भीलवाड़ा. निकाय चुनाव के तहत नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद दावेदार चुनाव मैदान में प्रचार के लिए जुट गए हैं. भीलवाड़ा नगर परिषद सहित जिले की शाहपुरा, जहाजपुर, गुलाबपुरा, आसींद, गंगापुर और मांडलगढ़ पालिका में चुनाव होगा. चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख पार्टी के राजनेता संगठन की बैठक ले रहे हैं. ऐसे में बीते कई साल से भीलवाड़ा में राज कायम किए बीजेपी के किले को कांग्रेस ढहा पाएगी या नहीं. फिलहाल, यह आने वाला वक्त ही बताएगा.
भीलवाड़ा नगर परिषद में 10 साल से बीजेपी का बोर्ड है. वहीं लगातार तीन बार बीजेपी विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी, यहां से विजयी हुए हैं. जिन्होंने पिछली विधानसभा चुनाव में भी लगभग 45 हजार मतों से जीत दर्ज की. ऐसे में क्या बीजेपी के अभेद किले को कांग्रेस भेद पाएगी. इसको लेकर बीजेपी के पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस ने दो साल में कोई काम नहीं किया है. यहां तक की भीलवाड़ा परिषद में भी कुछ काम नहीं हुआ है, जिस तरह निकाय और पंचायत को सहयोग मिलना चाहिए. वह प्रदेश सरकार नहीं दे रही है. कांग्रेस के राज में विकास कार्य बंद हो चुके हैं. बीजेपी के राज में विकास चालू होता है और कांग्रेस के राज में विकास बंद होता है.
वहीं बीजेपी के नगर परिषद के अभेद किले को भेदने के सवाल पर पूर्व मंत्री ने कहा कि 10 साल तक बीजेपी का बोर्ड रहा और हमारे चेयरमैन बने हैं. पिछले दो साल पहले हमारी चेयरमैन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो पार्टी ने उसे निकाल दिया. इस बार भी बीजेपी अपने बाकी के कुशल कार्यकाल को लेकर मैदान में जा रही है. जहां भीलवाड़ा में इस बार भी बीजेपी का बोर्ड बनेगा.
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वहीं कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष और साल 2018 में भीलवाड़ा शहर से विधायक प्रत्याशी रहे अनिल डांगी ने कहा कि इस निकाय चुनाव में कांग्रेस का एजेंडा थोड़ा अलग है. 10 साल से भीलवाड़ा में बीजेपी का बोर्ड था. इस दरमियान बीजेपी ने एक भी कार्य नहीं किया. बीजेपी के शासन से जनता बिल्कुल त्रस्त है. डांगी ने कहा कि शहर को बढ़िया सिटी बनाएंगे. 10 साल से अवैध निर्माण, भ्रष्टाचार, सड़क और नाली सहित अन्य समस्याओं को सही करवाएंगे. इन्हीं मुद्दों को लेकर हम चुनाव मैदान में जा रहे हैं.
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वहीं बीजेपी के अभेद किले को कैसे भेदेंगे के सवाल पर डांगी ने कहा कि हमारा प्रयास जारी है कि मुख्यमंत्री की योजना को हम धरातल पर क्रियान्वित करें. यहां तक कि कोरोना के समय प्रदेश को जिस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाला है, जिससे जनता खुश है. मोदी की नीतियों से लोग नाराज हैं और लोगों का व्यापार समाप्त हो गया है. यहां तक कि अर्थव्यवस्था भी चौपट हो गई है, जिससे जनता का मन बदल चुका है.
अब तक कौन और कब से कब तक रहा चैयरमेन
- त्रिलोकनाथ वाही, मई 1951 से दिसंबर 1951 तक
- रामप्रसाद लड्डा, दिसंबर 1951 से दिसंबर 1954 तक
- चैनसुख अजमेरा, जनवरी 1955 से अगस्त 1955 तक
- ज्ञानमल कोठारी, सितंबर 1955 से जनवरी 1958 तक
- शिवचरण माथुर, फरवरी 1958 से अगस्त 1959 तक
- चैनसुख अजमेरा, सितंबर 1959 से फरवरी 1962 तक
- बंसीलाल पटवा, अक्टूबर 1972 से अगस्त 1973 तक
- हरिशंकर डोलिया, अगस्त 1973 से सितंबर 1973 तक
- रामनिवास व्यास, सितंबर 1973 से अक्टूबर 1973 तक
- हरिशंकर डोलिया, नवंबर 1973 से दिसंबर 1973 तक
- वीपी चन्द्रा, दिसंबर 1973 से अक्टूबर 1975 तक
- जगदीश चंद्र दरक, 31 अगस्त 1990 से 4 मार्च 1995 तक
- लक्ष्मीनारायण डाड, 5 मार्च 1995 से 28 अगस्त 1995 तक
- मधुजाजु, 29 अगस्त 1995 से 28 अगस्त 1998 तक
- विश्वास जांगिड़ 29 अगस्त 1998 से 11 नवंबर 1998 तक
- मधुजाजु, 21 नवंबर 1998 से 12 अगस्त 2000 तक
- विनोद कुमार अग्रवाल, साल 2000 से 2005 तक
- ओमप्रकाश नारायणी वाल साल 2005 से 2010 तक
- भगवती लाल बहेडिया 25 अगस्त 2010 से 29 अगस्त 2010
- दिनेश शर्मा, 31 अगस्त 2010 से 15 दिसंबर 2010 तक
- अनिल बल्दवा, साल 2010 से 2015 तक
- ललिता समदानी, 21 अगस्त 2015 से 9 अक्टूबर 2018 तक
- दीपिका कंवर, 7 नवंबर 2018 से 13 दिसंबर 2018 तक
- ललिता समदानी, 14 दिसंबर 2018 से 28 नवंबर 2019 तक
- मंजू पोखरना, 6 दिसंबर 2019, 2019 से 17 दिसंबर 2019 तक
- मधु देवी चेचाणी, 18 दिसंबर 2019 से अब तक