 से 5 हजार लोगों को बेसब्री से इंतजार था. मगर इस बार कोरोना कहर के कारण भीलवाड़ा शहर के 12 ही चर्च में हर वर्ष होने वाले कार्यक्रमों को भी निरस्त कर दिया गया. क्रिसमस डे को लेकर जहां 1 महीना 15 दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है क्रिश्चियन समाज के हर एक घर में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते थे मगर कोविड-19 के वजह अब यह सब नहीं हो पाया. वही इस बार ना तो प्रमुख रैली का आयोजन किया गया, ना ही शहर के सभी चर्चों द्वारा मिलकर की जाने वाली कंटाटा सर्विस की गई.

क्रिसमस डे के एक दिन पहले कर घर-घर जा कर शुभकामनाएं देने वाला सिंगिंग कार्यक्रम भी निरस्त कर दिया गया था. शुक्रवार रात होने वाली मिड नाइड और मुख्य प्रार्थना में भी लोगों को कम से कम बुलाया गया है. इसी के साथ ही छोटे बच्चों और बुजुर्गों को भी इन कार्यक्रमों में उपस्थित होने को लेकर रोक लगाई गई है.

भीलवाड़ा. कोरोना महामारी का असर हर धर्म के त्योहारों पर पड़ा है. यह असर इसाई समुदाय के सबसे बड़े त्योहार क्रिसमस डे पर भी पड़ा है. कोरोना के चलते धार्मिक उत्सवों के सेलिब्रेशन प्रभावित हुए हैं. वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में प्रभु यीशु मसीह के जन्म का पर्व क्रिसमस यहां इसाई समाज धूमधाम से खुशियों के साथ मनाता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण क्रिश्चियन समाज ने इस त्यौहार को बड़ी सादगी के साथ मनाया.

भीलवाड़ा में सादगी से मनाया गया क्रिसमस पर्व

भीलवाड़ा जिले में क्रिश्चन समुदाय के करीब 4 से 5 हजार लोग हैं. इस बार कई कार्यक्रम निरस्त कर दिए गए जिसकी कारण क्रिसमस का पर्व फीका रहा. जहां पहले क्रिसमस डे की तैयारियों को लेकर सभी व्यवस्थाएं चर्च में की जाती थी मगर इस बार देखा जाए तो भीलवाड़ा के 12 ही चर्चों में सादगीपूर्ण तरीके से कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पर्व मनाया गया. हर वर्ष होने वाले कार्यक्रमों को भी इस बार निरस्त कर दिया गया. क्रिसमस डे पर होने वाली सर्विस में भी बच्चों और बुजुर्गों के आने की रोक लगा दी गई थी.

पढ़ें- कोरोना के बीच फीका रहा क्रिसमस पर्व, चर्च में कोरोना से मुक्ति के लिए हुई प्रार्थना

भीलवाड़ा शहर के कृषि मंडी स्थित सेंट्रल मेथाडिस्ट चर्च के फादर परमजीत माइकल ने कहा कि क्रिसमस डे के पर्व को लेकर चर्च में पहले ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है मगर इस बार कोविड-19 के कारण क्रिसमस से कुछ दिन पहले से ही चर्च में सन्नाटा था. शहर के समस्त शहर के चर्च और पास्टर, फादर चर्च सदस्यों ने बैठक करके पहले ही फैसला कर लिया था कि इस वर्ष कोरोना कहर के कारण संपूर्ण देश और राजस्थान इस महामारी के कारण परेशानी में हैं, इसे देखते हुए हर साल होने वाले कार्यक्रम निरस्त कर दिए जाएं.

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भीलवाड़ा में क्रिसमस पर्व मनाया सादगीपूर्ण

इस बार क्रिसमस पर शहर के सभी चर्च मिलकर करने वाले कंटाटा सर्विस और रैली के कार्यक्रम कोरोना के कारण नहीं कर पाए. शहर के अधिकांश चर्चों में रात्रि कैंडल और कैरोल सिंगिंग जैसे कार्यक्रम भी नहीं किए जा रहे हैं. प्रशासन द्वारा दिए गए गाइडलाइन के अनुसार प्रमुख प्रार्थना में भी कम से कम लोगों को बुलाया गया. चर्च में लोग मास्क लगाकर पहुंचे और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा. कई चर्च में ऑनलाइन प्रार्थना सभाएं की गईं. वर्चुअल इबादत के इस नए तरीके से लोग घर बैठे ही प्रार्थना सभा में जुड़ पाए.

पढ़ें- अजमेर: कोरोना के बीच सादगी से मनाया क्रिसमस पर्व, पादरी ने पढ़ा यीशु का संदेश

क्रिश्चन महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष गुडविन मसीह ने कहा कि क्रिसमस डे को लेकर भीलवाड़ा जिले के 4 से 5 हजार लोगों को बेसब्री से इंतजार था. मगर इस बार कोरोना कहर के कारण भीलवाड़ा शहर के 12 ही चर्च में हर वर्ष होने वाले कार्यक्रमों को भी निरस्त कर दिया गया. क्रिसमस डे को लेकर जहां 1 महीना 15 दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है क्रिश्चियन समाज के हर एक घर में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते थे मगर कोविड-19 के वजह अब यह सब नहीं हो पाया. वही इस बार ना तो प्रमुख रैली का आयोजन किया गया, ना ही शहर के सभी चर्चों द्वारा मिलकर की जाने वाली कंटाटा सर्विस की गई.

क्रिसमस डे के एक दिन पहले कर घर-घर जा कर शुभकामनाएं देने वाला सिंगिंग कार्यक्रम भी निरस्त कर दिया गया था. शुक्रवार रात होने वाली मिड नाइड और मुख्य प्रार्थना में भी लोगों को कम से कम बुलाया गया है. इसी के साथ ही छोटे बच्चों और बुजुर्गों को भी इन कार्यक्रमों में उपस्थित होने को लेकर रोक लगाई गई है.

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