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स्पेशलः 500 बीघा बंजर जमीन पर बनाया चारागाह, रोल मॉडल से क्षेत्र में बढ़ा जलस्तर

पथरीली और बंजर जमीन अब डेवलप किए गए चारागाह में तब्दील हो रही है. जिससे पर्यावरण के शुद्ध होने के साथ ही जलस्तर में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. आसींद की यह पहल रोल मॉडल है, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है.

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आसींद में चारागाह
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Published : Sep 1, 2020, 7:37 PM IST

भीलवाड़ा. अगर हौसला बुलंद हो तो कठिन से कठिन डगर भी आसानी से पार की जा सकती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भीलवाड़ा के आसींद पंचायत समिति के मारवो का खेड़ा के ग्रामीणों ने. जहां गांव की 500 बीघा अतिक्रमित जमीन को मुक्त कराकर उसे चारागाह बनाया.

बंजर जमीन को बनाया चारागाह,

जिले में पंचायत राज विभाग की ओर से पथरीली व बंजर जमीन अब डेवलप किए गए चारागाह में तब्दील हो रही है. जिससे वहां पर्यावरण के शुद्ध होने के साथ ही जलस्तर में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. ग्रामीणों के समन्वय से चारागाह में लगभग 50,000 पौधे लगे हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही कारगर साबित हो रहे हैं. इन पौधों के कारण क्षेत्र में हमेशा अच्छी बरसात हो रही है और पशुओं को चारागाह से घास भी निशुल्क उपलब्ध हो रही है. जिससे पशुपालक अच्छी मात्रा में दूध का उत्पादन ले रहे हैं.

छुट्टी के दिन ग्रामवासी करते हैं निशुल्क सहयोग-

वहीं चारागाह डेवलप करने को लेकर ग्रामीणों के जज्बे को सलाम करने का मन करता है. हर गुरुवार को जब मनरेगा में छुट्टी रहती है, उस दिन सभी ग्रामवासी छुट्टी के दिन नि:शुल्क प्रत्येक महिला 5- 5 पौधों की साफ सफाई व निराई - गुड़ाई करके पानी पिलाती है. इस चारागाह में औषधीय, वानस्पतिक, बायोफ्यूल व फलदार पौधे लगे हुए हैं. इन तमाम पौधों को ड्रिप सिस्टम से बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत पानी दिया जाता है.

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500 बीघा में बना चारागाह

गांव के समाजसेवी कन्हैया लाल ने बताया कि मारवो का खेड़ा में 500 बीघा जमीन पर चारागाह डेवलप किया है. जिसमें 50,000 औषधीय, फलदार ,बायोफ्यूल पौधे पूरे गांव वालों ने लगाए हैं. राज्य सरकार ने इसे रोल मॉडल घोषित किया है और देश के 15 अन्य राज्यों के कई आईएएस अधिकारी विजिट कर चुके हैं. वहां भी इसी तरह चारागाह डेवलप करने की बात कर रहे हैं.

पढ़ें- स्पेशलः प्राकृतिक सौंदर्यता को लॉकडाउन ने बढ़ाया, मानसून ने निखारा

इस चरागाह को डेवलप करने से गांव में पानी का जलस्तर बढ़ा है. पहले इस जगह अतिक्रमण था. बिना प्रशासन के सहयोग से गांव वालोें ने स्वेच्छा से इस जमीन को चारागाह में तब्दील किया. क्षेत्र की पूर्व प्रधान लक्ष्मी देवी साहू के अनुसार मारवो का खेड़ा में 500 बीघा चरागाह जल स्वावलंबन योजना के तहत किया है. यहां गांव की समस्त महिलाएं गुरुवार को मनरेगा की छुट्टी के दिन इस चारागाह में दिनभर निशुल्क परिश्रम करती है. ये क्षेत्र डार्कजोन क्षेत्र था जहां अब चारागाह डेवलप होने के बाद यहां पानी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही बरसात भी होने लगी है.

