भीलवाड़ा. एक और प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. वहीं दूसरी ओर रबी की फसल के रूप में सरसों की नई फसल की आवक भी शुरू हो गई है. किसान अपने खलियान से सरसों की उपज बेचने भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी पहुंच रहे हैं.
जिले में किसानों ने इस बार कम पानी व गत वर्ष सरसों की उपज के अच्छे दाम मिलने के कारण सरसों की फसल की ज्यादा बुवाई की थी. सरसों की उपज कृषि उपज मंडी में बिकने के लिए आना शुरू हो गई है. किसानों ने इस बार सितंबर व अक्टूबर माह में बोई जाने वाली अर्ली किस्म की सरसों की बुवाई ज्यादा की थी. क्योंकि किसानों को इस बार चिंता थी कि पानी कम है. इस वजह से सरसों की अर्ली किस्म की ही बुवाई की जाए. सरसों की फसल की कटाई भी शुरू हो गई है और कई किसान तो उपज मंडी में बेचने आ रहे हैं.
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60 हजार हेक्टेयर में हुई सरसों की बुवाई: जिले में वर्ष 2021 में 35 हजार हेक्टेयर भूमि में ही सरसों की फसल की बुवाई हुई थी. वर्ष 2022 के फरवरी व मार्च माह में जब उपज मंडी में बिकने आई थी, उस समय 60 से 70 प्रति किलो के भाव से सरसों की ब्रिक्री हुई थी. इस कारण इस बार किसानों ने सरसों की बुवाई ज्यादा की है. जिले में 60 हजार हेक्टेयर भूमि में सरसों की फसल की बुवाई हुई है.
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मिल रहे अच्छे दाम: सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो गई है. फिलहाल सरसों में नमी ज्यादा है. इसके कारण कृषि उपज मंडी में सरसों के भाव 50 से 52 रुपए प्रति किलो हैं. धीरे-धीरे जब उपज ज्यादा होगी और सरसों में नमी कम होगी, तो सरसों के भावों में तेजी आएगी. रबी की फसल के समय गेहूं, सरसों, चना, तारामीरा व जौ की फसल की बुवाई की जाती है. गेहूं को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है. सरसों की फसल दो या तीन बार पानी देने से ही फसल पक जाती है. ऐसे में किसान सरसों की फसल की बुवाई ज्यादा करते हैं.