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Special: भीलवाड़ा के कपड़ा कारोबारियों का छलका दर्द, दिवाली पर भी टूटी उम्मीदें - भीलवाड़ा की हिंदी खबर

वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में खुदरा कपड़ा विक्रेता के चेहरे पर दिवाली के मौके पर भी मायूसी देखने को मिल रही है. कपड़ा विक्रेताओं ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार ना के बराबर ग्राहकी है. इससे कारोबारियों में काफी निराशा है.

भीलवाड़ा की दिवाली, diwali of bhilwara
ठप पड़ा दिवाली में भी कपड़ा कारोबार
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Published : Nov 14, 2020, 5:13 PM IST

भीलवाड़ा. इस साल की दिवाली कोरोना की वजह से फीकी-फीकी नजर आ रही है. दिवाली के मौके पर वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में खुदरा कपड़ा विक्रेता के चेहरे पर मायूसी देखने को मिल रही है. कपड़ा विक्रेताओं ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार ना के बराबर ग्राहकी है. हम काली दिवाली मनाने को मजबूर हैं.

ठप पड़ा दिवाली में भी कपड़ा कारोबार

विश्वव्यापी कोरोना जैसी महामारी का असर हर तरह के व्यापार में देखने को मिल रहा है. जहां वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर में दीपावली से पहले बाजार में जमकर खरीदारी होती थी, लेकिन इस बार कोरोना जैसी महामारी के चलते बिलकुल खरीदारी नहीं है.

पढ़ेंः Special: दिवाली पर सूने पड़े हैं पर्यटन स्थल, बेरोजगार बैठे हैं टूरिस्ट गाइड

बता दें कि वस्त्र नगरी के नाम से भीलवाड़ा की कपड़े की उद्योग इकाइयों में अच्छा उत्पादन होने के बाद यहां के माल की विदेशों में मांग बढ़ी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर आमजन के पास पैसों की कमी होने के कारण खुदरा कपड़ा विक्रेता से दिवाली पर नए कपड़े नहीं खरीद रहे हैं. जिसे खुदरा कपड़ा विक्रेता मायूस नजर आ रहे हैं.

हाथ का ठेला लगाकर शहर में कपड़ा बेच रहे ललित ने ईटीवी भारत पर दर्द बयां करते हुए कहा कि थोड़ी बहुत ही ग्राहकी है. दुकानदारों का कहना है कि दिवाली से इस बार काफी उम्मीद थी लेकिन लोग अभी भी दुकानों से समान खरीदने से डर रहे हैं.

भीलवाड़ा की दिवाली, diwali of bhilwara
कुछ दुकानदार अभी भी ग्राहक के इंतजार में

वहीं, होलसेल कपड़ा व्यवसाई सुभाष गर्ग ने कहा कि कोरोना बीमारी के चलते पूरा व्यवसाय ठप है. पिछले साल की तुलना में इस साल में 40 प्रतिशत ग्राहकी ही है. कोरोना ने सब काम ध्वस्त कर दिए हैं. कपड़ा विक्रेता विपिन ने कहा कि कोरोना के चलते काफी प्रभाव पड़ा है. कोरोना की वजह से पहले शादी विवाह कैंसिल हो गए जिस वजह से कपड़े का बाजार ठंडा पड़ गया था उसके बाद दिवाली पर भी ग्राहकी काफी कम है. दुकानदारों का कहना है कि हर साल दिवाली के मौके पर भारी ग्राहकी होती थी. लेकिन इस साल केवल दिन के समय ही थोड़ी बहुत बिक्री होती है.

भीलवाड़ा की दिवाली, diwali of bhilwara
कुछ दुकानों पर दिखी ग्राहकों की भीड़

पढ़ेंः SPECIAL: कोरोना की वजह से रंग रोगन का काम करने वालों की दिवाली हुई फीकी

होलसेल कपड़ा विक्रेता सत्यनारायण हीगड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि इस बार कोरोना ने इस बार दीपावली फीकी कर दी है. ग्राहकी बिलकुल कमजोर हैं. खुदरा व्यापार भी अभी ठप पड़े हैं. साथ ही शादी विवाह समारोह के समय भी हमारे अच्छी दुकानदारी होती थी, लेकिन सरकार की पाबंदियों की वजह से शादी विवाह समारोह में भी ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो रहे हैं. इसलिए कोई नए कपड़े नहीं खरीद रहे हैं.

