भीलवाड़ा. राजस्थान के भीलवाड़ा में खाप पंचायत के फरमान से परेशान एक विधवा ने पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा के समक्ष न्याय की गुहार लगाई है. बिते 11 दिनों से अपने घर को छोड़कर बेटी के यहां रहने को मजबूर 80 साल की बुजुर्ग महिला भगवान से अपनी मौत मांग रही है.
वृद्ध महिला झमकू देवी ने कहा कि 4 साल पहले मेरे पति की मौत हो गई और मेरे बेटे की बचपन में ही मौत हो गई. जिसके बाद से ही मेरे रिश्तेदार मेरी जमीन हथियाने के लिए मुझ पर दबाव बना रहे हैं. कई बार खाप पंचायत भी बुलाई गई, जिसमें भी दबाव बनाया गया. जब मैंने जमीन देने से इनकार कर दिया तो समाज के लोगों ने खाप पंचायत बुलाकर मुझे समाज से बहिष्कृत कर दिया.
यही नहीं, समाज से बेदखल करने के बाद भी जब मेरी बेटियां मेरी सेवा कर रही थीं तो मेरी बेटी के परिवार को भी समाज से बेदखल कर दिया. 11 दिन से मुझे अपने ही गांव से बाहर निकाल दिया गया है. अब मेरे पास मरने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. इसलिए मैं आज मंगलवार को पुलिस अधीक्षक के समक्ष न्याय की गुहार लगाने आई हूं.
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राजेश कुमावत ने कहा कि मेरी नानी को समाज से बेदखल करने के बाद जब हम उनकी देखभाल कर रहे थे तो समाज ने हमें भी समाज से बेदखल कर दिया. इसलिए आज शाम पुलिस अधीक्षक के समक्ष न्याय की गुहार लगाने पहुंचे हैं कि समाज के पंच पटेलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, हमें न्याय दिलवाया जाय.
यह है पूरा मामला...
जिले के कारोई खेड़ा में रहने वाली झमकू देवी कुमावत के पति की 4 साल पहले बिमारी के बाद मौत हो गई थी. बेटे की मौत बचपन में ही हो गई. ऐसे में विधवा की जमीन पर रिश्तेदारों और दबंगों की नियत बिगड़ गई और उन्होंने वृद्धा से जमीन छिनने के लिए उसे परेशान करना शुरू कर दिया. कई बार समाज की पंच-पटेलों ने एकत्रित होकर उसे जमीन देवर-जेठ को देने का दबाव भी बनाया.
महिला जब नहीं मानी तो करीब 11 दिन पहले कारोई खेड़ा स्थित एक मंदिर पर खाप पंचायत जुटी. जिसमें वृद्धा को कुमावत समाज से बाहर करने का फरमान जारी कर दिया. इसके साथ ही उससे सम्पर्क रखने वाले रिश्तेदारों पर भी कार्रवाई की चेतावनी दी. जब उसकी बेटियों ने शरण दी तो उसकी बेटी को भी पंचों ने बहिष्कृत कर दिया.