वहीं भीलवाड़ा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल राम बिरडा ने ईटीवी भारत को बताया कि महात्मा गांधी मनरेगा में एक गांव चार काम अभियान के तहत जिले के प्रत्येक राजस्व गांव में चारागाह डेवलप किए जा रहे हैं. अभी जिले में 1100 चारागाह डेवलप करने की योजना बनाई है. इनमें खाई ,फेंसिंग पौधे लगाए जाएंगे, जिससे चरागाह अतिक्रमण मुक्त हो और सीमाएं सुरक्षित रह सके. साथ ही पशुपालकों को भी इस चारागाह से संभल मिल सके. अभी तक 400 चारागाह को डेवलप हो चुके हैं.

आसींद की यह पहल रोल मॉडल है, जिसकी राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है. इसका उद्देश्य अधिक से अधिक चरागाह डेवलप करने का है जिससे पर्यावरण भी संतुलित रह सके और जमीन अतिक्रमण मुक्त हो सके.

पढ़ें- SPECIAL: एक जिद से हरा-भरा हुआ सूखा लापोडिया, पशुपालन से रुका पलायन

चारागाह में आसींद विकास अधिकारी ताराचंद व ए.आई.एन गोपाल टेलर ने बताया कि इस चारागाह को डेवलप करने के लिए वर्ष 2017 में 120 हेक्टेयर में 60000 पौधे लगाए. यहां धामण घास, बायोफ्यूल, औषधीय व फलदार पौधे लगाए हैं. विशेष तौर पर स्टाइलो अमेटा घास बोई है जिससे दूध व फैट बढ़ी है. जिससे यहां की डेरी में रिकॉर्ड तोड़ दूध का उत्पादन हो रहा है.

आसींद पंचायत समिति के विकास अधिकारी ताराचंद का हाल ही में टोंक से स्थानांतरण हुआ है. वे भी इस चारागाह को देखकर प्रभावित हुए. वे कहते हैं कि आसींद पंचायत समिति की प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर इसी तरह चारागाह डेवलप करने का प्रयास करेंगे.

चारागाह बनाने की यह अच्छी पहल राजस्थान को हरा- भरा करने में सहभागी बन रही है. लेकिन रोल मॉडल बने आसींद की तर्ज पर अन्य चारागाहों को भी जल्द ही डेवलप कर लिया जाए तो प्रकृति के साथ मानव जीवन को भी फायदा पहुंचेगा.

भीलवाड़ा. अगर हौसला बुलंद हो तो कठिन से कठिन डगर भी आसानी से पार की जा सकती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भीलवाड़ा के आसींद पंचायत समिति के मारवो का खेड़ा के ग्रामीणों ने. जहां गांव की 500 बीघा अतिक्रमित जमीन को मुक्त कराकर उसे चारागाह बनाया.

बंजर जमीन को बनाया चारागाह,

जिले में पंचायत राज विभाग की ओर से पथरीली व बंजर जमीन अब डेवलप किए गए चारागाह में तब्दील हो रही है. जिससे वहां पर्यावरण के शुद्ध होने के साथ ही जलस्तर में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. ग्रामीणों के समन्वय से चारागाह में लगभग 50,000 पौधे लगे हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही कारगर साबित हो रहे हैं. इन पौधों के कारण क्षेत्र में हमेशा अच्छी बरसात हो रही है और पशुओं को चारागाह से घास भी निशुल्क उपलब्ध हो रही है. जिससे पशुपालक अच्छी मात्रा में दूध का उत्पादन ले रहे हैं.

छुट्टी के दिन ग्रामवासी करते हैं निशुल्क सहयोग-

वहीं चारागाह डेवलप करने को लेकर ग्रामीणों के जज्बे को सलाम करने का मन करता है. हर गुरुवार को जब मनरेगा में छुट्टी रहती है, उस दिन सभी ग्रामवासी छुट्टी के दिन नि:शुल्क प्रत्येक महिला 5- 5 पौधों की साफ सफाई व निराई - गुड़ाई करके पानी पिलाती है. इस चारागाह में औषधीय, वानस्पतिक, बायोफ्यूल व फलदार पौधे लगे हुए हैं. इन तमाम पौधों को ड्रिप सिस्टम से बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत पानी दिया जाता है.