भीलवाड़ा की दिवाली, diwali of bhilwara
ईटीवी भारत पर कपड़ा विक्रेताओं का छलका दर्द

पढ़ेंः Special: इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का बाजार गुलजार... पर दुकानदारों पर भारी पड़ रहा ऑनलाइन कारोबार

कपड़ा व्यवसाई विकास जैन का सोचना थोड़ा अलग है उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से अप्रैल मई में भीलवाड़ा का बिलकुल बाजार बंद था, लेकिन जुलाई से धीरे-धीरे व्यापार ने रफ्तार पकड़ी है और अभी अच्छी बिक्री हो रही है. पहले हमारा माल उधार में बिकता था, लेकिन कोरोना के बाद हमेशा रोकड़ पैसे में माल बिक रहा है और पुराना जो स्टॉक था वह खत्म किया जा रहा है. नया प्रोडक्शन नहीं होने के कारण हमारे पेंडिंग माल बिक रहा है. जिससे हमे धीरे-धीरे फायदा हो रहा है. भीलवाड़ा शहर में लगभग 2000 खुदरा कपड़ा विक्रेताओं की दुकान है

भीलवाड़ा. इस साल की दिवाली कोरोना की वजह से फीकी-फीकी नजर आ रही है. दिवाली के मौके पर वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में खुदरा कपड़ा विक्रेता के चेहरे पर मायूसी देखने को मिल रही है. कपड़ा विक्रेताओं ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार ना के बराबर ग्राहकी है. हम काली दिवाली मनाने को मजबूर हैं.

ठप पड़ा दिवाली में भी कपड़ा कारोबार

विश्वव्यापी कोरोना जैसी महामारी का असर हर तरह के व्यापार में देखने को मिल रहा है. जहां वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर में दीपावली से पहले बाजार में जमकर खरीदारी होती थी, लेकिन इस बार कोरोना जैसी महामारी के चलते बिलकुल खरीदारी नहीं है.

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बता दें कि वस्त्र नगरी के नाम से भीलवाड़ा की कपड़े की उद्योग इकाइयों में अच्छा उत्पादन होने के बाद यहां के माल की विदेशों में मांग बढ़ी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर आमजन के पास पैसों की कमी होने के कारण खुदरा कपड़ा विक्रेता से दिवाली पर नए कपड़े नहीं खरीद रहे हैं. जिसे खुदरा कपड़ा विक्रेता मायूस नजर आ रहे हैं.

हाथ का ठेला लगाकर शहर में कपड़ा बेच रहे ललित ने ईटीवी भारत पर दर्द बयां करते हुए कहा कि थोड़ी बहुत ही ग्राहकी है. दुकानदारों का कहना है कि दिवाली से इस बार काफी उम्मीद थी लेकिन लोग अभी भी दुकानों से समान खरीदने से डर रहे हैं.

भीलवाड़ा की दिवाली, diwali of bhilwara
कुछ दुकानदार अभी भी ग्राहक के इंतजार में

वहीं, होलसेल कपड़ा व्यवसाई सुभाष गर्ग ने कहा कि कोरोना बीमारी के चलते पूरा व्यवसाय ठप है. पिछले साल की तुलना में इस साल में 40 प्रतिशत ग्राहकी ही है. कोरोना ने सब काम ध्वस्त कर दिए हैं. कपड़ा विक्रेता विपिन ने कहा कि कोरोना के चलते काफी प्रभाव पड़ा है. कोरोना की वजह से पहले शादी विवाह कैंसिल हो गए जिस वजह से कपड़े का बाजार ठंडा पड़ गया था उसके बाद दिवाली पर भी ग्राहकी काफी कम है. दुकानदारों का कहना है कि हर साल दिवाली के मौके पर भारी ग्राहकी होती थी. लेकिन इस साल केवल दिन के समय ही थोड़ी बहुत बिक्री होती है.

भीलवाड़ा की दिवाली, diwali of bhilwara
कुछ दुकानों पर दिखी ग्राहकों की भीड़

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होलसेल कपड़ा विक्रेता सत्यनारायण हीगड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि इस बार कोरोना ने इस बार दीपावली फीकी कर दी है. ग्राहकी बिलकुल कमजोर हैं. खुदरा व्यापार भी अभी ठप पड़े हैं. साथ ही शादी विवाह समारोह के समय भी हमारे अच्छी दुकानदारी होती थी, लेकिन सरकार की पाबंदियों की वजह से शादी विवाह समारोह में भी ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो रहे हैं. इसलिए कोई नए कपड़े नहीं खरीद रहे हैं.

भीलवाड़ा की दिवाली, diwali of bhilwara
ईटीवी भारत पर कपड़ा विक्रेताओं का छलका दर्द

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कपड़ा व्यवसाई विकास जैन का सोचना थोड़ा अलग है उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से अप्रैल मई में भीलवाड़ा का बिलकुल बाजार बंद था, लेकिन जुलाई से धीरे-धीरे व्यापार ने रफ्तार पकड़ी है और अभी अच्छी बिक्री हो रही है. पहले हमारा माल उधार में बिकता था, लेकिन कोरोना के बाद हमेशा रोकड़ पैसे में माल बिक रहा है और पुराना जो स्टॉक था वह खत्म किया जा रहा है. नया प्रोडक्शन नहीं होने के कारण हमारे पेंडिंग माल बिक रहा है. जिससे हमे धीरे-धीरे फायदा हो रहा है. भीलवाड़ा शहर में लगभग 2000 खुदरा कपड़ा विक्रेताओं की दुकान है

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