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500 बीघा में बना चारागाह

गांव के समाजसेवी कन्हैया लाल ने बताया कि मारवो का खेड़ा में 500 बीघा जमीन पर चारागाह डेवलप किया है. जिसमें 50,000 औषधीय, फलदार ,बायोफ्यूल पौधे पूरे गांव वालों ने लगाए हैं. राज्य सरकार ने इसे रोल मॉडल घोषित किया है और देश के 15 अन्य राज्यों के कई आईएएस अधिकारी विजिट कर चुके हैं. वहां भी इसी तरह चारागाह डेवलप करने की बात कर रहे हैं.

पढ़ें- स्पेशलः प्राकृतिक सौंदर्यता को लॉकडाउन ने बढ़ाया, मानसून ने निखारा

इस चरागाह को डेवलप करने से गांव में पानी का जलस्तर बढ़ा है. पहले इस जगह अतिक्रमण था. बिना प्रशासन के सहयोग से गांव वालोें ने स्वेच्छा से इस जमीन को चारागाह में तब्दील किया. क्षेत्र की पूर्व प्रधान लक्ष्मी देवी साहू के अनुसार मारवो का खेड़ा में 500 बीघा चरागाह जल स्वावलंबन योजना के तहत किया है. यहां गांव की समस्त महिलाएं गुरुवार को मनरेगा की छुट्टी के दिन इस चारागाह में दिनभर निशुल्क परिश्रम करती है. ये क्षेत्र डार्कजोन क्षेत्र था जहां अब चारागाह डेवलप होने के बाद यहां पानी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही बरसात भी होने लगी है.

वहीं भीलवाड़ा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल राम बिरडा ने ईटीवी भारत को बताया कि महात्मा गांधी मनरेगा में एक गांव चार काम अभियान के तहत जिले के प्रत्येक राजस्व गांव में चारागाह डेवलप किए जा रहे हैं. अभी जिले में 1100 चारागाह डेवलप करने की योजना बनाई है. इनमें खाई ,फेंसिंग पौधे लगाए जाएंगे, जिससे चरागाह अतिक्रमण मुक्त हो और सीमाएं सुरक्षित रह सके. साथ ही पशुपालकों को भी इस चारागाह से संभल मिल सके. अभी तक 400 चारागाह को डेवलप हो चुके हैं.

आसींद की यह पहल रोल मॉडल है, जिसकी राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है. इसका उद्देश्य अधिक से अधिक चरागाह डेवलप करने का है जिससे पर्यावरण भी संतुलित रह सके और जमीन अतिक्रमण मुक्त हो सके.

पढ़ें- SPECIAL: एक जिद से हरा-भरा हुआ सूखा लापोडिया, पशुपालन से रुका पलायन

चारागाह में आसींद विकास अधिकारी ताराचंद व ए.आई.एन गोपाल टेलर ने बताया कि इस चारागाह को डेवलप करने के लिए वर्ष 2017 में 120 हेक्टेयर में 60000 पौधे लगाए. यहां धामण घास, बायोफ्यूल, औषधीय व फलदार पौधे लगाए हैं. विशेष तौर पर स्टाइलो अमेटा घास बोई है जिससे दूध व फैट बढ़ी है. जिससे यहां की डेरी में रिकॉर्ड तोड़ दूध का उत्पादन हो रहा है.

आसींद पंचायत समिति के विकास अधिकारी ताराचंद का हाल ही में टोंक से स्थानांतरण हुआ है. वे भी इस चारागाह को देखकर प्रभावित हुए. वे कहते हैं कि आसींद पंचायत समिति की प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर इसी तरह चारागाह डेवलप करने का प्रयास करेंगे.

चारागाह बनाने की यह अच्छी पहल राजस्थान को हरा- भरा करने में सहभागी बन रही है. लेकिन रोल मॉडल बने आसींद की तर्ज पर अन्य चारागाहों को भी जल्द ही डेवलप कर लिया जाए तो प्रकृति के साथ मानव जीवन को भी फायदा पहुंचेगा.

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